तुषार मेहता, ताहिर हुसैन और खबरिया चैनलों की तुनक-तुनक तुन तानाना...

दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और विवादों पर संक्षिप्त टिप्पणी.

देश के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष क्या रखा कि पूरे देश में कोहराम मच गया. कोहराम इसलिए कि मेहता साब ने व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी का सारा ज्ञान सुप्रीम कोर्ट में उड़ेल दिया. सॉलिसिटर जनरल ने अपनी बात कहने के लिए न सिर्फ व्हाट्सएप ज्ञान का इस्तेमाल किया बल्कि हू-ब-हू उसे कॉपी पेस्ट मार दिया. उन्होंने इतने भारी-भरकम पत्थर माननीय जजों की जानिब उछाल दिए कि सारा देश ही उसके बोझ तले कराहने लगा. उनके हमलावर तीरों के निशाने पर पत्रकारिता खास तौर से थी.

उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के फोटो पत्रकार केविन कार्टर की कहानी सुनाई. कार्टर ने सूडान में अकाल के दौरान गिद्ध और बच्चे की तस्वीर खींची थी जिसे पुलित्ज़र पुरस्कार मिला था. यह कहानी भाजपा समर्थकों के बीच व्हॉट्सऐप पर पिछले कुछ दिनों से घूम रही थी. इसमें प्रवासी मज़दूरों की दुर्दशा बताने वाले पत्रकारों की तुलना गिद्धों से की गई है. तुषार मेहता ने वही कहानी अक्षरश: सुप्रीम कोर्ट में रट मारी.

यह कहानी झूठी और अधूरी है. पूरी कहानी और साथ में खबरिया चैनलों के अंडरवर्ल्ड में घटी बीते हफ्ते की घटनाओं को जानने के लिए देखिए ये पूरी टिप्पणी.

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