नए आईटी नियमों का पालन नहीं करने को लेकर ट्विटर के खिलाफ दायर की गई याचिका

याचिका में कहा गया की अब तक ट्विटर द्वारा अपने प्लेटफॉर्म पर ट्वीट के संबंध में शिकायतों से निपटने के लिए किसी भी शिकायत निवारण अधिकारी को नियुक्त नहीं किया गया है.

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नए आईटी नियमों का पालन नहीं करने को लेकर ट्विटर के खिलाफ शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई. याचिका में कहा गया है कि नए आईटी नियम 25 फरवरी से लागू हुए हैं और केंद्र ने ट्विटर सहित हर सोशल मीडिया माध्यम को उनका पालन करने के लिए तीन महीने का समय दिया था लेकिन ट्विटर ने उसका पालन नहीं किया.

लाइव लॉ की खबर के मुताबिक, याचिकाकर्ता अमित आचार्य ने तर्क दिया कि 25 मई को तीन महीने की अवधि समाप्त हो गई, लेकिन अब तक ट्विटर द्वारा अपने प्लेटफॉर्म पर ट्वीट के संबंध में शिकायतों से निपटने के लिए किसी भी शिकायत निवारण अधिकारी को नियुक्त नहीं किया गया है.

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याचिकाकर्ता ने कहा, 26 मई को जब वह ट्विटर पर खबरें पढ़ रहे थे तभी दो लोगों के ट्वीट विवादित और गलत थे. जिसकी शिकायत करने के लिए जब शिकायत अधिकारी ने करना चाहा, तो सोशल मीडिया कंपनी की वेबसाइट पर इसको लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई. जबकि नए नियमों के तहत उसे तीन अधिकारियों की नियुक्ति करनी है.

बता दें कि कुछ दिनों से ही ट्विटर सरकार के निशाने पर है. इसकी शुरुआत बीजेपी नेताओं द्वारा शेयर किए गए एक टूलकिट से हुई थी. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा द्वारा शेयर एक ट्वीट को ट्विटर ने मैनिपुलेटेड ट्वीट करार दिया, जिसके बाद ट्विटर और केंद्र के बीच गर्मागर्मी देखने को मिली.

इसके बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ट्विटर को एक पत्र भी लिखा था, जिसके कुछ दिनों बाद ही दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने ट्विटर इंडिया के दिल्ली और गुड़गांव ऑफिस पर छापा मारा था.

पुलिस रेड को लेकर ट्विटर ने अपने एक बयान में कहा कि, हमें अपने भारत में काम करने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा की चिंता है. साथ ही ट्विटर ने कहा की नए आईटी नियमों में कुछ प्रावधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं.

केंद्र सरकार ने इस पर तीखा प्रहार करते हुए कहा की कानून बनाना और नीति निर्माण करना देश की सरकार का काम है. ट्विटर सिर्फ एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है और भारत की कानूनी नीति को निर्धारित करना उसका काम नहीं है.

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