दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
बीते हफ्ते भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की अफगानिस्तान में तालिबानियों ने हत्या कर दी. दानिश अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्था रॉयटर्स से जुड़े थे. दानिश को अपनी शानदार फोटोग्राफी के लिए दुनिया भर में पत्रकारिता का सबसे बड़ा पुलित्ज़र पुरस्कार मिला था. दिल्ली में हुए दंगे, सीएए-एनआरसी के खिलाफ हुआ शाहीन बाग का प्रदर्शन या फिर कोरोना की दूसरी वेव के दौरान उनकी तस्वीरों को पूरी दुनिया ने सराहा था. हम दानिश को श्रद्धांजलि देते हैं.
जिनके न बाल हैं, न बच्चे हैं वो बता रहे हैं कि आपको कितने बाल-बच्चे पैदा करना है. दूसरी तरफ जिनके चार-चार बच्चे हैं वो भी अब चाहते हैं कि आप बस दो बच्चे ही पैदा करें. सांसद रवि किशन कभी दुपट्टा पर कट्टा तानते थे. लहंगा इनका सबसे प्रिय विषय हुआ करता था. लहंगे को रिमोट से उठा देना इन्हीं का खालिस आविष्कार था. कभी-कभी लहंगे में जंगला भी लगा देते थे. अब रवि किशन की हसरतें कुछ और हैं. अपनी दो-चार पुश्तों की किस्मत इसी अश्लीलता की बुनियाद पर सुरक्षित करने वाले रवि किशन की ताजा हरसत है कि भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलता बंद होनी चाहिए. यह लगभग अल्फ्रेड नोबेल के दर्जे का हृदय परिवर्तन है.
सांसद रवि किशन के भीतर एक नहीं, कई अपराधबोध हैं. अब वो ये भी चाहते हैं कि बाकी जमाना दो बच्चों पर ही फुल स्टॉप मार ले वरना उनकी सब्सिडी छीन ली जाए, प्रमोशन रोक दिया जाय, चुनाव से बेदखल कर दिया जाय, नौकरी के मौकों से खारिज कर दिया जाय. इस बाबत वो संसद में एक प्राइवेट मेंबर बिल लाएंगे.
इस देश में जनसंख्या एक समस्या है. लेकिन इस देश में जनसंख्या जितनी बड़ी समस्या है उससे कई गुना ज्यादा यह सियासी समस्या है. कभी इस देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए जबरिया नसबंदी का रास्ता संजय गांधी ने अपनाया था. आज नारा बदल चुका है. संजय तेरा स्वप्न अधूरा, योगी बाबा करेंगे पूरा. उत्तर प्रदेश के चुनावों से ठीक पहले इस जिन्न को सोच समझ कर आजाद किया गया है. इसका निशाना मुसलमान है, इसका लक्ष्य ध्रुवीकरण है. इस देश में दक्षिण और पूर्वोत्तर के तमाम राज्यों ने इस तरह की भेदभाव वाली नीति के बिना ही जनसंख्या को स्थिर करने में कामयाबी पायी है. सारा मुजस्समा काउबेल्ट बोले तो गोबरपट्टी में ही फैला है.
इसके अलावा पेगसस जासूसी कांड में तमाम पत्रकारों के साथ ही बड़े-बड़े नेताओं, नौकरशाहों और मंत्रियों की संदिग्ध जासूसी की बात सामने आई है. इनमें राहुल गांधी से लेकर चुनाव आयुक्त तक शामिल हैं. इन्हीं विषयों पर केंद्रित है इस हफ्ते की टिप्पणी.