भाजपा और संघ के कई कार्यकर्ताओं द्वारा पत्रकारों को फांसी देने की मांग करता हुआ वीडियो फैलाया गया

द स्ट्रिंग नाम के चैनल के द्वारा बनाया गया यह वीडियो पत्रकारों के खिलाफ सरकारी कार्यवाही की मांग करता है, जिसमें न्यूजलॉन्ड्री भी शामिल है, यूट्यूब के द्वारा हटा दिया गया है.

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भाजपा और संघ के कई कार्यकर्ताओं द्वारा पत्रकारों को फांसी देने की मांग करता हुआ वीडियो फैलाया गया
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यह दोहरा मापदंड नहीं चलेगा

जब ये भाजपा और संघ के समर्थक उस वीडियो को बढ़ावा दे रहे थे जिसमें पत्रकारों को टांग देने की मांग की जा रही थी. उसी समय केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद सोशल मीडिया कंपनियों को भड़काऊ सामग्री और गलत जानकारी पर रोक न लगा पाने पर, चेतावनी देने में व्यस्त थे.

संसद में पूछे गए कई प्रश्नों का उत्तर देते हुए सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया संस्थानों को देश के कानूनों का पालन करना चाहिए. नागरिकों के अधिकारों और प्रेस की स्वतंत्रता की तरफ अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार, कानून व्यवस्था को लेकर चिंतित है और इसलिए हिंसक सामग्री का प्रचार और गलत जानकारी को जरा भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

उन्होंने यह दावा करते हुए कि, सोशल मीडिया कंपनियां अमेरिका के कैपिटल हिल दंगों और भारत में लाल किले पर किसानों के चढ़ जाने के लिए अलग-अलग मानदंड रखती हैं- जिसका एक अर्थ यह निकलता है कि वह इन दोनों घटनाओं को बराबर समझते हैं. उन्होंने कहा कि "यह दोहरा मापदंड नहीं चलेगा."

तो जहां एक तरफ भाजपा सरकार ट्विटर से भारत के कानूनों का पालन करने की मांग कर रही है और कारवां जैसे टि्वटर खातों को निलंबित करवा रही है, दूसरी तरफ उसके पदाधिकारी और समर्थन करने वाले एक अविश्वसनीय और बिना जांचे परखे गए नकलची प्लेटफार्म पर जा रहे हैं, इसी सबके बीच सत्ताधारी दल के नेताओं की बदौलत पत्रकारों को मारने की खुली मांग करता हुआ एक वीडियो धड़ल्ले से फैलाया जा रहा है.

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यह दोहरा मापदंड नहीं चलेगा

जब ये भाजपा और संघ के समर्थक उस वीडियो को बढ़ावा दे रहे थे जिसमें पत्रकारों को टांग देने की मांग की जा रही थी. उसी समय केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद सोशल मीडिया कंपनियों को भड़काऊ सामग्री और गलत जानकारी पर रोक न लगा पाने पर, चेतावनी देने में व्यस्त थे.

संसद में पूछे गए कई प्रश्नों का उत्तर देते हुए सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया संस्थानों को देश के कानूनों का पालन करना चाहिए. नागरिकों के अधिकारों और प्रेस की स्वतंत्रता की तरफ अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार, कानून व्यवस्था को लेकर चिंतित है और इसलिए हिंसक सामग्री का प्रचार और गलत जानकारी को जरा भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

उन्होंने यह दावा करते हुए कि, सोशल मीडिया कंपनियां अमेरिका के कैपिटल हिल दंगों और भारत में लाल किले पर किसानों के चढ़ जाने के लिए अलग-अलग मानदंड रखती हैं- जिसका एक अर्थ यह निकलता है कि वह इन दोनों घटनाओं को बराबर समझते हैं. उन्होंने कहा कि "यह दोहरा मापदंड नहीं चलेगा."

तो जहां एक तरफ भाजपा सरकार ट्विटर से भारत के कानूनों का पालन करने की मांग कर रही है और कारवां जैसे टि्वटर खातों को निलंबित करवा रही है, दूसरी तरफ उसके पदाधिकारी और समर्थन करने वाले एक अविश्वसनीय और बिना जांचे परखे गए नकलची प्लेटफार्म पर जा रहे हैं, इसी सबके बीच सत्ताधारी दल के नेताओं की बदौलत पत्रकारों को मारने की खुली मांग करता हुआ एक वीडियो धड़ल्ले से फैलाया जा रहा है.

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