शहर का एक अस्पताल कोरोना संकट की गंभीरता को कम कर सकता था अगर यह पूरी तरह कार्यात्मक होता. लेकिन ऐसा क्यों नहीं हुआ?
राजस्थान के अलवर में, महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन, आईसीयू बेड और वेंटीलेटर की कमी के कारण कोविड मरीज़ों की मृत्यु हो गई. शहर का एक बड़ा सरकारी अस्पताल अगर पूरी तरह से काम करता तो संकट की गंभीरता को कम किया जा सकता था. 33 वर्षीय राहुल शर्मा की 22 मई को मृत्यु हो गई. शहर में इलाज नहीं मिल पाने के कारण उन्हें दौसा ले जाना पड़ा. वहां भी उन्हें न ऑक्सीजन मिला, न उन्हें कोई डॉक्टर देखने आया.
परिवार का कहना है कि अगर अलवर का ईएसआई अस्पताल चालू होने के लिए किसी नेता द्वारा उद्घाटन का इंतज़ार नहीं करता तो शायद उनके बेटे की जान बच जाती. यह कहानी केवल राहुल की नहीं है. उनके जैसे अलवर के कई मरीज़ ईएसआई अस्पताल से उम्मीद लगाए बैठे थे कि उन्हें वहां इलाज मिलेगा मगर सरकार ने राजनेता द्वारा अस्पताल शुरू कराने में देरी कर दी.