स्वतंत्र पत्रकारिता को मजबूत करने के लिए झूठ के वायरस से लड़ना होगा- मारिया रेसा

हमारी भूमिका यह सुनिश्चित करने में है कि हमारे पास तथ्‍य हों और मेज पर बैठा हर शख्‍स इस पर बात कर सके ताकि समस्‍याओं को सुलझाया जा सके.

Byजनपथ
   bookmark_add
स्वतंत्र पत्रकारिता को मजबूत करने के लिए झूठ के वायरस से लड़ना होगा- मारिया रेसा
  • whatsapp
  • copy

अल जजीरा- जब आप कोई स्‍टोरी छापने का फैसला लेते हैं तो उस वक्‍त क्‍या खुद को एक शांति बहाली कार्यकर्ता के रूप में देख रहे होते हैं या महज एक पत्रकार के रूप में जो तथ्‍यों को सामने रख रहा है.

रेसा- दोनों एक अर्थ में समान भूमिकाएं ही हैं चूंकि दोनों ही तथ्‍यों पर आधारित हैं. आप शांति की स्‍थापना कैसे करते हैं? आपको दोनों पक्षों को किसी एक तथ्‍य पर राजी करना होता है. मसलन, आप कहें कि ये सोडा का कैन है तो दोनों पक्ष मान जाएं. आप अगर ऐसा कर पाए, तभी बंटवारे के जख्‍म को भर भी पाएंगे. फिलहाल तो स्थिति यह है कि सूचना-तंत्र समाज को बांटने का ही काम कर रहा है जिससे सत्‍ता को अपनी पकड़ और मजबूत करने में मदद मिल रही है.

अल जजीरा- क्‍या आपको लगता है कि आज नहीं तो कल लोगों को मिल बैठ कर बात करनी ही पड़ेगी?

रेसा- बिल्कुल, और यही सार्थक इंसानी कवायद कही जाएगी. यह दौर हिरोशिमा के बाद 1945 के जैसा है और हमें इसे वैसे ही बरतना भी होगा, कि अभी-अभी एक एटम बम फटा है और हमें मानवता को और बुरे काम करने से रोकना है.

उस वक्‍त ऐसी कवायदों से क्‍या निकला था? लोग साथ आए थे और उन्‍होंने संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ बनाया था, उन्‍होंने मानवाधिकारों पर सार्वभौमिक घोषणापत्र का निर्माण किया था और मोटे तौर पर सहमत हुए थे कि यही हमारे जीने के सिद्धांत हैं. इसी के चलते हम इतने लंबे दौर तक अपेक्षाकृत अमन चैन से जी सके.

यही हमारी भूमिका है. हमारी भूमिका यह सुनिश्चित करने में है कि हमारे पास तथ्‍य हों और मेज पर बैठा हर शख्‍स इस पर बात कर सके ताकि समस्‍याओं को सुलझाया जा सके.

अनुवाद: अभिषेक श्रीवास्तव

(साभार- जनपथ)

न्यूज़लॉन्ड्री के क्रिसमस ऑफर्स की शुरुआत हो चुकी है. यह ऑफर्स 17 दिसंबर से 5 जनवरी तक चलेगा. न्यूज़लॉन्ड्री के खास गिफ्ट हैंपर्स के साथ हमें अपने क्रिसमस के जश्न में करें शामिल.

Also see
मारिया रेसा : 'आप सत्य के लिए क्या बलिदान कर सकते हैं?'
पत्रकार मारिया रेसा और दिमित्री मुरातोव को मिला इस बार का नोबेल शांति पुरस्कार

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like