नेपाल से तनाव के बीच क्या बदल जाएगा सीमा के आर-पार रहे लोगों का रिश्ता?

नेपाल की हरकतें प्रधानमंत्री केपी ओली के राष्ट्रवादी एजेंडे की झलक है.

Article image

12 जून को लगन राय को नेपाल आर्म्ड पुलिस फोर्स (एपीएफ, बोलचाल की भाषा में उन्हेंने पाली पुलिस कहकर संबोधित किया जाता है) ने बंधक बना लिया था. लगन राय उस रोज़ की घटना को याद करते हुए बताते हैं कि वे जानकी नगर-नारायणपुर बॉर्डर पर अपनी बहू और पोता-पोती को समधन (बहू की मां) से मिलवाने गए थे. नेपाल पुलिस ने उन लोगों को रोकने की कोशिश की. उसी दौरान उनके बेटे को नेपाली पुलिस ने डंडे से पीट दिया. लगन के बेटे विनय राय का ससुराल नेपाल के गुलरिया गांव में हैं. लगन राय का परिवार सीतामढ़ी के सोनबरसा प्रखंड में इसी सीमावर्ती जानकी नगर गांव में रहता है.

लगन बताते हैं कि वे नेपाल पुलिस से शिकायत करने गए कि उनके बेटे को क्यों मारा तो पुलिस उन्हें ही गालियां देने लगी. बहस सुनकर भारतीय क्षेत्र से करीब 75-80 लोग जुट गए थे. वे बताते हैं, "फिर उन्होंने (नेपाल पुलिस ने) 5-6 और जवानों को बुला लिया और वे सभी हवाई फायरिंग करने लगे. इसके बाद वहां मौजूद लोग भागने लगे. वे लोग मुझे मारते हुए घसीट कर ले गए और कैंप में जाकर रख दिया. वहां जवान लगातार पीटते रहे."

लगन आगे बताते हैं, "वे लोग मुझे पीटते हुए यह कहने का दबाव बना रहे थे कि मैं यह बोलूं कि नेपाल सीमा में घुसकर 150 भारतीय लूट पाट करने लगे जिसके कारण गोली चली और इसलिए पुलिस ने मुझे पकड़ा है. लेकिन मैंने कहा कि मेरी जान चली जाएगी ये मंजूर है लेकिन ये बात मैं कभी नहीं बोलूंगा. ये बोलने के बाद वे लोग और पीटने लगे. वे लगातार दबाव बना रहे थे कि अपने गांव के 10-20 लोगों का नाम लिखवाओ. गाली देते हुए उन्होंने कहा कि तुम्हें मारकर फेंक देंगे. मैंने जवाब दिया कि जो करना है करलें पर मैं कुछ भी नहीं बोलूंगा. 2-3 घंटे धूप में रखकर लगातार पीटा गया."

भारतीय पक्ष के कूटनीतिक दबाव के बाद नेपाल पुलिस अगले दिन सुबह करीब 3:30 बजे लगन को छोड़ने बॉर्डर पर पहुंची. इसके बारे में लगन कहते हैं, "बॉर्डर पर लाने के बाद भी मुझे अगले 1 घंटे तक गाड़ी में ही रखा गया. स्थानीय बीडीओ, दारोगा और अन्य अधिकारियों के साथ कागजी प्रक्रिया होने के बाद मुझे छोड़ा गया."

subscription-appeal-image

Support Independent Media

The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.

Contribute
नेपाल पुलिस द्वारा बंधक बनाए गए जानकी नगर निवासी लगन राय

राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नेपाल बॉर्डर पर हुईघटना को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. हालांकि 15 जून को उत्तराखंड जनसंवाद वर्चुअल रैली को संबोधित करते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था, "भारत-नेपाल के बीच कोई आम रिश्ता नहीं है, हमारे बीच रोटी और बेटी का संबंध हैं और दुनिया की कोई ताकत इसे तोड़ नहीं सकती है."

राजनाथ सिंह के भारत और नेपाल से रिश्तों पर जोर देने का संर्दभ था. नेपाल की ओर से एक साथ कई चीज़ें होती हुई दिख रहीथीं. एक तरफ नेपाल ने संवैधानिक रूप से भारत के कालापानी, लिंप्याधुराऔर लिपुलेख कोअपने नए नक्शे में शामिल कर लिया. दूसरी तरफ ये फायरिंग की घटना और 22 जून को एक और चिंतित करने वाली खबर आई कि नेपाल गंडक नदी पर बने वाल्मिकी नगरबराज में मरम्मत का काम करने नहीं दे रहा ह

हालांकि एक दिन बाद ही यह रिपोर्ट आयी कि “कंफ्यूजन” को दूर कर लिया गया है. दरअसल, नेपाल भारतीय मजदूरों को बिना कोविड नेगेटिव सर्टिफिकेट के अपनी सीमा में घुसने नहीं दे रहा था. फिलहाल मजदूरों की स्क्रीनिंग वाल्मीकि नगर के ही एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर होगी और मरम्मत का कार्य जारी रहेगा.

12 जून को बिहार-नेपाल बॉर्डर पर हुई तनातनी का शिकार सिर्फ लगन ही नहीं हुए. सीमा पर हुई फायरिंग की घटना में विकेश राय नाम के शख्स की गोली लगने से मौत हो गई. दो और लोग भी घायल हुए.

लगन के अनुसार उनके पकड़े जाने के बाद फायरिंग की घटना घटी. विकेश को गोली कैसे गोली लगी? इस पर लगन ने अपनी अनभिज्ञता जाहिर की. लगन राय के साथ हुई इस घटना और विकेश की हत्या के बाद गांव में आक्रोश का माहौल है. गांव के लोगों ने बॉर्डर पर धरना-प्रदर्शन भी किया. उनके एक बेटे ने कहा कि अब तक इस घटना की एफआईआर दर्ज नहीं हुई है.

सीमा के सटे इलाके मेंविकेश राय के परिवार का खेत है. वे लुधियाना में सिलाई का काम करते थे. घटना से 10 दिन पहले ही वे वापस आए थे. विकेश राय के भाई पपलेश राय बताते हैं, “जब 12 जून की सुबह विकेश और अन्य लोग खेत में काम कर रहे थे. फायरिंग की आवाज के बाद वे लोग वहां इकट्ठा हो गए.”

पपलेश आगे बताते हैं, "फायरिंग मेंगोली लगने के कारण विकेश की मौत मौके पर ही हो गई. दो अन्य लोग गोली लगने से बुरी तरह घायल हो गए थे. पहले कभी इस तरह की घटना नहीं हुई थी. ऐसी कोई उम्मीद ही नहीं थी. हम लोगों ने दो दिन बॉर्डर पर प्रदर्शन किया लेकिन फिर प्रशासन के आश्वासन पर हमने बंद कर दिया."

वे कहते हैं, "दो साल पहले ही विकेश की शादी हुई थी. उसकी पत्नी गर्भवती है. हम चाहते हैं कि सरकार उनकी पत्नी को नौकरी दे और मुआवजा दे."

मुआवजे की मांग के लिए विकेश के पिता नागेश्वर राय ने सोन बरसा थाना को एक पत्र भी लिखकर दिया है. पत्र के मुताबिक, नागेश्वर ने 25 लाख रुपये मुआवजे और विकेश की पत्नी गुंजा को आंगनवाड़ी सेविका में नियोजित करने की मांग की है ताकि उनके परिवार की रोज़ी-रोटी का इंतज़ाम हो सके.

अपने परिवार के साथ लगन राय

इस घटना के बाद गांव में मातम का माहौल है और साथ ही गुस्सा भी है. पपलेश कहते हैं कि भय और आक्रोश का माहौल उस तरफ (नेपाल में) भी है. उनके अनुसार, "हम लोगों के बॉर्डर के इस तरफ या उस तरफ जो भी रिश्तेदार हैं, कोई नहीं चाहता है कि दोनों देशों के बीच इस तरह का बर्ताव हो. वहां भी लोग इस कार्रवाई से नेपाल पुलिस के प्रति गुस्से में हैं."

सीमावर्ती गांवों का हाल

भारत नेपाल सीमा पर स्थित है जानकी नगर. जानकी नगर निवासी जगन्नाथ यादव ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “12 जून को जानकी नगर-नारायणपुर बॉर्डर पर नेपाल पुलिस ने 15-20 राउंड गोली चलाई थी. गांव के लोग अभी तक भय में जी रहे हैं. अभी सीमा परआना-जाना पूरी तरह बंद है. इस डर के माहौल में कौन बॉर्डर पर जाना चाहेगा?”

जगन्नाथ बताते हैं कि उनकी याद में पहले कभी भी इस तरह की तनातनी नहीं हुई थी. उनके गांव के 80 फीसदी बहू-बेटियों का संबंध नेपाल से है. उनकी शादी भी नेपाल में ही हुई है. वे कहते हैं, “पहले बॉर्डर के आर-पार जाने में ना ही नेपाल पुलिस कुछ बोलती थी और ना ही भारत की तरफ की पुलिस.”

"मेरे नेपाल के रिश्तेदार भी नेपाली प्रहरी पुलिस की इस कार्रवाई पर गुस्से में हैं. अगर कुछ दिक्कत हुई भी तो गोली चलाने की क्या जरूरत थी. ये बहुत गलत हुआ है. ये मामला अंतरराष्ट्रीय है, इसके बावजूद ना हमारे मुख्यमंत्री ने अबतक कुछ कहा है और ना ही प्रधानमंत्री," उन्होंने आगे जोड़ा.

जगन्नाथ की चिंता है कि जब बॉर्डर खुलेगा, तो लोग बॉर्डर के पार जाने में निश्चित रूप से डरेंगे. ये कोई मामूली घटना नहीं है. प्रशासन हम लोगों को बता भी नहीं रहा है कि अबतक क्या कार्रवाई हुई है या अब सबकुछ सामान्य हुआ या नहीं.

इस घटना पर अबतक क्या कार्रवाई हुई, यह पूछने पर सीतामढ़ी के पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार ने कहा, “जो भी मीडिया में रिपोर्ट है, बस वही फैक्ट है.” मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है.

इस पूरे मामले पर नेपाल के पत्रकार संजय तिवारी बताते हैं कि इसका भी एक बैकग्राउंड है. “सीमा पर जो भी हुआ है वो सिर्फ राष्ट्रवाद के नाम पर और इस नीयत से हुआ है कि हमें भारतीयों से कम समझने की भूल मत करना.”

वो कहते हैं, "सीमावर्ती इलाकों में बसे मधेशी समुदाय को दूसरे दर्ज के नागरिक के रूप में देखा जाता है. मधेशी अपनीपहचान और संस्कृति को लेकर बहुत पहले से आंदोलन भी कर रहे हैं. ये भारत को दिखाने की कोशिश है कि नेपाल भी कम नहीं है. ये एक योजना के तहत हुआ लगता है. राष्ट्रवाद का मुद्दा है. प्रधानमंत्री केपी ओली दोनों देशों के बीच संबंध बिगाड़ने में लगे हुए है. हमें पता चला कि उनकी पार्टी में ही उन्हें पीएम से हटाने की तैयारी चल रही थी, इसलिए इस तरीके से देश में राष्ट्रवाद की हवा फैलाई जा रही है."

बता दें कि मुख्य रूप से नेपाल के तराई क्षेत्र में बसे मधेशी समुदाय का बिहार और पूर्वी उत्तरप्रदेश के साथ संस्कृति और रहन-सहन काफी मेल खाता है. इनका दोनों राज्यों के सीमावर्ती जिलों से गहरा नाता रहा है. मधेशी लंबे समय से अपनी आबादी के अनुपात से राजनीतिक और आर्थिक प्रतिनिधित्व की मांग करते रहे हैं.

नेपाल की संसद में मधेशी नेता और सांसद सरिता गिरी ने भी नए नक्शे के खिलाफ आवाज उठाईं तो सत्ताधारी नेताओं ने विरोध करना शुरू कर दिया. सरिता गिरी के घर पर भी हमला हुआ.

घटना के बाद बॉर्डर के पास जमा हुए ग्रामीणों की भीड़

फायरिंग की घटना में चीन की भूमिका को लेकर संजय कहते हैं, "सीतामढ़ी बॉर्डर पर जो हुआ, वो एपीएफ (आर्म्ड पुलिस फोर्स) औरभारतीय नागरिक के बीच का मामला है. नए नक्शे को लेकर चीन नेपाल सरकार को इन्फ्लुएंस कर सकती है लेकिन सीमा पर हुई घटना में उसकी भूमिका नहीं हो सकती है."

नेपाली मीडिया में इस घटना को लेकर संजय ने बताया कि अधिकतर मीडिया संस्थानों में सत्ताधारी पार्टी का निवेश है. वे कहते हैं, "नेपाली मीडिया में लिखा जा रहा है कि भारतीय नागरिकों ने नेपाली पुलिस से बंदूक छीनने की कोशिश की और पुलिस ने अपने बचाव में फायरिंग की." दोनों तरफ के स्थानीय लोगों का कहना है कि भारत और नेपाल के रिश्ते नहीं बिगड़ने चाहिए.

ओली के राष्ट्रवाद के चंगुल में नेपाल

हाल में नागरिकता कानून में संशोधन के प्रस्ताव लाए जाने को लेकर भी नेपाल सरकार के खिलाफ भी प्रदर्शन हो रहा है. इस विधेयक के मुताबिक, विदेशी महिलाओं (भारतीय सहित) की शादी नेपाल में होने पर उन्हें 7 साल बाद नागरिकता मिलेगी. नेपाल सरकार के इस कदम का जनता समाजवादी पार्टी (जसपा) और नेपाली कांग्रेस दोनों पार्टियां विरोध कर रही हैं. जसपा ने कहा है कि सरकार इस संशोधन को वापस ले, नहीं तो 30 जून से देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा. बता दें कि मौजूदा नागरिकता कानून के तहत शादी के तुरंत बाद ही विदेशी महिला को नेपाल की नागरिकता मिल जाती है.

नेपाल कांग्रेस के नेता उमेश खत्री ने न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहा, “नेपाल सरकार द्वारा हाल में नागरिकता कानून में किए गए बदलाव से भी यहां के लोग नाराज हैं. कुछ दिन पहले इसको लेकर प्रदर्शन भी हुए. मौजूदा सरकार भारत के साथ रिश्ते खराब करने में लगी हुई है.”

मौजूदा तनाव को लेकर वे कहते हैं, "राम-सीता के जमाने से हमारे बीच रोटी-बेटी का संबंध है. हम नहीं चाहते कि हमारे संबंधों में किसी तरह की खटास आए. लाखों नेपाली नागरिक भारत में रहकर अपना गुजारा कर रहे हैं. हमारी सरकार भारत के साथ जो दुश्मनी कर रही है, उससे किसी नेपाली का फायदा नहीं होने वाला है."

नेपाल और भारत के तल्ख रिश्तों में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की राजनीति की बड़ी भूमिका है. उन्हें चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चीन का करीबी माना जाता है. ओली सरकार कुप्रशासन के कारण आलोचनाओं से घिरी हुई थी. सरकार पर आरोप लग रहे थे कि उन्होंने कोरोना वायरस सेलड़ने की तैयारी नहीं की. जानकारों के मुताबिक, प्रधानमंत्री ओली की कुर्सी खतरे में थी. लेकिन एंटी-इंडिया कार्ड खेलने से उन्हें त्वरित जनसमर्थन प्राप्त होता दिख रहा है. चाहे उनकी सरकार द्वारा सीमाओं के पुनर्निर्धारण का मुद्दा हो यानागरिकता में संशोधन का. नेपाल में कोई भी राजनीतिक दल भारत का पक्षधर दिखने से बचना चाहती है. लिहाजा जब संवैधानिक रूप से भारत के हिस्सों को नेपाल के नए नक्शे में शामिल करने पर सारे राजनैतिक दलों ने ओली सरकार का साथ दिया.

उमेश कहते हैं कि यहां के लोग संबंधखत्म नहीं करना चाहते हैं बल्कि इसे और मजबूत करना है. दोनों देशों को शांति के साथ इन सभी मुद्दों का समाधान करना चाहिए. "हम लोगों की संस्कृति एक है, रहन-सहन एक है. चीन के हस्तक्षेप के कारण नेपाल सरकार ये सब कदम उठा रही है, जिसका लोग विरोध भी कर रहे हैं. नेपाल सरकार अपने दिमाग से काम नहीं कर रही है."

भारत और नेपाल के तनाव को कम करने की दिशा में दोनों देशों केलेखकों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साझा संगठन भारत-नेपाल मैत्री संघ ने फायरिंग की घटना की निष्पक्ष जांच कराने कीमांग की है. संगठन ने दोनों तरफ की सरकारों से अपील की है कि, "सीमा पर सुरक्षाकर्मियों को निर्देश दिए जाएं कि वे संयम से काम लें. स्थानीय प्रशासन कोई ऐसा काम नहीं करे, जिससे सीमा के दोनों ओर लोगों को परेशानी हो."

संगठन का कहना है कि लॉकडाउन में सीमा के दोनों तरफ सुरक्षाकर्मियों की तैनाती बढ़ाई गई है. सीमावर्ती क्षेत्र की जमीनी हकीकत समझने में काठमांडू और दिल्ली सरकार असफल रही है.

Also see
article imageएनएल चर्चा 118: भारत-चीन सीमा विवाद, हवाई सेवा बहाली और अन्य
article imageएक उदारवादी की सीमा क्या है?
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like