एक बार नीतीश कुमार ने कहा था कि जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बनाना उनकी सबसे बड़ी भूल थी, इसके बाद मांझी ने नीतीश कुमार से अलग होकर अपनी नई पार्टी (हम) बना ली थी, लेकिन अब दोनों ही नेता सभी गिले-शिकवे भुलाकर बिहार में मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम पार्टी ( हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी महागठबंधन से अलग होकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए ) के साथ चुनावी मैदान में उतर चुके हैं. न्यूजलॉन्ड्री के संवाददाता बसंत कुमार ने उनसे कई विषयों पर बात की.
महागठबंधन से अलग होने के सवाल पर मांझी ने कहा, ‘‘हम गरीब जरूर हैं लेकिन जनतांत्रिक मूल्यों के प्रति मेरी बहुत श्रद्धा है और अब चाहते हैं कि जनतांत्रिक मूल्य बना रहे. लोग विपक्ष से सत्ता पक्ष में जाते हैं, लेकिन मैं सत्ता पक्ष से विपक्ष में गया. वहां एक आदमी की चलती है, चाहे टिकट का मामला हो या राजनीतिक गतिविधियों का. इसकी काट के लिए हमने कहा था कि यहां कोऑर्डिनेशन कमेटी बननी चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कांग्रेस के लोगों से भी कहा. उन्होंने कहा कि आप बिलकुल सही कह रहे हैं, लेकिन कांग्रेस को भी उन लोगों ने धत्ता बता दिया. उनकी भी औकात बता दी. और जो हम चाहते हैं वहीं होगा. यहां तक कह दिया गया कि राजद जो निर्णय लेता है वहीं होगा. जिसको मानना है वो माने नहीं तो जाए. इसके बाद वहां रहने का मेरा क्या औचित्य था.’’
एनडीए में एक तरफ जहां ‘हम’ को महज सात सीटें मिली हैं वहीं एक नई नवेली पार्टी वीआईपी को 11 सीटें दी गई हैं. ऐसा क्यों हुआ? इस सवाल के जवाब में जीतन राम मांझी कहते हैं, ‘‘महागठबंधन से एनडीए में हम बिना किसी शर्त के गए हैं. मैंने नीतीश कुमार से कहा था कि आप एक सीट भी नहीं देंगे तो भी हम आपके साथ रहेंगे. हम उन्हें शुक्रिया कहते हैं कि कम से कम सात सीटें उन्होंने हमें दीं. जिनको कह रहे हैं (वीआइपी) तो आप जानते होंगे कि कार्यकर्ता कौन है, नेता कौन है और चिन्ह किसका है. इस तरह से अगर सोचा जाएगा तो वीआइपी पार्टी के चिन्ह पर भले लोग लड़ रहे हैं, लेकिन वो कहां के हैं ये आप लोग जानते हैं.’’
बातचीत के दौरान जीतनराम मांझी ने तेजस्वी की तारीफ जरूर की लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि वे कभी नीतीश कुमार का विकल्प नहीं हो सकते हैं.
इसके अलावा हमने हम पार्टी के अंदर मौजूद परिवारवाद, एलजेपी के अलग लड़ने, नीतीश कुमार के चौतरफा घिरने समेत अलग-अलग विषयों पर जीतन राम मांझी से सवाल किए. पूरा इंटरव्यू यहां देखें.
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