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एनएल चर्चा के 180वें अंक में हमारी चर्चा मुख्य रूप से राज्यसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच हुए असंसदीय आचरण के इर्दगिर्द केंद्रित रही. इसके अलावा राहुल गांधी समेत कांग्रेस पार्टी के अन्य नेताओं के ट्विटर अकांउट लॉक करने की घटना, ओबीसी संविधान संशोधन बिल, संसद में जारी हंगामा, ओलिंपिक की एथलेटिक्स स्पर्धा में भारत को मिला पहला गोल्ड मेडल, जंतर-मंतर पर लगे मुसलमान विरोधी नारे हमारी चर्चा का विषय रहे.
इस बार चर्चा में बतौर मेहमान पत्रकार और सीएसडीएस के प्रोफेसर अभय दुबे शामिल हुए. साथ में न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस और स्तंभकार आनंद वर्धन ने भी चर्चा में हिस्सा लिया. संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
संसद में विपक्ष के मुद्दों, उनके प्रश्नों को दरिकनार किए जाने के सवाल पर अभय दुबे कहते हैं, “विपक्ष की राजनीति एक संकट से गुजर रही है, जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, तब से. आज तक देश में जितनी भी पूर्ण बहुमत की सरकारें बनी हैं वह करीब 40 प्रतिशत के आस पास वोट से साथ बनी है लेकिन बीजेपी की सरकार 2014 में 31 प्रतिशत और 2019 में करीब 38 प्रतिशत वोट के साथ बनी है. इसका मतलब हैं कि विपक्ष एकजुट नहीं हो पा रहा. इसके अलावा मोदी सरकार ने इन सात सालों में योजनाबद्ध तरीके से विपक्ष को डीलेजेटमाइज़ (अविश्वसनीय) करने का काम लगातार किया. इसके चलते विपक्ष बहुत ही संकट के दौर से गुजर रहा, इसका नतीजा हमें संसद में भी दिख रहा है.”
विपक्ष को लेकर मीडिया के रवैए पर अभय कहते हैं, “बीजेपी ने बंटे हुए विपक्ष की नाकामी का फायदा उठाया और उनके सारे सवालों, मुद्दों को दरकिनार करना शुरु कर दिया. वहीं हाल हमारे टीवी मीडिया ने भी किया. उन्होंने सरकार से सवाल करने की बजाय विपक्ष से सवाल करना शुरु कर दिया. यह सिलसिला पिछले 7 सालों से चला आ रहा है. बतौर समीक्षक मैंने महसूस किया है कि पहली बार मीडिया ने सरकार से सवाल करना बंद कर दिया और विपक्ष से सवाल करना शुरु कर दिया. जिसके कारण विपक्ष हाशिए पर चला गया.”
अतुल ने इसी विषय पर मेघनाथ और आनंद ने सवाल किया.
मेघनाथ कहते हैं, “यह सरकार हमेशा नैरेटिव बनाने की कोशिश करती है. इस सरकार ने विपक्ष के साथ-साथ संसद की गरिमा को जबर्दस्त चोट पहुंचायी है. संसद में विपक्ष जिन मुद्दों पर बातचीत करना चाहती है वह नहीं उठाए जा रहे है. अगर आप संसद का लाइव प्रसारण देखेंगे तो उसमें विपक्ष के प्रदर्शन को नहीं दिखाया जाता, अगर विपक्षी सांसद सवाल पूछने के लिए खड़े होते हैं तो उनके माइक को बंद कर दिया जाता है और दस-दस मिनट की बहस में बिल पास करवा लिया जाता है. और जब सरकार के सभी जरुरी बिल इस सत्र में पास हो गए तो उसने निर्धारित दिन से दो दिन पहले ही संसद के मानसून सत्र को खत्म कर दिया. क्योंकि उसे लगा कि अब उसका काम तो हो गया. इस हद तक संसद का सम्मान गिर चुका है इस सरकार में.”
अतुल ने संसद में हुई हाथापायी से जुड़ी एक घटना का जिक्र किया जिसमें संसद के अंदर की एक वीडियो क्लिप निजी समाचार संस्था एएनआई को लीक कर दी गई. अतुल कहते हैं “संसद के अंदर की कार्रवाई बेहद संवेदनशील और संसदीय विशेषाधिकारों के दायरे में आती है. इसकी रिकॉर्डिंग संसद की संपत्ति है जिसे किसी बाहरी व्यक्ति को इस्तेमाल की अनुमति नहीं होती अन्यथा यह संसदीय अवमानना का मसला बन जाती है. इसके बावजूद संसद के भीतर का एक वीडियो एक निजी मीडिया संस्थान को लीक किया गया. राज्यसभा की घटना पर उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडु ने भावुक बयान दिया. लेकिन वो इस टना की जड़ जो पेगसस जासूसी कांड है, जिसमें इस देश के लोकतंत्र को ध्वस्त करने की आशंका है, उस पर उपराष्ट्रपति भावुक न हीं होते?”
इस पर आनंद कहते है, “इसमें सरकार और विपक्ष दोनों की गलती है. दोनों में अलग तरह की बेचैनियां है. सत्र शुरु होने से पहले सर्वदलीय बैठक होता है लेकिन अब वह सिर्फ औपचारिकता रह गया है. उस बैठक के बाद जब सत्र शुरु होता है तो सरकार और विपक्ष अपने तरह से काम करता है.”
एएनआई द्वारा दिखाए गए वीडियो पर आनंद कहते है, “यह किसने किया, इसके बारे में मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है इसलिए इसपर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता.”
इस विषय के अलावा अन्य विषयों पर भी विस्तार से बातचीत हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए इस पूरे पॉडकास्ट को जरूर सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
0:00- इंट्रो
0:52-1:50- जरुरी सूचना
1:50- 8:00- हेडलाइन
8:07-45:50 - संसद में विपक्ष के मुद्दे और सरकार की जिम्मेदारी
45:52- 1:06:00 - ओबीसी संशोधन बिल और जातिगत जनगणना
1:06:10- क्या पढ़ें क्या देखें
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