आम आदमी पार्टी सरकार ने लंबे समय से दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे अस्थायी शिक्षकों को वरीयता देने की मांग की थी जिसे एलजी, और हाईकोर्ट ने ठुकरा दिया.
अरविंद केजरीवाल के चुनावी वादों में अस्थायी शिक्षकों को नियमित करना भी एक वादा था. दिल्ली के सरकारी स्कूलों में करीब 15,000 अस्थायी शिक्षक पढ़ाते हैं. लेकिन जब दिल्ली सरकार ने करीब 15,000 रिक्तियों पर नियमित नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की है तब इन अतिथि शिक्षकों के हाथ कुछ नहीं लगा है. पहले दिल्ली सरकार ने इन अतिथि शिक्षकों को नियुक्तियों में वरीयता देने की बात कही थी जिसे दिल्ली के उपराज्पाल ने ठुकरा दिया था. अपनी मांग को लेकर दिल्ली सरकार हाईकोर्ट गई. हाईकोर्ट ने भी दिल्ली सरकार की बात न सुनते हुए नए सिरे से नियुक्ति करने का आदेश दिया है. ऐसे में 15,000 अतिथि शिक्षकों के सामने बेरोजगारी का संकट खड़ा हो गया है. दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश के बाद दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) ने नियमित पदों के लिए रिक्तियां निकालीं हैं.
दिल्ली सरकार ने अस्थायी शिक्षकों को नियमित करने के लिए विधानसभा में बिल भी प्रस्तावित किया जिसे बाद में उपराज्यपाल ने खारिज कर दिया. दिल्ली सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव के चलते हजारों शिक्षकों के रोजगार की अनिश्चितता बनी हुई है. देखिए ये वीडियो रिपोर्ट.