5 अगस्त के मौके पर उत्तर-पूर्व दिल्ली में बवाल कराने की कोशिश

भजनपुरा के सुभाष मुहल्ला में 5 अगस्त की देर रात गली के गेट पर भगवा झंडा लगाने, पटाखे फोड़ने और नारेबाजी से लोगों में डर का माहौल.

5 अगस्त के मौके पर उत्तर-पूर्व दिल्ली में बवाल कराने की कोशिश
  • whatsapp
  • copy

गुरुवार को दिल्ली का आसमान बाकी दिनों से बिल्कुल अलग था. साफ-साफ बादलों के टुकड़े उड़ रहे थे. लेकिन भजनपुरा में मौजूद सुभाष मुहल्ले की गली नम्बर एक और दो में रहने वाली तमाम महिलाएं एक बरामदे में इकट्ठा थीं. इन महिलाओं ने रात बगैर सोए गुजारी है. चिंता और डर के कारण.

बातचीत की शुरुआत में ही एक महिला हमें एक वीडियो दिखाती है. वीडियो में 5 अगस्त की रात एक बजकर आठ मिनट पर दो लड़के आते हैं. मुस्लिम बाहुल्य गली वाले गेट पर भगवा रंग का कपड़ा बांधते हैं और चले जाते हैं. वीडियो दिखाने वाली महिला 38 वर्षीय शाहीन हैं.

शाहीन बताती हैं, ‘‘ये सीसीटीवी फूटेज है. इसमें आवाज़ नहीं है, लेकिन कल रात गली में घूम-घूमकर आठ नौ लड़के जय श्रीराम के नारे लगा रहे थे और गालियां दे रहे थे. सुअरों बाहर जाओ... मुल्लों बाहर जाओ...’’

देर रात गली पर झंडा लगाते लोग..

देर रात गली पर झंडा लगाते लोग..

सीसीटीवी

इस महिला की बातचीत खत्म होने से पहले एक दूसरी महिला रुबीना सैफी बोलने लगती हैं, ‘‘मेरा तो घर गेट के बिलकुल पास है. डर से मुझे रातभर नींद ही नहीं आई. उस वक़्त बिजली भी गई हुई थी. उन्होंने गेट का ताला तोड़ने की कोशिश की जब इसमें सफल नहीं हुए तो गेट पर बम बांधकर उसे फोड़ दिया. गेट नहीं होता तो वो अंदर आ जाते. इस गली के सारे मर्द पहले ही पुलिस के डर से भागे हुए है. ज्यादातर लेडिज ही रह गई हैं.’’

बुधवार को अयोध्या में राम मंदिर के भूमिपूजन का मौका था. उत्तर-पूर्वी दिल्ली के भजनपुरा इलाके में भी कुछ लोग इसका जश्न मना रहे थे. हर गली में लटके बड़े-बड़े पोस्टर और घरों पर टंगे भगवा झंडे इसकी तस्दीक कर रहे थे.

वहां मौजूद एक दूसरी महिला बताती है, ‘‘दिनभर उन्होंने गाने बजाकर और नारे लगाकर जश्न मनाया. हमें उससे कोई परेशानी नहीं थी. कुछ गड़बड़ ना हो इसके लिए हमने अपने बच्चों को दिनभर बाहर जाने नहीं दिया. देर रात सुभाष मुहल्ला के गली नम्बर एक, दो और चार की गेट पर कुछ लड़के भगवा कपड़ा और झंडा लगा गए. वे गालियां भी दे रहे थे.’’

फरवरी में हुए दंगे के बाद उत्तर-पूर्वी दिल्ली की ज्यादातर गलियों में गेट लग गए हैं. लोग रात 10 बजे तक अपने गेट पर ताला लगा देते हैं. ये गेट भी दंगे के बाद ही लगा है.

शरारती तत्वों द्वारा इसी गेट पर लगाया गया भगवा झंडा

शरारती तत्वों द्वारा इसी गेट पर लगाया गया भगवा झंडा

फरवरी महीने में हुए दंगे के दौरान सुभाष मुहल्ला बुरी तरह से चपेट में आया था. यहीं पर मारुफ़, शमशाद और रेहान को दंगाइयों ने गोली मार दी थी. शमशाद और रेहान तो बच गए, लेकिन मारुफ़ की मौत हो गई. बाद में पुलिस ने मारुफ़ और शमशाद को गोली लगने के मामले में गली नम्बर दो के ही चार मुसलमानों को आरोपी बना दिया. जिसमें से तीन, इरशाद, शोएब सैफी, मोहम्मद इरशाद जेल में हैं और मोहम्मद दिलशाद दो महीने जेल में रहने के बाद बीमारी की वजह से जमानत पर बाहर हैं.

इस गली के कई और लोगों को दंगे में शामिल होने पर पुलिस द्वारा नोटिस जारी किया गया है. आए दिन क्राइम ब्रांच के अधिकारी इन्हें पकड़ने के लिए जाते है. जिसके बाद से गली के ज्यादातर पुरुष घर से ग़ायब हैं. महिलाएं ही अपनी सुरक्षा की लड़ाई लड़ रही है और उसको लेकर चिंतित हैं.

यहां से सिर्फ पुरुष ही ग़ायब नहीं हुए कई लोग अपने घर पर ताला लगाकर परिवार सहित पलायन कर गए हैं. कोई दंगे के तुरंत बाद चला गया तो कोई बाद में पुलिस की डर से चला गया है. स्थानीय लोगों के दावे के मुताबिक 5 अगस्त की रात हुई घटना के अगले दिन दो और परिवार यहां से चले गए.

इसी रस्सी से गेट में बम बांध करके फोड़ा

इसी रस्सी से गेट में बम बांध करके फोड़ा

पुलिसकर्मियों ने हटाया पताका

दोपहर के एक बजे हम जब सुभाष मुहल्ला पहुंचे तो तीनों गेट पर लगा भगवा झंडा स्थानीय पुलिस के कर्मचारियों द्वारा हटा दिया गया था. इसका भी वीडियो शाहीन के फोन में मौजूद हैं.

वह वीडियो को दिखाते हुए शाहीन कहती हैं, ‘‘गली नम्बर एक में रहने वाली सन्नो ने कुछ स्थानीय दंगाइयों की शिकायत पुलिस से की है. ये लोग मारुफ़ अली की हत्या में शामिल थे. जिसके बाद शिकायत वापस लेने के लिए उसे बार-बार धमकाया जाता है. उसके बेटे और पति पर जानलेवा हमला हुआ है. बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर उसे सुरक्षा दी गई है. जैसे ही शोरगुल हुआ सन्नो के घर के बाहर बैठे पुलिस वाले आए और उसे हटाने लगे. हमने उन्हें रोका और सौ नम्बर पर फोन किया तो वे लोग भी आ गए. उन्होंने हर गेट पर लगा झंडा हटा दिया.’’

सन्नो के पति सलीम (54 वर्ष) के घर के बाहर पुलिस आदेश के बाद हाल ही में सीसीटीवी कैमरा लगा है. कैमरा में रात की रिकॉर्डिंग दिखाने के बाद वे कहते हैं, ‘‘ये बेवजह उकसाने वाली हरकत है. चोरी से आना और झंडा लगाकर गाली देने में मुहब्बत थोड़ी है. अगर वे मुहब्बत से दिन में आकर गली के गेट पर जो मन वो लगाते हम भी उनकी खुशियों में शरीक होते, लेकिन ऐसा उन्होंने नहीं किया. क्योंकि उनका मकसद तो कुछ और है. हर वक़्त एक नफरत का माहौल यहां इख़्तियार कर चुका है और उसको रोज हवा दी जा रही है.’’

सलीम आगे कहते हैं, ‘‘अगर यह सब किसी खास मकसद से नहीं किया गया तो जो कैमरा गली नम्बर 2 पर लगा है उसकी रात में रिकॉर्डिंग क्यों रोक दी गई थी. पीडब्लूडी के इस कैमरे का स्क्रीन सोनू के कमरे में लगा हुआ है. जब पुलिस वाले उस कैमरे की रिकॉर्डिंग देखने पहुंचने तो पता चला कि अभी दस मिनट पहले ही उसकी रिकॉर्डिंग शुरू हुई है. यानी रात में बंद कर दिया गया था. क्यों? अगर वो चल रहा होता तो ये सब करने वाले पकड़े जाते.’’

अब्दुल हफीज

अब्दुल हफीज

इसी कैमरे की मदद से दिल्ली पुलिस ने मारुफ़ अली के मामले में दिलशाद, इरशाद, शोएब सैफी और मोहम्मद दिलशाद को गिरफ्तार किया है.

हमारी मुलाकात वहां मौजूद दिल्ली पुलिस के एक कर्मचारी से हुई जिन्होंने गेट के ऊपर से झंडा हटाया था. वे हमें बताते हैं, ''ये कुछ लड़कों की हरकत है. उनका मकसद क्या था यह तो हम नहीं बता सकते, लेकिन वीडियो देखने और आसपास के लोगों से बात करने पर कुछ खास निकलकर नहीं आया. दो-चार लड़कों ने ऐसा किया है. हमने झंडा हटा दिया ताकि कोई हंगामा न हो.’’

गेट नम्बर दो पर लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज को लेकर पूछे गए सवाल पर पुलिस अधिकारी बताते हैं, ‘‘हमलोग उस कैमरे का वीडियो देखने गए थे, लेकिन उसमें सिर्फ लाइव रिकॉडिंग चल रहा है. हमें रात की रिकॉर्डिंग नहीं मिली. हमने कैमरे की देखरेख करने वाले को बुलाकर उसे ठीक करने के लिए कहा है. अब यहां सबकुछ सही है.’’

महिलाओं ने लिखा डीसीपी को पत्र

इस घटना के बाद महिलाओं ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के डीसीपी को शिकायत पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने बताया कि पूर्व में हमने जिन लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है उन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. ये लोग हमें धमकाते हैं. हम लोग अपने घर इन्हें औने-पौने दामों में बेचकर भाग जाएं नहीं तो ये हमें मारेंगे. इससे पूरे इलाके के मुस्लिमों में डर का माहौल है.’’

गली की रहने वाली करीब 10 महिलाओं और एक पुरुषों ने यह शिकायती पत्र डीसीपी नार्थ-ईस्ट को लिखा है और इस शिकायत पत्र को भारत के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, दिल्ली के एलजी, एनएचआरसी के चेयरमैन समेत कई और जिम्मेदार लोगों को भेजा गया है.

इस शिकायत में लिखा गया है कि कल रात तकरीबन एक बजे जो लोग दंगे में शामिल थे उन लोगों ने साजिश रचकर हमले की योजना बनाई और पहले इन लोगों ने पूरे इलाके में भगवा झंडे लगाए और मुस्लिमों के घरों के सामने जाकर घर छोड़कर भाग जाने के लिए नारे लगे, धमकियां और गंदी-गंदी गलियां दी. इनमे से ज्यादातर लोग वही थे जो दंगों में शामिल थे.’’

महिलाओं द्वारा डीसीपी को लिखा पत्र

महिलाओं द्वारा डीसीपी को लिखा पत्र

पत्र के शुरुआत में फरवरी महीने में हुए दंगे के दौरान शामिल रहे लोगों के रूप में सोनू, बॉबी, मोहित, योगी, चन्द्र, पंकज गुप्ता, दयाराम, बंटी और पप्पू का नाम लिया है. जो गली नम्बर दो और एक के रहने वाले है. महिलाओं की शिकायत के अनुसार, इन लोगों ने बीजेपी नेता जगदीश प्रधान और मोहन सिंह बिष्ट के साथ मिलकर दंगे की साजिश रची थी.

इनमें से सोनू, योगी और बॉबी का नाम मारुफ़ की हत्या के मामले में उनके भाई हारून, साथ में घायल हुए शमशाद, शाहीन और सन्नो समेत कई और लोगों ने लिया है. पुलिस भी कई दफा इनसे पूछताछ कर चुकी है हालांकि अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है.

ऑटो रिक्शा चलाने वाले सोनू से न्यूजलॉन्ड्री ने मुलाकात की. वे कहते हैं, ‘‘मेरी पैदाइश यहीं हुई है. दंगे के बाद माहौल इतना खराब हो गया कि अगर मैं उनकी गली में जाता हूं तो वे अजीब तरह से देखते हैं. जहां तक सीसीटीवी की बात हैं आप उसे खुद देख सकते है. हमने उससे कोई छेड़छाड़ नहीं किया है. बीती रात यहां कोई लड़ाई झगड़ा नहीं है. रात कोई एक झंडा ऊपर और एक नीचे लगा गया था. सुबह के वक़्त मुझे लगा कि कोई आएगा तो उसे नीचे फेंक देगा तो मैं उसे हटा दिया. ऊपर वाला मैंने नहीं छेड़ा क्यों ऊंचाई पर था. हालांकि मुझे लग गया था कि इस पर हंगामा होगा. अभी काम से लौटा तो जाना की सुबह से हंगामा हो रहा है.’’

इसको लेकर न्यूजलॉन्ड्री ने भजनपुरा थाने के एसएचओ अशोक शर्मा से बात की. उन्होंने कहा, ‘‘यह कोई बड़ा मामला नहीं है. दो दिन पहले तो पूरे भारत ने पूजा की है. झंडा बांधने से या पूजा करने से क्या दिक्कत हो रही है. ऐसा नहीं है कि इनके मकान पर बांधा हो. यह तो मामले को भटकाने की कोशिश कर रहे है. उस गली के अंदर दस मकान हिन्दूओं के और 15 मकान मुस्लिम के है तो इससे क्या फर्क पड़ता है. गली के गेट पर तो कोई भी बांध सकता है.’’

लेकिन देर रात में जाकर बांधने और गाली देने के सवाल पर अशोक शर्मा कोई खास स्पष्ट जवाब नहीं देते हैं. वे कहते हैं, ‘‘यमुना पार की हर गली में सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है. उसके अंदर सबकुछ आ जाता है. हमने वीडियो देख लिया. उसमें ऐसी कोई बात नहीं है. हमने सबको समझा दिया है. अभी तक हमारे पास कोई शिकायत नहीं आई है. अगर शिकायत आती है तो हम उसपर कार्रवाई करेंगे.’’

 गली नम्बर दो में रहने वाली महिलाएं

गली नम्बर दो में रहने वाली महिलाएं

दंगे को बीते छह महीने होने वाले है. उस दौरान दुकानों और घरों में लगी आग से बने निशान को मिटाकर लोग फिर से जिंदगी की शुरुआत कर चुके हैं. लेकिन मन में अविश्वास का जो दाग लगा है वो अब भी ताजा है. लोग एक-दूसरे से डर रहे हैं.

दिल्ली दंगे में अपने भाई को खोने वाले और उसकी हत्या के चश्मदीद गवाह हारून बताते हैं, ‘‘मेरी जिंदगी को तो हमेशा खतरा रहता है. पांच अगस्त को मैं घर से निकला ही नहीं. घर के जितने छोटे बच्चे हैं वे और ज्यादा डरे हुए हैं. उनके डर को देखते हुए हमने सभी बच्चों को दूसरी गली में रहने वाली अपनी बहन के घर पर भेज दिया है. हमने कई दंगाइयों के खिलाफ शिकायत कर रखी है. पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर रही है. वे हमें मारने का हर बहाना तलाश रहे हैं.’’

वहीं दूसरी तरफ गली नम्बर दो और एक की रहने वाली महिलाएं अपनी सुरक्षा की लड़ाई खुद ही लड़ रही है. वे कहती है, ‘‘हमें अपनी, बच्चों की और परिजनों की हर वक़्त चिंता रहती है, लेकिन इस वजह से हम अपनी शिकायत तो वापस नहीं ले सकते हैं. असली दंगाई पकड़े जाने चाहिए. पुलिस अभी उन्हें बचा रही है. दंगाई तो शिकायत वापस लेने के लिए धमकाते ही है पुलिस वाले भी कहते हैं शिकायत वापस ले लो. शिकायत तो हम वापस नहीं लेने वाले है.’’

दंगे के बाद सिर्फ गलियों में मजबूत गेट नहीं लगा, मन और भरोसे पर भी एक मजबूत गेट लग गया है.

Also see
दिल्ली दंगा: दंगा सांप्रदायिक था, लेकिन मुसलमानों ने ही मुसलमान को मार दिया?
दिल्ली दंगा: सोनू, बॉबी, योगी और राधे जिनका नाम हर चश्मदीद ले रहा है
subscription-appeal-image

Press Freedom Fund

Democracy isn't possible without a free press. And the press is unlikely to be free without reportage on the media.As India slides down democratic indicators, we have set up a Press Freedom Fund to examine the media's health and its challenges.
Contribute now

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like