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एनएल चर्चा का 141वां एपिसोड मुख्य तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर केंद्रित रहा. इसके साथ ही दिल्ली में बढ़ता हवा का प्रदूषण, वियना में आईएसआईएस द्वारा कराया गया आंतकवादी हमला और कृषि बिल के विरोध में किसानों का चक्का जाम जैसे विषयों का भी जिक्र हुआ.
इस बार चर्चा में विदेशी मामलों की पत्रकार स्मिता शर्मा, शार्दूल कात्यायन और न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस शामिल हुए. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
चर्चा की शुरुआत करते हुए अतुल अमेरिका चुनाव की स्थिति पर स्मिता से सवाल करते हैं, “शुरुआती दौर में बहुत से राज्यों के परिणाम जल्दी आ गए आए लेकिन अब कुछेक राज्यों के परिणाम आने में इतना वक्त क्यों लग रहा है और अभी ताजा सूरतेहाल क्या है?”
इसके जवाब में स्मिता कहती हैं, “अमेरिका के यह चुनाव प्रदूषण के स्माग की तरह हो गए हैं. जो लगभग लटक से गए है. इस चुनाव में चेस के खेल के जैसे आंकड़े बदल रहे हैं. एक बात है जिस पर अमेरिका सबसे ज्यादा गर्व करता हैं वह हैं अमेरिका का संघीय ढांचा. अमेरिका कि जो चुनावी प्रक्रिया है, उसमें 3 नवंबर को वोट डाले गए हैं. यह सीधे तौर पर राष्ट्रपति को नहीं डाले जाते. लोग इलेक्टरेट को चुनने के लिए निकलते हैं. आगे चल कर ये इलेक्टोरल कॉलेज राष्ट्रपति को चुनते हैं. हर राज्य का अपना एक इलेक्टोरल कॉलेज का वोट तय होता है, जिससे पता चल जाता है किस राज्य में क्या प्रोजेक्शन है और क्या नंबर आ रहे हैं. कोरोना महामारी के कारण इस बार बहुत लेट तक वोटों की गिनती हो रही है. क्योंकि बड़ी संख्या में पोस्टल बैलट के वोट इस बार पड़े हैं. अमेरिका में अलग-अलग टाइम जोन है. भारत की तरह एक टाइम ज़ोन नहीं है. ऐसे में बहुत से ऐसे राज्य जो अलग टाइम जोन में आते हैं वहां वोट गिनने की प्रक्रिया बंद हो जाती है.”
अतुल ने ट्रम्प द्वारा वोटों को लेकर कोर्ट में जाने की बात पर मेघनाथ को चर्चा में शामिल करते हुए कहा, "ट्रंप ने पहले ही अपनी जीत की घोषणा कर दी है. फिर बाद में कहते हैं हम इसे कोर्ट में चैलेंज करेंगे. अब कोर्ट में चैलेंज करने की हालत में उन्हें किस तरह का नफा-नुकसान हो सकता है. ट्रंप का यह बयान कितना मायने रखता है?”
मेघनाद कहते हैं, “यह चुनाव बहुत खास है क्योंकि महामारी के दौरान इसका आयोजन हुआ. अगर आसान भाषा में बोला जाए तो अमेरिका में हम दो तरह से वोट डाल सकते हैं. पहला की इन पर्सन और दूसरा मेल इन बैलेट की मदद से डाल सकते हैं. इस बार काफी हद तक मेल इन बैलट की मदद से वोट डाले गए हैं, क्योंकि कोरोना के चलते लोग बूथ पर जाकर वोट डालने से कतरा रहे थे. वास्तव में डेमोक्रेटिक पार्टी भी मेल इन बैलेट की सलाह दे रही थी. दूसरी दूसरी तरफ ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी मेल इन बैलट को नकार कर इन पर्सन वोट डालने को अपील कर रही थी. पहले मेल इन पर्सन वोट की गिनती हो रही थी, इसलिए ट्रंप आगे थे लेकिन अब मेल इन बैलेट की गिनती शुरू हो गई है, लिहाजा बाइडेन को बढ़त मिलती दिख रही है.”
चर्चा में शार्दुल को शामिल करते हुए अतुल कहते हैं, “भारत की राजनीति के लिहाज से अमेरिकी विदेश नीति में सरकारों के बदलने से ज्यादातर मसलों में बहुत कम असर पड़ता है. इस बार ट्रंप के जाने और बाईडन के जीतने की संभावना लग रही है. ऐसे में भारत के नज़रिये से संबंधों पर किस तरह का असर पड़ सकता है. खासकर तब जब बाइडेन, मोदी की नीतियों के समर्थक नहीं रहे हैं.”
इस पर शार्दूल कहते हैं, "अमेरिका की विदेश नीति इस लिए मायने रखती है क्योंकि अमेरिका दुनिया में एक तरह का साम्राज्यवाद चलाता है. अमेरिका के इलेक्शन, भारत और अन्य देशों के लिए इसी वजह से महत्वपूर्ण हैं. जैसा आप ने कहा, कि बाइडेन ट्रंप की तरह भारत के समर्थक नहीं हैं, लेकिन यह आधा सच है. डेमोक्रेटिक पार्टी ह्यूमन राइट, धर्मिक आज़ादी ऐसे तमाम चीज़ों पर बात करती है. क्योंकि वह इस तरह के कई प्रोग्राम भी दुनिया भर में चलाते हैं. अमेरिका सबसे पहले अपना फायदा देखता है इसलिए यह कहना गलत होगा कि बाइडेन के आने से भारत के साथ उसके रिश्तों पर असर पड़ सकता है.”.
अमेरिकी चुनावों के अन्य पहलुओं पर भी विस्तार के साथ चर्चा हुई साथ में महाराष्ट्र पुलिस द्वारा रिपब्लिक टीवी के एंकर और मालिक अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर भी पैनल ने विस्तार से अपनी राय रखी. इसे पूरा सुनने के लिए हमारा पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
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टाइम कोड
00:00 - प्रस्तावना और हेडलाइन
5:34 - अमेरिकी चुनाव
39:19 - अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी
1:18:16 - सलाह और सुझाव
सलाह और सुझाव
स्मिता शर्मा
मेघनाथ एस
द लोउडेस्ट वॉइस इन द रूम - गेब्रियल शेर्मन
एन्ड ऑफ़ द वर्ल्ड - जो रोगन पॉडकास्ट
हाउ डेमोक्रेसी डाई - स्टीवन लेवित्स्क्य
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