गाजियाबाद जिले के मुरादनगर के उखलादसी कॉलोनी निवासी फल कारोबारी जयराम की हार्ट अटैक के बाद अस्पताल में मृत्यु हो गई थी. हादसे का शिकार हुए सभी लोग रविवार को इनकी अंत्येष्टि में ही शामिल हुए थे.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे में मृतकों के आश्रितों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए हैं. जिनसे पीड़ित परिवार संतुष्ट नहीं है.
सरकार की इस सहायता पर सवाल उठाते हुए नीतू कहती हैं, “दो लाख रूपए में होता क्या है. जिनके घर के लोग चले गए उनसे पूछो. कम से कम 10 लाख रूपए और परिवार में एक नौकरी तो होनी ही चाहिए. साथ ही जो लोग घायल हैं, सरकार उनके लिए भी कुछ न कुछ करे.”
हमने मामले में हुई प्रशासनिक कार्यवाही के अपडेट के लिए गाजियाबाद के जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे को फोन किया तो उनका फोन बंद था. इसके बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी को हमने फोन किया तो उन्होंने यह कह कर फोन काट दिया कि मीडिया में सारा अपडेट दिया हुआ है.
मुख्यमंत्री ने मण्डलायुक्त मेरठ एवं एडीजी मेरठ जोन को घटना के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए हैं. जो इस मामले की जांच कर रहे हैं.
मुरादनगर पुलिस की ओर से दिए गए बयान के मुताबिक इस मामले में अब तक मुरादनगर नगरपालिका ईओ, निहारिका सिंह, जूनियर इंजीनियर चंद्रपाल, सुपरवाइजर आशीष को गिरफ्तार किया जा चुका है.
इस बीच सोमवार को इस हादसे पर स्थानीय लोगों का गुस्सा फूट पड़ा, और मृतकों के परिजनों ने मेरठ गाजियाबाद रोड पर शवों को रखकर प्रदर्शन किया. जिसके चलते मेरठ तिराहे से मुरादनगर तक भीषण जाम लग गया. नाराज प्रदर्शनकारी सीएम को बुलाने की मांग कर रहे हैं. जाम के चलते राजनगर एक्सटेंशन से मुरादनगर की तरफ जाने वाले वाहनों पर पाबंदी लगा दी गई है.
इस बीच परिजनों का गुस्सा देख सोमवार शाम सरकार ने ऐलान किया कि प्रशासन आरोपियों की संपत्ति कुर्क करेगा. साथ ही मृतकों के परिजनों को मुआवजा दो लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने का आश्वासन दिया है. परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी देने की बात कही है. मेरठ जोन आईजी ने इसका लिखित आश्वासन दिया है.
इस घटना से एक बात साफ है कि यूपी सरकार भ्रष्टाचार पर भले ही जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने का दावा करती हो. लेकिन इस हादसे से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य में भ्रष्टाचार का जाल किस कदर फैला हुआ है. जहां अधिकारी श्मशान जैसे निर्माण कार्यों में भी भ्रष्टाचार से बाज नहीं आते और न ही लोगों की जान की परवाह करते हैं.
इससे पहले जुलाई में हरदोई के गोपामऊ से भारतीय जनता पार्टी के विधायक श्याम प्रकाश ने भ्रष्टाचार पर अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया था. सोशल मीडिया पर उन्होंने अपना दर्द पोस्ट करते हुए लिखा था, “मैंने अपने इतने बड़े राजनीतिक जीवन में इतना भ्रष्टाचार आजतक नहीं देखा है. जितना भ्रष्टाचार अभी देख और सुन रहा हूं, वह बेहद डराने वाला है.”
मई 2018 में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में राज्य सेतु निगम द्वारा बनाए जा रहे चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर का एक हिस्सा अचानक गिर जाने से 18 व्यक्तियों की मौत हो गई थी, और 11 अन्य घायल हो गए थे. इस घटना से लगता है कि सरकार ने पिछले हादसों से कोई सबक नहीं लिया है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे में मृतकों के आश्रितों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए हैं. जिनसे पीड़ित परिवार संतुष्ट नहीं है.
सरकार की इस सहायता पर सवाल उठाते हुए नीतू कहती हैं, “दो लाख रूपए में होता क्या है. जिनके घर के लोग चले गए उनसे पूछो. कम से कम 10 लाख रूपए और परिवार में एक नौकरी तो होनी ही चाहिए. साथ ही जो लोग घायल हैं, सरकार उनके लिए भी कुछ न कुछ करे.”
हमने मामले में हुई प्रशासनिक कार्यवाही के अपडेट के लिए गाजियाबाद के जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे को फोन किया तो उनका फोन बंद था. इसके बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी को हमने फोन किया तो उन्होंने यह कह कर फोन काट दिया कि मीडिया में सारा अपडेट दिया हुआ है.
मुख्यमंत्री ने मण्डलायुक्त मेरठ एवं एडीजी मेरठ जोन को घटना के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए हैं. जो इस मामले की जांच कर रहे हैं.
मुरादनगर पुलिस की ओर से दिए गए बयान के मुताबिक इस मामले में अब तक मुरादनगर नगरपालिका ईओ, निहारिका सिंह, जूनियर इंजीनियर चंद्रपाल, सुपरवाइजर आशीष को गिरफ्तार किया जा चुका है.
इस बीच सोमवार को इस हादसे पर स्थानीय लोगों का गुस्सा फूट पड़ा, और मृतकों के परिजनों ने मेरठ गाजियाबाद रोड पर शवों को रखकर प्रदर्शन किया. जिसके चलते मेरठ तिराहे से मुरादनगर तक भीषण जाम लग गया. नाराज प्रदर्शनकारी सीएम को बुलाने की मांग कर रहे हैं. जाम के चलते राजनगर एक्सटेंशन से मुरादनगर की तरफ जाने वाले वाहनों पर पाबंदी लगा दी गई है.
इस बीच परिजनों का गुस्सा देख सोमवार शाम सरकार ने ऐलान किया कि प्रशासन आरोपियों की संपत्ति कुर्क करेगा. साथ ही मृतकों के परिजनों को मुआवजा दो लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने का आश्वासन दिया है. परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी देने की बात कही है. मेरठ जोन आईजी ने इसका लिखित आश्वासन दिया है.
इस घटना से एक बात साफ है कि यूपी सरकार भ्रष्टाचार पर भले ही जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने का दावा करती हो. लेकिन इस हादसे से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य में भ्रष्टाचार का जाल किस कदर फैला हुआ है. जहां अधिकारी श्मशान जैसे निर्माण कार्यों में भी भ्रष्टाचार से बाज नहीं आते और न ही लोगों की जान की परवाह करते हैं.
इससे पहले जुलाई में हरदोई के गोपामऊ से भारतीय जनता पार्टी के विधायक श्याम प्रकाश ने भ्रष्टाचार पर अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया था. सोशल मीडिया पर उन्होंने अपना दर्द पोस्ट करते हुए लिखा था, “मैंने अपने इतने बड़े राजनीतिक जीवन में इतना भ्रष्टाचार आजतक नहीं देखा है. जितना भ्रष्टाचार अभी देख और सुन रहा हूं, वह बेहद डराने वाला है.”
मई 2018 में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में राज्य सेतु निगम द्वारा बनाए जा रहे चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर का एक हिस्सा अचानक गिर जाने से 18 व्यक्तियों की मौत हो गई थी, और 11 अन्य घायल हो गए थे. इस घटना से लगता है कि सरकार ने पिछले हादसों से कोई सबक नहीं लिया है.