फ्रंटलाइन वर्कर्स और स्वास्थ्य सेवाओं पर आधारित कोविड एनएल वेबिनार.
कोरोना महामारी के दौर में चरमराई स्वास्थ्य सेवा पर न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने इस बार डॉक्टर अविरल वत्स से बात की. डॉक्टर अविरल नेशनल हेल्थ सिस्टम, स्कॉटलैंड के सदस्य हैं.
भारत और यूके के सिस्टम पर अतुल सवाल पूछते हैं- 'जब हम फ्रंटलाइन हेल्थ केयर सिस्टम की बात करते हैं, तो यूके का सिस्टम काफी एडवांस माना जाता है और वहीं भारत का सिस्टम इस समय चरमराता नज़र आ रहा है. तो वो कोन से ऐसे तरीके हैं जिसकी वजह से यूके इस समस्या से निपट पा रहा है?'
अविरल कहते है, "देखिये इसमें तीन लेवल पर चीज़ों को समझना ज़रूरी है. हेल्थ केयर सिस्टम, पब्लिक और सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक तौर पर निर्णय लेना. यूके में स्वास्थ्य सेवाएं पुब्लिक सर्विस में आती हैं. मुझे लगता है जो सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी होती है वो सरकारों के राजनीतिक निर्णयों की होती है, क्योंकि वो सबको प्रभावित करती हैं. उसके बाद हेल्थ केयर सिस्टम और फिर आखिर में पब्लिक, क्योंकि उसे भी ज़िम्मेदारी से सूचनाओं का पालन करना होता है."
वो आगे कहते हैं, "यहां के हेल्थ सिस्टम में शुरू से दो तीन चीज़े काफी अच्छी की गयीं जिसके चलते जो नुकसान था हम उसे कम कर पाए. सबसे पहले ये था की शुरू में ही कुछ इंडिपेंडेंट बॉडीज़ बन गयीं और कुछ पहले से हमारे यहां थीं. जैसे सर्जन, इमरजेंसी डॉक्टर, इनकी अपनी-अपनी अलग इंडिपेंडेंट बॉडीज़ हैं. ये हर साल एविडेंस को इक्ट्ठा करती हैं और जो उससे जुड़े डॉक्टर्स हैं, उन्हें इसके बारे में बताती भी रहती हैं. ये सिस्टम हमारा बहुत सालों से चलता आ रहा है. तो इस महामारी में हमने उस सिस्टम को बखूबी इस्तेमाल किया."
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