देश में पत्रकारों के खिलाफ बढ़ते राजद्रोह के मामलों को देखते हुए दो प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय प्रेस बॉडी ने चिंता जाहिर की है. इसके लिए दोनों ने पीएम मोदी को एक पत्र भी लिखा है.
बुधवार 21 अक्टूबर को दो प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय प्रेस बॉडी आईएफजे यानी इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट और आईपीआई यानी इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीटयूट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक संयुक्त पत्र लिखा. पत्र में मोदी से आग्रह किया गया है कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाएं कि भारत में पत्रकार उत्पीड़न और बदले की भावना के डर के बिना स्वतंत्र और निडर होकर काम कर सकते हैं. पत्र में देश में पत्रकारों पर राजद्रोह के बढ़ते हुए मामलों को लेकर भी लिखा गया है.
आईएफजे ने अपने ट्वीटर एकाउंट पर इसकी जानकारी देते हुए लिखा, “हमने भारतीय अधिकारियों को एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि राष्ट्रद्रोह कानूनों और अन्य कानूनी प्रतिबंधों के बढ़ते उपयोग को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाएं जो स्वतंत्र पत्रकारों को धमकी और चुप करने के लिए उपयोग किए जा रहे हैं.”
आईएफजे आगे लिखता है, “आलोचनात्मक पत्रकारों को परेशान करने के लिए राजद्रोह जैसे कानूनों का उपयोग न केवल अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का घोर उल्लंघन है बल्कि पीएमओ द्वारा किसी भी आलोचना को शांत करने का एक प्रयास है. पत्रकारिता को देशद्रोह या सुरक्षा को कम करने के बराबर नहीं आंका जा सकता है.”
पत्र में लिखा है, “पिछले कुछ महीनों में, कई पत्रकारों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 124 A के तहत आरोप लगाए गए हैं, जो जेल में तीन साल की सजा के साथ देशद्रोह की श्रेणी में दंड देता है. साथ ही एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में महामारी को कवर करने के लिए 25 मार्च से 31 मई तक कम से कम 55 पत्रकारों को निशाना बनाया गया था.”
पत्र में सरकार से अपील करते हुए लिखा है, “हम आपसे राज्य सरकारों को पत्रकारों के खिलाफ सभी आरोपों को हटाने का निर्देश देने का भी आह्वान करते हैं, जो उनके काम के लिए उन पर लगाए गए हैं. जिनमें कुछ राजद्रोह के तहत भी शामिल हैं”