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अतुल ने रितिका से विनोद दुआ के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई पर सवाल किया.
रितिका जवाब कहती हैं, “सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विनोद दुआ ने अपने शो में जो कहा वह राजद्रोह नहीं है. इसका मतलब ये है कि उन्होंने देश के खिलाफ कुछ नहीं बोला और ना ही वो चाहते हैं कि वो देश के टुकड़े-टुकड़े हों. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि उन्होंने जो सरकार के खिलाफ जो बोला वो आलोचनात्मक जरूर था लेकिन देश के खिलाफ कुछ नहीं था.”
रितिका ने सुप्रीम कोर्ट की राय के बारे में बताते हुए कहा, “1962 में केदारनाथ सिंह बनाम बिहार सरकार के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी पर राजद्रोह तभी लग सकता है जब उसके बोलने पर पब्लिक ऑर्डर खराब हो और हिंसा हो. सरकार की आलोचना करना राजद्रोह नहीं माना जाता. केदारनाथ जजमेंट एक लैंडमार्क जजमेंट है.”
रितिका आगे कहती हैं, “हाल फिलहाल में जितने लोगों पर राजद्रोह लगा है उन सब पर सरकार की आलोचना करने के कारण ही लगा है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पिछले एक दो महीने से चर्चा हो रही है. कोर्ट ने कहा था कि राजद्रोह को परिभाषित किया जाना जरूरी है.”
सुप्रीम कोर्ट ने लंबे समय से लंबित इस कानून पर एक स्पष्टता देने की कोशिश की है हालांकि कोर्ट इस कानून को पूरी तरह से खत्म करने के बारे में कोई निर्णय देने से बचते हुए सिर्फ इतना ही कहा कि यह विधायिका का कार्यक्षेत्र है.
राजद्रोह के विभिन्न पहलुओं पर इस बार की चर्चा में बहुत विस्तार से बातचीत हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए इस बार का एनएल चर्चा पॉडकास्ट जरूर सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
टाइम कोड
0 :00 - इंट्रो
1:07 - हेडलाइन
3:50 - जीडीपी के आंकड़े
12:00 - विनोद दुआ के मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
44:00 - वैक्सीनेशन पॉलिसी
59:46 - पुराने ट्वीट्स को लेकर उपजा विवाद
1:16:35 - सलाह और सुझाव
पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए.
रितिका जैन
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आनंद वर्धन
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एडिटिंग - सतीश कुमार
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