मुरादाबाद "लव जिहाद": मुस्कान के बच्चे की जान कैसे गई?

राशिद और मुस्कान, उत्तर प्रदेश के नए 'लव जिहाद कानून' में गिरफ्तार किये जाने वाले पहले अंतर्धार्मिक दंपति हैं. राशिद ने 2 हफ्ते जेल में बिताए और नारी सुरक्षा गृह में मुस्कान ने असमय प्रसव की वजह से अपने बच्चे को खो दिया.

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पहली बार कानून में है, कार्यान्वयन में नहीं

राशिद अब जमानत पर बाहर आ चुके हैं. मुस्कान बहुत कमजोर है और चुपचाप अपने बच्चे को खोने का शोक मना रही हैं.

राशि के घर से करीब चार किलोमीटर दूर बजरंग दल के मोनू बिश्नोई अपनी केसरिया रंग से रंगी खाने-पीने की दुकान पर झाड़ पोंछ कर रहे हैं. दुकान के कोने के मंदिर में छोटी सी प्रार्थना के बाद वह हमसे बात करने के लिए बैठते हैं. वह मोनू ही थे जिन्होंने अपनी शादी को पंजीकृत करा कर लौट रहे मुस्कान और राशिद का रास्ता रोका था और फिर उन्हें पुलिस स्टेशन ले गए थे.

बजरंग दल को मुस्कान और राशिद के बारे में कैसे पता चला?

वे कहते हैं, "हमारे सदस्यों ने हमें जानकारी दी. क्योंकि उस समय मैं एक शादी में था मैंने और सदस्यों से इसकी सत्यता पता करने के लिए कहा. जैसे ही बात पक्की हुई हम उस जगह पर पहुंच गए."

हमने उनसे पूछा कि, "यह सदस्य कौन हैं?" इसके जवाब में मोनू ने बजरंग दल की सूचना प्रणाली को समझाते हुए एक भाषण दिया.

मोनू दावा करते हैं कि केवल मुरादाबाद में ही 200 से 300 आदमी बजरंग दल के लिए काम करते हैं, हालांकि सभी खुलकर इस कट्टरवादी दल का समर्थन नहीं करते. वे कहते हैं, "हमारे लोग हर गली, हर चौराहे, हर नुक्कड़ पर हैं. हमारे अपने खुफिया लोग हैं जो कभी अपनी पहचान नहीं खोलेंगे. वह कभी किसी के सामने नहीं आएंगे, मीडिया के भी नहीं. 15-20 महिलाएं भी हैं जो हमारे लिए काम करती हैं."

दल नियमित तौर पर बैठकें करता है जहां पर "मामलों पर चर्चा होती है और निर्णय लिए जाते हैं", इसके साथ सदस्यों को काम भी दिए जाते हैं. मोनू समझाते हैं, "उदाहरण के लिए एक गौ रक्षा विभाग है और एक आध्यात्मिक संवाद विभाग. आध्यात्मिक संवाद विभाग जनता में संदेश देने का काम करता है. हम अपने संगठन के बारे में जागरूकता बढ़ाते हैं, हनुमान जी के भजन और श्री राम की प्रार्थना गाते हैं और हम पूजन के लिए मिलन आयोजित करते हैं."

काफी कार्यकर्ता नियमित तौर पर लड़ाई का शारीरिक अभ्यास करते हैं. विश्नोई ने इन अभ्यास वर्गों का समय और जगह बताने से इनकार करते हुए कहा, "क्योंकि हम सब एक जगह नहीं मिल सकते, यह अभ्यास वर्ग अलग-अलग केंद्रों पर होते हैं." संगठन के सदस्यों को डंडे और बिना हथियार के युद्ध करने का अभ्यास कराया जाता है.

इतना सब अभ्यास किसलिए? विश्नोई मुस्कुरा कर जवाब देते हैं, "देखिए इसे शारीरिक व्यायाम की तरह देखिए. यह शरीर के लिए तो अच्छा है ही पर कोई नहीं जानता कि कब लड़ना पड़ जाए, तैयार रहना बेहतर है."

हालांकि मुस्कान और राशिद "लव जिहाद कानून" में गिरफ्तार हुए पहले दंपत्ति थे, लेकिन यह पहली बार नहीं है जब मोनू विश्नोई या उनके दल ने अंतर धार्मिक शादी में हस्तक्षेप किया.

वे डींग मारते हुए कहते हैं, "हम यह काम काफी लंबे समय से कर रहे हैं. बस इतना है कि अब इसका कानून पहली बार बन गया है."

वे लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं? इसका जवाब देते हुए विश्नोई दावा करते हैं कि मुसलमान आदमी हिंदू लड़कियों को "बहका-फुसला" रहे हैं और बजरंग दल ऐसी महिलाओं को "बचाकर" हिंदू समाज की "सेवा" कर रहा है. वह दोहराहते हैं, "जो हम कर रहे हैं वह एक धार्मिक और सामाजिक सेवा है. इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं. पिंकी पर दबाव बनाकर शादी की गई थी."

वह विस्तार से बताते हैं कि जब बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को यह पता चलता है कि कोई हिंदू महिला किसी मुस्लिम आदमी के "संपर्क में है", वह लड़की के घर वालों को इत्तला कर देते हैं और "बात हाथ से निकल जाने" से पहले उसे "समझाते" हैं.

उन्होंने हमें नहीं बताया कि अब तक कितने प्रेम संबंध और शादियों में उनके दल ने हस्तक्षेप किया है.

मुस्कान और उसके ससुराल वालों को संदेह है कि उनके मामले में एक स्थानीय वकील ने बजरंग दल को शादी के बारे में जानकारी दी. राशिद के परिवार ने उस वकील से शादी रजिस्टर करने में मदद करने के लिए संपर्क किया था. हमने उस वकील से पूछा कि क्या वह मुस्कान और राशिद के बारे में जानते हैं पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.

मुस्कान और उसके ससुराल के लोगों का यह भी आरोप है कि 5 दिसंबर को बजरंग दल के लोगों ने उन्हें पकड़ने के बाद राशिद और उसके भाई के साथ मारपीट की.

मोनू बिश्नोई इस आरोप को नकारते हैं और इस घटना की खबर को गलत तरीके से बताने के लिए "एनडीटीवी जैसे हिंदू विरोधी चैनलों" को दोषी ठहराते हैं. उनकी राय है कि, "मैं आपको बता रहा हूं कि यह एनडीटीवी चैनल बिका हुआ है. यह केवल एक हिंदू विरोधी चैनल है जो केवल हिंदुओं के खिलाफ ही बात करता है. हम केवल रिपब्लिक भारत देखते हैं."

हमारी बातचीत के दौरान मोनू के पास बजरंग दल के कुछ और स्थानीय कार्यकर्ता भी आ गए. उनकी शिकायत थी कि "लव जिहाद" को कवर करने वाले पत्रकार मुस्लिम हैं और "हिंदू पत्रकारों" के बीच कोई एकता नहीं है. मोनू सवाल उठाते हैं, "चाहे आज तक हो या कोई और इन चैनलों में सभी मुसलमान पत्रकारों ने इस मामले को तोड़ मरोड़ कर दिखाया है. आप लोगों को अपना काम करते हुए अपने धर्म के बारे में सोचना चाहिए."

क्या उनके दल को उत्तर प्रदेश पुलिस का समर्थन है?

इसका उत्तर देते हुए मोनू बिश्नोई कहते हैं, "पुलिस हमारा समर्थन क्यों करेगी? जब हमने गौ तस्करी में लिप्त ट्रक रोके थे तो हम पर तीन केस फाइल कर दिए गए. हमें पुलिस ने ऐसे समर्थन दिया है."

क्या उन्हें पता था कि मुस्कान गर्भवती है जब वह उसे घसीट कर पुलिस स्टेशन ले गए? मोनू कहते हैं कि उसकी सास में उन्हें बताया था, और अपनी बात में यह भी जोड़ते हैं कि, "इसका किसी चीज से क्या लेना देना है? एक अपराध हो रहा था और हमने उसे बचाया और शायद उसके बच्चे को भी."

मोनू विश्नोई अपनी दुकान पर

"अब मैं उसे नहीं खो सकती"

मोनू बिश्नोई ने हमें बताया कि "लव जिहाद के मुद्दे" के अलावा बजरंग दल को उनके इलाके में मुसलमानों से कोई परेशानी नहीं है. दावा करते हैं कि, "हमें उनसे कोई परेशानी नहीं है."

अब जब मुस्कान ने स्पष्ट कर दिया है कि वह राशिद के साथ ही रहना चाहती है, इस पर मोनू को क्या कहना है? वह जवाब देते हैं, "हमारा काम कानून को हाथ में लेने का नहीं है. हम ने पुलिस को खबर की और हमारा काम हो गया. अब अगर वही जलालत की जिंदगी जीना चाहती है तो हम क्या कर सकते हैं?"

वह अपनी बात में यह भी जोड़ते हैं कि अगर मुस्कान वापस हिंदू बनना चाहे तो बजरंग दल सुनिश्चित करेगा कि उसकी शादी किसी हिंदू आदमी से जल्दी से जल्दी हो जाए.

बात खत्म हो जाने पर हम उठे और हमने उन्हें 'शुक्रिया' कहा, एक आम भाषा में उपयोग होने वाला उर्दू शब्द. मोनू को अच्छा नहीं लगा और वह बोले, "आपको धन्यवाद कहना चाहिए, वह सही शब्द है. शुक्रिया एक उर्दू का शब्द है. हम हिंदुओं को उसका उपयोग नहीं करना चाहिए."

इस सब के बीच नारी निकेतन में एक युवती जो एक मुसलमान आदमी से प्रेम करती है, छुपी हुई है. मुस्कान के के बारे में बात करते हुए बिनोद बाल श्रीवास्तव ने हमें बताया कि वहां रहने वाली 35-40 महिलाओं में से एक और लड़की "मुस्कान की तरह" है. उन्होंने बताया कि, "अभी बालिग नहीं है और एक मुसलमान से प्रेम करती है. उसके माता-पिता उसके संबंध को स्वीकार नहीं कर रहे हैं तो वह भाग कर यहां आ गई है. यह पहली बार नहीं हो रहा. आमतौर पर ऐसे मामले में जब बच्ची 18 साल की हो जाती है तो हम उन्हें जिसके साथ वो जाना चाहें, चाहे मां-बाप हों या मुस्लिम लड़का, उसके साथ जाने देते हैं."

लेकिन अब "लव जिहाद कानून" आने के बाद, बाल श्रीवास्तव कहती हैं कि नहीं पता कि अब उस लड़की के साथ क्या होगा. हमारी बात उससे कराने के लिए उन्होंने मना कर दिया.

जब हमने मुस्कान से पूछा कि वह इस नए कानून के बारे में क्या सोचती हैं, हमारी तरफ टकटकी लगाए देखती रहीं. वे बोलीं, "कानून हो या ना हो पर मैं उसी से प्यार करती हूं. मुझे केवल अपना राशिद वापस चाहिए. मैं अपने बच्चे को पहले ही खो चुकी हूं, अब मैं उसे नहीं खो सकती."

आज जब राशिद और उसके भाई को जेल से रिहा कर दिया गया, हमने उनके चचेरे भाई मोहम्मद अमीन से फोन पर बात की. उन्होंने बताया कि, "राशिद शारीरिक रूप से ठीक है लेकिन कमजोर लग रहा है."

क्या हाल है बच्चे के बारे में जानता है? अमीन ने बताया कि, "हां वह जानता है पर उसने इस बात पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं की है."

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पहली बार कानून में है, कार्यान्वयन में नहीं

राशिद अब जमानत पर बाहर आ चुके हैं. मुस्कान बहुत कमजोर है और चुपचाप अपने बच्चे को खोने का शोक मना रही हैं.

राशि के घर से करीब चार किलोमीटर दूर बजरंग दल के मोनू बिश्नोई अपनी केसरिया रंग से रंगी खाने-पीने की दुकान पर झाड़ पोंछ कर रहे हैं. दुकान के कोने के मंदिर में छोटी सी प्रार्थना के बाद वह हमसे बात करने के लिए बैठते हैं. वह मोनू ही थे जिन्होंने अपनी शादी को पंजीकृत करा कर लौट रहे मुस्कान और राशिद का रास्ता रोका था और फिर उन्हें पुलिस स्टेशन ले गए थे.

बजरंग दल को मुस्कान और राशिद के बारे में कैसे पता चला?

वे कहते हैं, "हमारे सदस्यों ने हमें जानकारी दी. क्योंकि उस समय मैं एक शादी में था मैंने और सदस्यों से इसकी सत्यता पता करने के लिए कहा. जैसे ही बात पक्की हुई हम उस जगह पर पहुंच गए."

हमने उनसे पूछा कि, "यह सदस्य कौन हैं?" इसके जवाब में मोनू ने बजरंग दल की सूचना प्रणाली को समझाते हुए एक भाषण दिया.

मोनू दावा करते हैं कि केवल मुरादाबाद में ही 200 से 300 आदमी बजरंग दल के लिए काम करते हैं, हालांकि सभी खुलकर इस कट्टरवादी दल का समर्थन नहीं करते. वे कहते हैं, "हमारे लोग हर गली, हर चौराहे, हर नुक्कड़ पर हैं. हमारे अपने खुफिया लोग हैं जो कभी अपनी पहचान नहीं खोलेंगे. वह कभी किसी के सामने नहीं आएंगे, मीडिया के भी नहीं. 15-20 महिलाएं भी हैं जो हमारे लिए काम करती हैं."

दल नियमित तौर पर बैठकें करता है जहां पर "मामलों पर चर्चा होती है और निर्णय लिए जाते हैं", इसके साथ सदस्यों को काम भी दिए जाते हैं. मोनू समझाते हैं, "उदाहरण के लिए एक गौ रक्षा विभाग है और एक आध्यात्मिक संवाद विभाग. आध्यात्मिक संवाद विभाग जनता में संदेश देने का काम करता है. हम अपने संगठन के बारे में जागरूकता बढ़ाते हैं, हनुमान जी के भजन और श्री राम की प्रार्थना गाते हैं और हम पूजन के लिए मिलन आयोजित करते हैं."

काफी कार्यकर्ता नियमित तौर पर लड़ाई का शारीरिक अभ्यास करते हैं. विश्नोई ने इन अभ्यास वर्गों का समय और जगह बताने से इनकार करते हुए कहा, "क्योंकि हम सब एक जगह नहीं मिल सकते, यह अभ्यास वर्ग अलग-अलग केंद्रों पर होते हैं." संगठन के सदस्यों को डंडे और बिना हथियार के युद्ध करने का अभ्यास कराया जाता है.

इतना सब अभ्यास किसलिए? विश्नोई मुस्कुरा कर जवाब देते हैं, "देखिए इसे शारीरिक व्यायाम की तरह देखिए. यह शरीर के लिए तो अच्छा है ही पर कोई नहीं जानता कि कब लड़ना पड़ जाए, तैयार रहना बेहतर है."

हालांकि मुस्कान और राशिद "लव जिहाद कानून" में गिरफ्तार हुए पहले दंपत्ति थे, लेकिन यह पहली बार नहीं है जब मोनू विश्नोई या उनके दल ने अंतर धार्मिक शादी में हस्तक्षेप किया.

वे डींग मारते हुए कहते हैं, "हम यह काम काफी लंबे समय से कर रहे हैं. बस इतना है कि अब इसका कानून पहली बार बन गया है."

वे लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं? इसका जवाब देते हुए विश्नोई दावा करते हैं कि मुसलमान आदमी हिंदू लड़कियों को "बहका-फुसला" रहे हैं और बजरंग दल ऐसी महिलाओं को "बचाकर" हिंदू समाज की "सेवा" कर रहा है. वह दोहराहते हैं, "जो हम कर रहे हैं वह एक धार्मिक और सामाजिक सेवा है. इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं. पिंकी पर दबाव बनाकर शादी की गई थी."

वह विस्तार से बताते हैं कि जब बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को यह पता चलता है कि कोई हिंदू महिला किसी मुस्लिम आदमी के "संपर्क में है", वह लड़की के घर वालों को इत्तला कर देते हैं और "बात हाथ से निकल जाने" से पहले उसे "समझाते" हैं.

उन्होंने हमें नहीं बताया कि अब तक कितने प्रेम संबंध और शादियों में उनके दल ने हस्तक्षेप किया है.

मुस्कान और उसके ससुराल वालों को संदेह है कि उनके मामले में एक स्थानीय वकील ने बजरंग दल को शादी के बारे में जानकारी दी. राशिद के परिवार ने उस वकील से शादी रजिस्टर करने में मदद करने के लिए संपर्क किया था. हमने उस वकील से पूछा कि क्या वह मुस्कान और राशिद के बारे में जानते हैं पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.

मुस्कान और उसके ससुराल के लोगों का यह भी आरोप है कि 5 दिसंबर को बजरंग दल के लोगों ने उन्हें पकड़ने के बाद राशिद और उसके भाई के साथ मारपीट की.

मोनू बिश्नोई इस आरोप को नकारते हैं और इस घटना की खबर को गलत तरीके से बताने के लिए "एनडीटीवी जैसे हिंदू विरोधी चैनलों" को दोषी ठहराते हैं. उनकी राय है कि, "मैं आपको बता रहा हूं कि यह एनडीटीवी चैनल बिका हुआ है. यह केवल एक हिंदू विरोधी चैनल है जो केवल हिंदुओं के खिलाफ ही बात करता है. हम केवल रिपब्लिक भारत देखते हैं."

हमारी बातचीत के दौरान मोनू के पास बजरंग दल के कुछ और स्थानीय कार्यकर्ता भी आ गए. उनकी शिकायत थी कि "लव जिहाद" को कवर करने वाले पत्रकार मुस्लिम हैं और "हिंदू पत्रकारों" के बीच कोई एकता नहीं है. मोनू सवाल उठाते हैं, "चाहे आज तक हो या कोई और इन चैनलों में सभी मुसलमान पत्रकारों ने इस मामले को तोड़ मरोड़ कर दिखाया है. आप लोगों को अपना काम करते हुए अपने धर्म के बारे में सोचना चाहिए."

क्या उनके दल को उत्तर प्रदेश पुलिस का समर्थन है?

इसका उत्तर देते हुए मोनू बिश्नोई कहते हैं, "पुलिस हमारा समर्थन क्यों करेगी? जब हमने गौ तस्करी में लिप्त ट्रक रोके थे तो हम पर तीन केस फाइल कर दिए गए. हमें पुलिस ने ऐसे समर्थन दिया है."

क्या उन्हें पता था कि मुस्कान गर्भवती है जब वह उसे घसीट कर पुलिस स्टेशन ले गए? मोनू कहते हैं कि उसकी सास में उन्हें बताया था, और अपनी बात में यह भी जोड़ते हैं कि, "इसका किसी चीज से क्या लेना देना है? एक अपराध हो रहा था और हमने उसे बचाया और शायद उसके बच्चे को भी."

मोनू विश्नोई अपनी दुकान पर

"अब मैं उसे नहीं खो सकती"

मोनू बिश्नोई ने हमें बताया कि "लव जिहाद के मुद्दे" के अलावा बजरंग दल को उनके इलाके में मुसलमानों से कोई परेशानी नहीं है. दावा करते हैं कि, "हमें उनसे कोई परेशानी नहीं है."

अब जब मुस्कान ने स्पष्ट कर दिया है कि वह राशिद के साथ ही रहना चाहती है, इस पर मोनू को क्या कहना है? वह जवाब देते हैं, "हमारा काम कानून को हाथ में लेने का नहीं है. हम ने पुलिस को खबर की और हमारा काम हो गया. अब अगर वही जलालत की जिंदगी जीना चाहती है तो हम क्या कर सकते हैं?"

वह अपनी बात में यह भी जोड़ते हैं कि अगर मुस्कान वापस हिंदू बनना चाहे तो बजरंग दल सुनिश्चित करेगा कि उसकी शादी किसी हिंदू आदमी से जल्दी से जल्दी हो जाए.

बात खत्म हो जाने पर हम उठे और हमने उन्हें 'शुक्रिया' कहा, एक आम भाषा में उपयोग होने वाला उर्दू शब्द. मोनू को अच्छा नहीं लगा और वह बोले, "आपको धन्यवाद कहना चाहिए, वह सही शब्द है. शुक्रिया एक उर्दू का शब्द है. हम हिंदुओं को उसका उपयोग नहीं करना चाहिए."

इस सब के बीच नारी निकेतन में एक युवती जो एक मुसलमान आदमी से प्रेम करती है, छुपी हुई है. मुस्कान के के बारे में बात करते हुए बिनोद बाल श्रीवास्तव ने हमें बताया कि वहां रहने वाली 35-40 महिलाओं में से एक और लड़की "मुस्कान की तरह" है. उन्होंने बताया कि, "अभी बालिग नहीं है और एक मुसलमान से प्रेम करती है. उसके माता-पिता उसके संबंध को स्वीकार नहीं कर रहे हैं तो वह भाग कर यहां आ गई है. यह पहली बार नहीं हो रहा. आमतौर पर ऐसे मामले में जब बच्ची 18 साल की हो जाती है तो हम उन्हें जिसके साथ वो जाना चाहें, चाहे मां-बाप हों या मुस्लिम लड़का, उसके साथ जाने देते हैं."

लेकिन अब "लव जिहाद कानून" आने के बाद, बाल श्रीवास्तव कहती हैं कि नहीं पता कि अब उस लड़की के साथ क्या होगा. हमारी बात उससे कराने के लिए उन्होंने मना कर दिया.

जब हमने मुस्कान से पूछा कि वह इस नए कानून के बारे में क्या सोचती हैं, हमारी तरफ टकटकी लगाए देखती रहीं. वे बोलीं, "कानून हो या ना हो पर मैं उसी से प्यार करती हूं. मुझे केवल अपना राशिद वापस चाहिए. मैं अपने बच्चे को पहले ही खो चुकी हूं, अब मैं उसे नहीं खो सकती."

आज जब राशिद और उसके भाई को जेल से रिहा कर दिया गया, हमने उनके चचेरे भाई मोहम्मद अमीन से फोन पर बात की. उन्होंने बताया कि, "राशिद शारीरिक रूप से ठीक है लेकिन कमजोर लग रहा है."

क्या हाल है बच्चे के बारे में जानता है? अमीन ने बताया कि, "हां वह जानता है पर उसने इस बात पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं की है."

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