न्यूज़ को सांप्रदायिक रंग देने से देश का नाम खराब होता है- सुप्रीम कोर्ट

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह टिप्पणी जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान की.

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सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फेक न्यूज के चलन पर चिंता जाहिर की है. चीफ जस्टिस एनवी रमना की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि कई बार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सांप्रदायिक रंग वाले न्यूज फैलाए जाते हैं जिससे देश का नाम खराब होता है.

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह टिप्पणी जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान की. पीठ ने सवाल करते हुए कहा कि निजी समाचार चैनलों के एक हिस्से में दिखाई जाने वाली लगभग सभी खबरों में सांप्रदायिक रंग होता है. क्या आपने कभी इन निजी चैनलों को विनियमित करने का प्रयास किया. सोशल मीडिया केवल शक्तिशाली आवाजों को सुनता है और बिना किसी जवाबदेही के न्यायाधीशों, संस्थानों के खिलाफ कई चीजें लिखी जाती हैं.

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि नए आईटी रूल्स सोशल और डिजिटल मीडिया को रेग्युलेट करने के लिए बनाए गए हैं.

इस दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि अलग-अलग हाईकोर्ट में आईटी रूल्स को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर किया जाए. तुषार मेहता ने कहा कि अलग-अलग हाईकोर्ट अलग-अलग आदेश पारित कर रहा है. ये मामला पूरे भारत का है ऐसे में एक समग्र तस्वीर देखने की जरूरत है.

गौरतलब हैं कि पिछले साल नवंबर में तब्लीगी जमात पर की गई मीडिया रिपोर्टिंग पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार के हलफनामे पर नाराजगी जताई थी.

तब कोर्ट ने कहा था, “आपका हलफनामा यह कहीं नहीं बताता कि ऐसी खबरों पर लगाम लगाने के लिए आपके पास कोई तंत्र या प्रणाली है. आप ऐसे मामलों में आने वाली शिकायतों पर कार्रवाई के लिए कौन-कौन से कदम उठा सकते हैं, यह भी नहीं बताया गया है.”

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