यहां काम करने वाले मजदूरों का कहना है कि सरकार की लापरवाही के चलते हमारे काम बंद हो गए हैं, हमें राशन नहीं रोजगार चाहिए.
उत्तर प्रदेश सरकार ने आगरा में ओडीओपी यानी एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत चमड़ा उद्योग को चुना है. सरकार ने कहा था कि इस योजना के तहत व्यापारियों को वित्तीय सहायता दी जाएगी जिससे रोजगार बढ़ेगा. हमने कई जूता फैक्ट्रियों के मालिकों से मुलाकात की जिनका कहना है कि सरकार की लापरवाही के कारण जूतों के कारोबार में मंदी आई है और मजदूर बेरोजगार हो रहे हैं इसलिए हम इस बार वोट नहीं देंगे.
वोट का बहिष्कार करने पर एक जूता फैक्ट्री के मालिक राहुल महाजन बताते हैं, "हम काम करने लायक नहीं बचे हैं. हमारे मजदूर बेरोजगार हो चुके हैं. आगे क्या और कैसे करें हमें नहीं पता इसलिए हम वोटों का बहिष्कार कर रहे हैं. पिछले दो से तीन सालों में सरकार ने बड़ी कंपनियों के साथ मिलकर मानदंड तय किए हैं. जगह के मुताबिक कारोबार की सीमा तय की गई है, उसके मुताबिक हमें आर्डर दिए जाएंगे."
रोजगार को लेकर फैक्ट्री में काम करने वाले एक मजदूर कहते हैं, "हम वोट का बहिष्कार कर रहे हैं. हमें कभी-कभी काम मिलता है. हमारे पांच हजार मजदूर भाई बेरोजगार हो चुके हैं. राशन से पेट नहीं भरता है. हमें राशन नहीं रोजगार चाहिए. तीन साल से फैक्ट्रियों को टेंडर नहीं मिला है जिसकी वजह से बहुत से लोग फैक्ट्री बेच कर चले गए हैं."
इस दौरान हमारी भारती धनवानी से मुलाकात हुई जिन्होंने बताया कि सरकार के मानदंडों पर खरे न उतरने के कारण उन्हें अपना कारोबार बंद करना पड़ा. वे कहती हैं, "हमें टेंडर नहीं मिले क्योकि हम सरकार के मानदंडो पर खरे नहीं उतर सके लेकिन पहले हमें उन्हीं मानदंडो के तहत काम मिलता था. स्टार्टअप और एमएसएमई (सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम कुटीर एवं ग्रामोद्योग) कंपनियों को काम नहीं दिया जाता. आज आगरा में 35 फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं और करीब पांच हजार लोग बेरोजगार हैं. सारे सबूत होने के बावजूद हमारी बातों को कभी तवज्जों नहीं दी गई. हमें आश्वासन के अलावा और कुछ नहीं मिला है.”