हॉकी खिलाड़ी वंदना कटारिया के गांव हरिद्वार के रोशनाबाद में पटाखे जलाने और जातिवादी गालियों की पड़ताल.
पटाखा फोड़ना एक अबूझ पहेली
भारत की हार के बाद पटाखा फोड़ने और जातिवादी शब्दों का इस्तेमाल करने के आरोपी विजयपाल राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी के साथ-साथ रोशनाबाद में बने हॉकी स्टेडियम में कोच भी रहे हैं.
आखिर भारत की हार पर वो पटाखा क्यों फोड़ रहे थे. विजय कहते हैं, ‘‘चार अगस्त को मुझे बुखार हुआ था. मेरा दोस्त सुमित चौहान मुझे देखने आया था. बुखार काफी ज़्यादा था तो मैं अपने घर में लेटा हुआ था. उसी दौरान मेरे छत पर से पटाखों की आवाज़ आई. मैं और मेरी बहन ऊपर देखने गए. थोड़ी देर बात नीचे हंगामा होने लगा. वे मेरे पिता के खिलाफ नारे लगा रहे थे. थोड़ी देर में वहां पुलिस के दो कॉस्टेबल आ गए. उन्होंने पूछा कि आपने पटाखे जलाए हैं. हमने इसका जवाब नहीं दिया. हमें खुद नहीं पता कि पटाखे कहां से और कैसे आए.लेकिन मेरी एक भी बात किसी ने नहीं सुनी और थाने लेकर चले गए.’’
विजयपाल अपने को पूरी तरह निर्दोष बताते हैं. वो कहते हैं, ‘‘दरअसल चंद्रशेखर कटारिया के साथ हमारी पुरानी रंजिश है. जब मैं यहां हॉकी का कोच था तब उनके बेटे अंशु ने मुझ पर बीच सड़क पर हमला कर दिया था. उससे पहले सड़क पर ड्रम रखने को लेकर उन्होंने हमारे परिवार से मारपीट की थी. गलत आरोप लगाकर हमें फंसाया जा रहा है. मैं खुद इंडिया से खेलना चाहता हूं, लेकिन गलत आरोप लगाते हुए उन्होंने नहीं सोचा कि मेरा करियर तबाह हो जाएगा. मैंने ना जातिवादी शब्द का प्रयोग किया और ना ही पटाखे जलाए.’’
गांववालों से बातचीत में हमने पाया कि वंदना और विजयपाल के परिजनों के बीच पहले से विवाद रहा है. 14 अगस्त, 2018 को दोनों परिवारों के बीच एक दूसरे के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है. टीटू पाल ने एफआईआर में वंदना के भाई चंदशेखर, पंकज और सौरभ कटारिया के साथ-साथ उनके भतीजे आशू कटारिया पर भी मारपीट का आरोप लगाया था. ये दोनों एफआईआर हमारे पास हैं.
14 अगस्त को ही वंदना के पिता नाहर सिंह ने टीटू पाल सहित चार लोगों पर मारपीट करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करायी थी. नाहर सिंह ने टीटू पर अपने दोनों लड़के और साले के साथ मिलकर बेटे, बहु और परिवार के दूसरे लोगों से मारपीट करने का आरोप लगया था.
इसी पुरानी रंजिश को आधार बनाकर विजयपाल के वकील कुलदीप सिंह ने उन्हें जमानत दिलवाई है. कुलदीप सिंह न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ''दोनों परिवारों के बीच पुरानी रंजिश है. विवाद को सुलझाने की भी कोशिश हुई लेकिन किसी कारण से ऐसा नहीं हुआ. यह आरोप उसी से प्रेरित है. हमने इसे आधार बनाया और जज साहब ने जमानत दे दी.’’
हमने इस घटना के चश्मददीद 27 वर्षीय मनोज कटारिया से भी बात की. मनोज का दावा है कि उन्होंने पूरी घटना अपनी आंखों से देखी थी. मनोज की मनी ट्रांसफर की दुकान विजयपाल के घर के बिलकुल सामने है. मनोज कहते हैं, ‘‘उस दिन मैं अपनी दुकान पर हॉकी का मैच देख रहा था. मैच खत्म होने वाला था तभी पहला पटाखा फूटा. हमें लगा की किसी ने फोड़ा होगा. लेकिन जब दूसरी बार बम फूटा तो हम बाहर निकलकर देखने लगे. हमने देखा कि विक्की (विजयपाल) और उसका भाई अंकुर पटाखे फोड़ रहे थे. इस दौरान उस बम की सुतली नीचे गिरी जिसका हमने वीडियो भी बनाया.’’
मनोज आगे कहते हैं, ‘‘कुछ ही मिनट बाद वंदना कटारिया के भाई वहां आए और पूछने लगे कि पटाखे क्यों फोड़ रहे हो. उन्होंने पुलिस को भी बुला लिया. पुलिस विक्की को लेकर चली गई. तभी वंदना के भाई ‘टीटू पाल मुर्दाबाद’ के नारे लगाने लगे. जिसके बाद विक्की की मां ने ‘वंदना का भाई मुर्दाबाद’, ‘नाहर सिंह का परिवार मुर्दाबाद’ का नारा लगाने लगी. उसने जातिवादी शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा, तुम... (जातिवादी गाली) हो हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते. यह सब पुलिस वालों के सामने हुआ.’’
पाल परिवार का कहना है कि पटाखे किसी और ने जलाकर उनके घर की छत पर फेंका. हालांकि हमने पाया कि उनके घर के दाएं और पीछे वाले हिस्से में कोई घर नहीं है. वहीं बाईं तरफ वंदना के खानदान से ही जुड़े सपना का घर है. आशा वर्कर सपना ने हमें बताया, ‘‘मैं उस वक़्त कमरे में थी. तभी पटाखे की आवाज़ आई. अब पटाखे किसने फोड़े ये हमने नहीं देखा.’’
जिस वक़्त यह घटना हुई उस वक़्त वंदना के घर पर कई पत्रकार मौजूद थे. हमने उस वक़्त वहां मौजूद रहे एक राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल के स्थानीय रिपोर्टर से हरिद्वार प्रेस क्लब में मुलाकात की. नाम नहीं छापने की शर्त पर वे न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘हम कवर करने के लिए वहां मौजूद थे. मैच खत्म हुआ तभी पटाखे फूटने लगे. जहां मैच चल रहा था उस कमरे में काफी भीड़ थी तो मैं बाहर आ गया. मैंने देखा कि पास के ही छत पर पटाखे फोड़े जा रहे थे. उस वक़्त भारत की हार के बाद हम परिवार का बाइट करने लगे और थोड़ी देर बाद नीचे गए तो वहां काफी भीड़ थी और हंगामा हो रहा था.’’
घटना के वक्त वहां मौजूद रहे तमाम लोगों से बातचीत के बाद हमने पाया कि पटाखे तो विजय और अंकुर पाल ने ही फोड़े लेकिन जातिवादी शब्दों का इस्तेमाल उनकी मां ने किया था.
सवाल यह उठता है कि आखिर पाल भाइयों ने पटाखे क्यों जलाए. इसका सवाल का जवाब वंदना के परिवार के पास भी नहीं है. लाखन कटारिया कहते हैं कि पुरानी रंजिश का इस मामले से कोई लेना देना ही नहीं है. वहां भारत की टीम खेल रही थी न कि सिर्फ वंदना. जब टीम हार गई तो पूरा देश दुखी था और ये जश्न मना रहे थे. यह तो देशद्रोह है.
घटना के वक्त वंदना के घर मौजूद रहे पत्रकार कहते हैं, ‘‘मुझे इसके दो कारण लगते हैं. पहला तो वो लड़का भी राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी है. उसके साथ की, पड़ोस की लड़की ओलंपिक में खेल ही नहीं रही थी बल्कि बेहतरीन प्रदर्शन कर रही थी. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जब वंदना ने तीन गोल दागे तो उसके यहां अधिकारियों और नेताओं का आना-जाना शुरू हो गया. ऐसे में उसे जलन हुई होगी. दूसरा कारण जातीय अहंकार हो सकता है. वो ये बात पचा ही नहीं पाया कि एक दलित लड़की इतना आगे कैसे बढ़ गई.’’
पुलिस ने जांच में क्या पाया
एसी/एसटी एक्ट के कारण यह मामला राजपात्रित अधिकारी के पास गया. मामले की जांच हरिद्वार एएसपी विशाखा भड़ाने कर रही हैं. हालांकि जब हम वहां पहुंचे तब वो ट्रेनिंग के लिए बाहर गई हुई थीं.
एएसपी के साथ इस मामले से जुड़े एक पुलिस अधिकारी न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘अभी इस मामले की जांच में कोई प्रोग्रेस नहीं है. मैडम के आने के बाद ही जांच बढ़ेगी या हो सकता है कि कप्तान साहब किसी और को केस दे दें. वैसे ऐसे मामलों में गिरफ्तारी जल्दी नहीं होती लेकिन कानून व्यवस्था न बिगड़े इसलिए हमने उन्हें गिरफ्तार किया था. जिला जज विवेक भारती शर्मा ने उन्हें जमानत दे दी है. सरकारी वकील ने उनकी जमानत का विरोध किया था. अब तक पटाखे जलाने, जातिवादी शब्दों का इस्तेमाल करने या ख़ुशी में डांस करने का कोई भी इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस हमें नहीं मिला है. जांच शुरू होगी तो देखा जाएगा कि क्या होता है.’’
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