सरकार ने वादा किया था कि इस चीनी मिल को फिर से शुरू किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ जिसकी वजह से किसान आज भी परेशान हैं.
अमर उजाला ने 30 अक्टूबर 2017 को एक खबर छापी थी. खबर में लिखा था कि मथुरा के छाता में नई और विकसित तकनीकों के साथ चीनी मिल फिर से शुरू की जाएगी. सरकार ने तत्काल चीनी मिल की डीपीआर तैयार करने के आदेश दिए हैं. दिसंबर 2018 से यह चीनी मिल गन्ने की खरीद शुरू कर देगी.
खबर में आगे लिखा है, 'कैबिनेट मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी ने फोन पर हुई बातचीत में बताया कि चुनाव में लोगों से जो वादा किया था उसे पूरा किया जा रहा है. 2017-18 का जो विधानसभा सत्र होगा इसमें चीनी मिल के लिए धन की व्यवस्था कर दी जाएगी.'
बता दें कि छाता का यह चीनी 2008-09 में बंद हुआ था जिसके कारण हजारों की संख्या में मजदूर बेरोजगार हुए थे और किसानों ने गन्ने की खेती करनी बंद कर दी थी. सरकार ने वादा किया था कि इस चीनी मिल को फिर से शुरू किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ जिसकी वजह से किसान आज भी परेशान हैं. हमने छाता के किसानों से बातचीत की.
किसान मंत्री लक्ष्मीनारायण सिंह ने बेहद खफा नजर आते हैं. छाता गांव में मौजूद किसानों की माने तो बीजेपी किसी और को उम्मीदवार बनाती तो उसे ज़रूर वोट करते लेकिन सिंह को नहीं करेंगे. किसानों का आरोप है कि सिंह ने वादा किया लेकिन मिल शुरू नहीं कराया.
किसान राजवीर सिंह कहते हैं, 'यहां मिल बंद होने से बेरोजगारी इतनी बढ़ गई कि लोग बेहाल है. गन्ने की खेती करते थे तो आमदनी भी बेहतर थी लेकिन अब वो भी नहीं है. हर चुनाव में इसको लेकर वादा करते हैं लेकिन करता कोई कुछ नहीं. अब जो मिल शुरू कराएगा उसे ही वोट करेंगे.'
चुनाव से महीने भर पहले योगी सरकार ने यहां मिल शुरू करने के लिए बजट देने की बात कहीं. मंत्री सिंह के प्रचार में बजट पास करने की बात गाने के रूप में सुनाई जा रही है. हालांकि किसानों की माने तो महज यह वोट लेने का तरीका है. एक किसान कहते हैं, 'उनको लगता है कि बजट की घोषणा कर देने पर किसान वोट दे देगा. पर इसबार ऐसा नहीं होगा.'
मंत्री लक्ष्मीनारायण अमर उजाला में छपी खबर को ग़लत बताते हैं. उनकी माने तो उन्होंने कोई वादा किया ही नहीं था. हालांकि स्थानीय किसान और अखबार में छपी खबर दोनों में यह कहा जा रहा कि सिंह और उनकी पार्टी बीजेपी ने वादा किया था.