बजट- 2021: गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे आंदोलनकारी किसानों की राय

आंदोलनकारी कहते हैं कि बीजेपी सरकार ने हकीकत में किसानों का कभी भला नहीं किया है, इस पर कैसे यकीन करें.

  • Share this article on whatsapp

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2021- 22 के लिए आम बजट पेश किया. इस दौरान वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए दावा किया था कि सरकार किसानों के लिए समर्पित है. साथ ही सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के अपने वादे पर कायम है. मोदी सरकार ने यूपीए सरकार के मुकाबले करीब तीन गुना राशि किसानों के खातों में पहुंचाई है.

गौरतलब है कि बीते दो महीने से ज़्यादा समय से केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों से नाराज़ किसान दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं. किसान मोदी सरकार की नीतियों को उनका विरोधी बता रहे हैं. इस बीच 100 से ज्यादा किसानों की मौत की खबरें भी आ चुकी हैं. सरकार के साथ किसानों की 10 से ज्यादा बार वार्ता भी हो चुकी है जो अभी तक बेनतीजा रही है. बजट के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर बजट को किसान हितैषी बताया है.

इस बजट के बारे में दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर बैठे किसान क्या सोचते हैं. यह जानने के लिए न्यूजलॉन्ड्री ने गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन में शामिल होने आए अलग-अलग जिलों के लोगों से बात की.

मथुरा से किसान आंदोलन में शामिल होने आए 75 साल के किशन नंबरदार ने बताया, "बजट में किसानों के लिए कुछ नहीं है. हमें कोई डीजल वगैरह में रियायत दी जाती जैसे 80 की जगह 50 में हमें मिलता तो हम मानते भी कि सरकार हमारे साथ है. आज किसान की हालत ये कर दी गई है कि वह अपने बच्चों को पढ़ा तक नहीं सकता."

उत्तराखंड के बाजपुर से आए 60 साल के मंजीत सिंह कहते हैं, "इस बजट में किसान के लिए ऐसा कुछ नहीं है जिसके बारे में बात की जाए. इस सरकार का काम सिर्फ गुमराह करना है."

वहीं बदायूं के नूर आलम ने इस बजट को झूठ का पुलिंदा बताया. इसके अलावा हमने अन्य किसानों से भी इस बारे में चर्चा की.

पूरी रिपोर्ट यहां देखें-

subscription-appeal-image

Support Independent Media

The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.

Contribute
Also see
article image#GhazipurBorder: कैसे एक घंटे के अंदर बदल गई आंदोलन की सूरत
article imageटिकरी बॉर्डर: किसानों के आंदोलन से परेशान होने वालों का सच
article image#GhazipurBorder: कैसे एक घंटे के अंदर बदल गई आंदोलन की सूरत
article imageटिकरी बॉर्डर: किसानों के आंदोलन से परेशान होने वालों का सच

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2021- 22 के लिए आम बजट पेश किया. इस दौरान वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए दावा किया था कि सरकार किसानों के लिए समर्पित है. साथ ही सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के अपने वादे पर कायम है. मोदी सरकार ने यूपीए सरकार के मुकाबले करीब तीन गुना राशि किसानों के खातों में पहुंचाई है.

गौरतलब है कि बीते दो महीने से ज़्यादा समय से केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों से नाराज़ किसान दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं. किसान मोदी सरकार की नीतियों को उनका विरोधी बता रहे हैं. इस बीच 100 से ज्यादा किसानों की मौत की खबरें भी आ चुकी हैं. सरकार के साथ किसानों की 10 से ज्यादा बार वार्ता भी हो चुकी है जो अभी तक बेनतीजा रही है. बजट के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर बजट को किसान हितैषी बताया है.

इस बजट के बारे में दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर बैठे किसान क्या सोचते हैं. यह जानने के लिए न्यूजलॉन्ड्री ने गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन में शामिल होने आए अलग-अलग जिलों के लोगों से बात की.

मथुरा से किसान आंदोलन में शामिल होने आए 75 साल के किशन नंबरदार ने बताया, "बजट में किसानों के लिए कुछ नहीं है. हमें कोई डीजल वगैरह में रियायत दी जाती जैसे 80 की जगह 50 में हमें मिलता तो हम मानते भी कि सरकार हमारे साथ है. आज किसान की हालत ये कर दी गई है कि वह अपने बच्चों को पढ़ा तक नहीं सकता."

उत्तराखंड के बाजपुर से आए 60 साल के मंजीत सिंह कहते हैं, "इस बजट में किसान के लिए ऐसा कुछ नहीं है जिसके बारे में बात की जाए. इस सरकार का काम सिर्फ गुमराह करना है."

वहीं बदायूं के नूर आलम ने इस बजट को झूठ का पुलिंदा बताया. इसके अलावा हमने अन्य किसानों से भी इस बारे में चर्चा की.

पूरी रिपोर्ट यहां देखें-

Also see
article image#GhazipurBorder: कैसे एक घंटे के अंदर बदल गई आंदोलन की सूरत
article imageटिकरी बॉर्डर: किसानों के आंदोलन से परेशान होने वालों का सच
article image#GhazipurBorder: कैसे एक घंटे के अंदर बदल गई आंदोलन की सूरत
article imageटिकरी बॉर्डर: किसानों के आंदोलन से परेशान होने वालों का सच
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like