आठ मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुरादाबाद के मनोहरपुर गांव में कोरोना पीड़ित सुंदर सिंह से मिलने पहुंचे थे.
सिंह कहते हैं, ‘‘मैं सीएम साहब से और भी परेशानी कहना चाहता था लेकिन वे मुश्किल से दो-तीन मिनट यहां रहे.मुख्यमंत्री साहब ने शौचालय बनाने के वादा किया, लेकिन अब तक नहीं बन पाया. उन्होंने ये भी कहा था कि एक मेडिकल टीम नियमित रूप से हमारी जांच के लिए आएगी पर दोबारा कोई भी नहीं आया.’’
सुंदर सिंह के 27 वर्षीय बेटे अमित को 28 अप्रैल को बुखार आया था. दो दिन बाद उन्होंने एंटीजन टेस्ट कराया जिसमें रिजल्ट निगेटिव आया. हालांकि 3 मई को आरटी-पीसीआर टेस्ट में रिपोर्ट पॉजिटिव आई. 5 मई को गांव में कोरोना के परीक्षण के लिए टीम आई तो परिवार के बाकी लोगों का भी एंटीजन टेस्ट किया गया. सुंदर सिंह पॉजिटिव आए. लक्षण होने के बावजूद अमित की मां और बहन की रिपोर्ट निगेटिव आई.
कोरोना टेस्ट को लेकर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने अपने दिशा-निर्देशों में कहा है कि यदि कोई लक्षण वाला व्यक्ति एंटीजन टेस्ट में निगेटिव आए तो उसका आरटी पीसीआर टेस्ट किया जाना चाहिए. सुंदर के परिवार के यह छह दिन बाद 11 मई तक ऐसा नहीं हुआ. 11 मई को आरटी पीसीआर टेस्ट हुआ उसमें सुंदर की पत्नी शारदा देवी और बेटी की रिपोर्ट निगेटिव आई. केवल इनके भाई महिलाल की रिपोर्ट पॉजिटिव आई.
सुंदर अपने परिवार में इकलौते कमाने वाले हैं. एक ईट भट्टे पर 300 रुपये के दिहाड़ी आमदनी से ही उनके परिवार में दस लोगों का भरण पोषण होता है. सुंदर के क्वारंटाइन होने से परिवार की आमदनी का कोई स्रोत नहीं है.
शारदा देवी कहती है, ‘‘एक तो जब से योगी जी आएं हैं गांव वाले पूछते हैं क्या दिया उन्होंने. उन्हें लगता है कि कुछ पैसे वैसे दिए हैं. लेकिन आज इनके (सुंदर की तरफ इशारा करते हुए) क्वारंटाइन होने से बच्चों के लिए खाने पीने का इंतज़ाम करना मुश्किल हो गया है. घर में कई लोग बीमार हैं. उनके लिए दवाई लानी पड़ती है. दो छोटे-छोटे बच्चे हैं उनके लिए दूध भी आता है. हमें तो सरकार से न सिलेंडर मिला है और ना आयुष्मान कार्ड. हमें तो घर भी नहीं मिला.’’
सुंदर की भतीजी रोमा जो उस वक़्त घर पर मौजूद थीं, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आए थे. वो बताती है, ’’हम मुख्यमंत्री से बहुत कुछ कहना चाहते थे. हमारा बिजली बिल दोगुना आया है. क्वारंटाइन होने से काम बंद है. घर पर राशन है, लेकिन सरसों का तेल 200 रुपए किलो हो गया है. इसका इंतज़ाम हम कैसे करेंगे, बच्चों की पढ़ाई रुक गई है. हम लोग इतने अमीर तो नहीं कि अपने यहां दस-दस हज़ार का फोन खरीदकर लाएं ताकि बच्चे पढ़ सकें. कोई इंतज़ाम नहीं है यहां पर.’’
सुंदर सिंह की तरह ही रोमा नाराज़गी के साथ कहती हैं, ‘‘मुख्यमंत्री के आने के बाद हमें बहुत उम्मीदें थीं. लेकिन इससे कुछ नहीं हुआ.’’
एक तरफ जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यात्रा के बावजूद लोगों की परेशानी काम नहीं हो रही दूसरी तरफ उनकी यात्रा को मीडिया में बढ़ा चढ़ाकर दिखाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. दैनिक जागरण ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसका शीर्षक दिया, UP में आपदा के समय युद्ध में टीम लीडर बनकर उभरे CM योगी आदित्यनाथ, 11 मंडलों के 47 जिलों को मथा.’’