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एनएल चर्चा 175: दिलीप कुमार: सिनेमा, रिश्ते और फ़न

हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ़्ते भर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.

     
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एनएल चर्चा का 175वां अंक विशेष रूप से दिलीप कुमार को समर्पित रहा. इसके अलावा अन्य मुद्दों जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कैबिनेट विस्तार, आदिवासी हितों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता स्टैन स्वामी की मौत आदि इस हफ्ते चर्चा के प्रमुख विषय रहे.

इस बार चर्चा में बतौर मेहमान कवि और विविध भारती के उद्घोषक युनुस खान, फिल्म समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज शामिल हुए. न्यूज़लॉन्ड्री के सहसंपादक शार्दूल कात्यायन भी चर्चा का हिस्सा रहे. संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.

दिलीप कुमार के फिल्मी सफर पर बात करते हुए अतुल, युनुस खान से उनकी टिप्पणी मांगते हुए कहते हैं, जिस विषय की हमें बहुत कम जानकारी होती है, अक्सर हम उस पर सतही तौर पर बात करने लगते हैं. लेकिन जब किसी कलाकार की बात होती है तो उसके कद की बात होती जरूर होती है. आप दिलीप कुमार के बारे में कुछ दुर्लभ बातें जो हमारे श्रोताओं को बता सकें.

अतुल के सवाल का जवाब देते हुए युनुस कहते हैं, “आप ने जो मुद्दे उठाए वह दिलीप कुमार के बारे में बात करने के लिए सबसे उपयुक्त और उनकी शख्सियत पर बात करने वाले विषय हैं. दिलीप कुमार को हम सिर्फ एक एक्टर के तौर पर नहीं देख सकते. उनकी पूरी यात्रा को हमें ऐसे देखना होगा कि एक ऐसा व्यक्ति जो किसी पारिवारिक विरासत से नहीं आया, जिसके मन में अभिनय को लेकर कई संशय थे. लेकिन उसने अभिनय का एक ऐसा व्याकरण रचा. जिसकी कॉपी कर बहुत से एक्टर्स ने अपनी फिल्मी सफर की शुरुआत की. उनकी फिल्मों में उनका योगदान सिर्फ एक एक्टर के तौर पर नहीं होता था बल्कि वह फिल्म के हर हिस्से से जुड़े होते थे.”

अतुल ने इसी विषय पर अजय ब्रह्मात्मज को चर्चा में शामिल करते हुए पूछा, “वह एक ऐसे संस्थान थे, कि हर लोग उनकी तरह बनना चाहते थे. मौजूदा पीढ़ी में दिलीप कुमार की कमी को लोगों ने महसूस किया?”

अजय जवाब देते हुए कहते हैं, “ना सिर्फ हिंदी फिल्म इंडस्ट्री बल्कि हमारे पूरे समाज में हम लोग सीखने की जगह उनकी प्रतिमा बना देते हैं, हम सीखना नहीं चाहते हैं. दिलीप कुमार का व्यक्तित्व सबसे अलग था. शायद इसलिए जावेद अख्तर कहते थे, डिगनिटी शब्द बोलते ही मेरे मन में दिलीप कुमार आ जाते हैं. तो उनकी मौजूदगी ही फिल्मी इंडस्ट्री को एक ताकत का एहसास करता था.”

इसी विषय पर शार्दूल कहते हैं, “दिलीप कुमार का काम फिल्म इंडस्ट्री में एक मिल का पत्थर की तरह साबित हुआ है. जैसे आप सभी ने बात की ठहराव की. तो मुझे लगता है यह अद्भुत गुण था दिलीप साहब में.”

दिलीप कुमार की पूरी जर्नी पर विस्तार से युनुस खान और अजय ब्रह्मात्मज से बातचीत हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए इस पूरे पॉडकास्ट को जरूर सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.

0:00-1:35 - इंट्रो

4:09-7:50 - हेडलाइन

8:04-13:10 - कैबिनेट विस्तार

13:30- 1:00:00 - दिलीप कुमार की जर्नी

1:00:00 - क्या पढ़ें क्या देखें

पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए.

युनुस खान

नसीरुद्दीन शाह की ऑटोबायोग्राफी - एंड देन वन डे

आनंद बक्शी कि किताब- नगमे, किस्से, बातें, यादें

दिलीप कुमार की फिल्म - मुसाफिर

नैन लड़ जाइए तो मनवा में कसक होईबे करी - गाना

मेरे पैरों में घुंघरू बंधा दे तो फिर मेरी चाल देख ले - गाना

आज की रात मेरे दिल की सलामी ले ले - गाना

जाने वाले से मुलाकात ना हो पाए - गाना

अजय ब्रह्मात्मज

नीना वर्मा की ऑटोबायोग्राफी- सच कहूं तो

शार्दूल कात्यायन

पेट्रोल और डीजल के दाम पर अश्वनी कुमार सिंह का एक्सप्लेनर

रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा - गाना

स्टैन स्वामी पर न्यूज़लॉन्ड्री पर प्रकाशित प्रतीक गोयल की रिपोर्ट

यूएन न्यूज - टाइम रनिंग आउट ऑर कन्ट्रीज ऑन क्लाइमेंट क्राइसिस फ्रंटलाइन

यूएन न्यूज - द ट्रिलियन डॉलर क्लाइमेंट फाइनेंस चैलेंज (एंड अपॉर्चुनिटी)

अतुल चौरसिया

बद्री नारायण तिवारी की किताब - रिपब्लिक ऑफ हिंदुत्व

अमृत राय की किताब - कलम का सिपाही

उड़े जब-जब जुल्फे तेरी - गाना

***

प्रोड्यूसर- लिपि वत्स और आदित्य वारियर

एडिटिंग - सतीश कुमार

ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह

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