एनएल इंटरव्यू: बद्री नारायण, उनकी किताब रिपब्लिक ऑफ हिंदुत्व और आरएसएस

प्रोफेसर बद्री नारायण से उनकी ताजा-ताजा आई किताब रिपब्लिक ऑफ हिंदुत्वा पर बातचीत.

“आरएसएस जोड़ने की नीति के तहत काम करती है. दूर से भले ही हमें लगता है कि वह अपने नियमों को लेकर बहुत सख्त है लेकिन लोगों से जुड़ने के लिए वह अपने आप में समय-समय पर बदलाव के लिए तैयार है.”

यह बात सामाजिक इतिहासकार और गोविंद बल्लभ पंत सोशल साइंस इंस्टिट्यूट, इलाहाबाद के निदेशक प्रोफेसर बद्री नारायण ने हाल ही में प्रकाशित अपनी नई किताब पर बातचीत के दौरान अतुल चौरसिया से कहीं.

‘रिपब्लिक ऑफ हिंदुत्व’ नाम की यह किताब आरएसएस द्वारा किए गए सामाजिक, राजनीतिक और संस्कृतिक प्रयोगों और जमीनी स्तर पर लोगों में उसके प्रभाव के बारे में बात करती है.

प्रोफेसर बद्री नारायण आरएसएस के विस्तार पर कहते हैं, “वह हमेशा नए लोगों को जोड़ता रहता है. 2000 के आसपास जब मैं दलितों पर काम कर रहा था. तब मैंने देखा कि आरएसएस के प्रचारक वहां आ कर काम कर रहे थे. मैं तब से आरएसएस के बारे में लिख रहा हूं लेकिन तब मैं अलग-अलग समाचार संस्थानों में कॉलम लिखता था, अब यह एक किताब की शक्ल में आप के सामने आई है.”

वह कहते हैं, “आरएसएस कई ऐसे इलाकों में काम कर रही हैं जहां हम सोच भी नहीं सकते. जैसे की नार्थ ईस्ट या पिर देश के आदिवासी इलाके, वह हर जगह काम कर रहे हैं. यह ऐसे क्षेत्र हैं जहां क्रिश्चयन लोग और गांधीवादी विचारधारा वाले लोग पहले से काम कर रहे हैं लेकिन हाल के वर्षों में आरएसएस भी वहां पहुंच गया है.”

एक संगठन के रुप में आरएसएस को लेकर बद्री नारायण कहते हैं, “जैसे अमेरिका सबको अपने में समाहित कर लेता हैं, वैसे ही आरएसएस भी सभी को अपने में समाहित कर लेता है. जिसके कारण ही वह एक बढ़ा संगठन बनता गया.”

पूरी बातचीत के लिए यह इंटरव्यू देखें.

Also see
article imageक्या मोदी सरकार ने मीडिया विज्ञापनों पर संसद को किया गुमराह?
article imageएनएल इंटरव्यू: राहुल पंडिता, उनकी किताब द लवर बॉय ऑफ बहावलपुर और कश्मीर

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like