उत्तर प्रदेश के सिद्वार्थनगर में भारत समाचार के रिपोर्टर अमीन फारुकी को रिपोर्टिंग के दौरान कुछ लोगों ने पकड़कर बुरी तरह पीटा था जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है.
अपने सहयोगी पर हुए हमले पर भारत समाचार के प्रमुख ब्रजेश मिश्रा ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘‘कोरोना त्रासदी पर गांव-गरीब की कवरेज में लगे भारत समाचार के डुमरियागंज पत्रकार के साथ मारपीट की गई. ये घटनाक्रम एसडीएम और विधायक की मौजूदगी में हुआ. सिद्धार्थनगर में कानून-व्यवस्था का राज नहीं है. डीएम एसपी आंख बंद किए हुए हैं. गरीबों की पीड़ा दबेगी नहीं हमारे पत्रकार कवरेज जारी रखेंगे.’’
स्थानीय विधायक की भाषा बोलती नजर आई पुलिस
सिद्धार्थनगर पुलिस ने पीटने वालों को हिरासत में लेने के बजाय जिस शख्स को मारा गया उसे थाने में देर रात तक बैठाए रखा. पुलिस ने इतना ही नहीं झूठ भी बोला. पुलिस ने रात 8 बजकर 52 मिनट पर ट्वीट कर यह जानकारी दी कि दोनों पक्ष के लोगों को छोड़ दिया गया है जबकि फारूकी को 10 बजे छोड़ा गया. वहीं दूसरे पक्ष के किसी सदस्य को पुलिस पकड़कर भी नहीं लाई थी.
डुमरियागंज के थाना प्रभारी निरीक्षक कृष्ण देव सिंह अवकाश पर हैं. उनकी जगह एसआई ददन प्रभारी हैं. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए ददन कहते हैं, ‘‘फर्जी और सही पत्रकार की आपस में लड़ाई हुई थी.'' विधायक राघवेंद्र सिंह के लोगों के मारपीट में शामिल होने की बात से अंजान बनते हुए अधिकारी कहते हैं, ‘‘मैं मौके पर नहीं था तो ज़्यादा नहीं बता सकता. मैं माननीय मंत्री जी के साथ था.’’
पत्रकार को देर रात 10 बजे तक थाने में रखा गया. लेकिन क्या जो लोग पीट रहे थे. उनमें से किसी को हिरासत में लिया गया. इस सवाल के जवाब में पुलिस अधिकारी ददन कहते हैं, ‘‘पत्रकार को पूछताछ के लिए बुलाया गया था. यह जानना था कि वो सही पत्रकार हैं या फर्जी. किसी दूसरों को हिरासत में कैसे ले लूं जब कोई शिकायत ही नहीं आई है. जैसा आप वीडियो देख रहे हैं वैसे हम भी देख रहे हैं.’’
पिटने वाले को हिरासत में लेकर घंटो बैठाया गया, लेकिन पीटने वालों को पकड़ा तक नहीं गया. ऐसा क्यों. इस सवाल पर अधिकारी इलाके में दुर्घटना होने की बात कहकर फोन रख देते हैं.
हमने इस मामले में एसडीएम त्रिभुवन प्रसाद से भी बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने हमारा फोन नहीं उठाया. हमने उन्हें सवाल भेज दिए हैं. खबर छपने के एक दिन बाद प्रसाद ने हमारे सवालों का जवाब भेजा. उन्होंने लिखा, ''पत्रकारों का आपसी मामला था. जो दोषी हो उसे सजा मिले.''
हालांकि अभी किसी भी पक्ष ने शिकायत दर्ज नहीं कराई है. इस मामले को लेकर स्थानीय पत्रकार प्रदेश के राज्यपाल, पुलिस अधिकारी और प्रेस काउन्सिल ऑफ़ इंडिया को पत्र लिख जांच और कार्रवाई की.
पत्रकार पर हुए हमले को लेकर प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया भी बयान जारी करने वाला है. यह जानकरी न्यूज़लॉन्ड्री को क्लब के अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा ने दी. वे कहते हैं, ‘‘इस समय पत्रकार काफी सॉफ्ट टारगेट हो गए हैं. पत्रकारों पर जो हमले होते हैं वो बिना राजनीतिक संरक्षण के नहीं होते हैं. और उत्तर प्रदेश में तो यह बड़ी संख्या में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं. केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन का जो मामला है उससे साबित है पत्रकार जो खबर करने जा रहे हैं, उसके रिपोर्ट करने को जुर्म माना जाए. यह लोकतान्त्रिक व्यवस्था के लिए बहुत बड़ा खतरा है. हमने भी पत्रकार पर हो रहे हमले का वीडियो देखा है. हम इसको लेकर बयान जारी करने की तैयारी कर रहे हैं.’’