1991 से 2021: आर्थिक उदारवाद के 30 साल

जानिए, ऐसा क्या हुआ कि सरकार के पास आर्थिक उदारीकरण अपनाना ही आखिरी उपाय बचा था और तब से अब तक देश की आर्थिक स्थिति में कितना फर्क आया है.

   

सारांश के इस एपिसोड में जानिए 1991 आर्थिक उदारीकरण (इकोनॉमिक रिफॉर्म्स) के बारे में जिसे हाल ही में 30 वर्ष पूरे हो चुके हैं. इस एपिसोड में हम आपको भारत के तीन दशकों के आर्थिक सुधार का एक सफर करवाएंगे. 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने कई महत्तवपूर्ण फैसले लिए. उस दौरान देश की आर्थिक स्थिति चरमरा गई. वो ऐसा समय था जब भारत को अपने कर्जे चुकाने के लिए सोना गिरवी रखना पड़ा था.

भारतीय बाजार को खोलना मजबूरी का विकल्प बन चुका था. उस समय सरकार ने बंद अर्थव्यवस्था (क्लोज़्ड इकॉनमी) से खुली अर्थव्यवस्था (ओपन इकॉनमी) का रास्ता अपना लिया. इस सप्ताह सारांश के इस एपिसोड में जानिए, ऐसा क्या हुआ कि सरकार के पास आर्थिक उदारीकरण अपनाना ही आखिरी उपाय बचा था और तब से अब तक देश की आर्थिक स्थिति में कितना फर्क आया है.

पूरा वीडियो यहां देखें-

Also see
article imageभारत के 25 उच्च न्यायालयों में पुरुष जज 567 तो महिला जज महज 77
article imageउत्तराखंड: पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र झीलों की नगरी नैनीताल संकट में है

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like