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एनएल चर्चा के इस एपिसोड में महाराष्ट्र के पालघर में साधुओं के साथ हुई हिंसा, कश्मीर के तीन पत्रकारों पर दर्ज हुए केस, वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की गिरती रैंकिंग, फेसबुक द्वारा रिलायंस जियो में किया गया निवेश और चीन के सेंट्रल बैंक का एचडीएफसी बैंक में हिस्सेदारी खरीदने के बाद एफडीआई नियमों में सरकार द्वारा किए गए बदलाव पर चर्चा हुई.
इस बार चर्चा में वरिष्ठ पत्रकार अनिंद्यो चक्रवर्ती, न्यूज़लॉन्ड्री के संवाददाता प्रतीक गोयल, शार्दूल कात्यायन और न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाथ एस शामिल हुए. चर्चा का संलाचन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल ने पालघर के मुद्दे पर चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रतीक से घटना की जानकारी जाननी चाही- “यह पूरा मामला क्या हैं और इस पर मीडिया रिपोर्टस में जो धार्मिक एंगल बताया जा रहा हैं उसकी सच्चाई क्या है.”
प्रतीक कहते हैं, “इस मामले में धार्मिक पहलू की बात सही नहीं है. इस घटना में दो महत्वपूर्ण चीजें हुई, पहली तो अफवाह और दूसरा सोशल मीडिया से फैलाया गया फेक न्यूज़. इस घटना के पीछे एक बच्चा चोर गिरोह की अफवाह थी जिसकी शुरुआत 12 अप्रैल को हुई थी. पालघर के एक गांव में एक महिला जो घर पर अकेली थी, उसके घर पर एक चेहरा ढंके हुए आदमी घुसा, जिसपर महिला ने आवाज लगाकर पूरे गांव वालों को बुलाया, लेकिन तब तक वह भाग चुका था. उसके बाद उस गांव के लोगों ने दूसरे गांव के लोगों को इस बारे में बताया और ऐसे ही धीरे-धीरे यह अफवाह पूरे इलाके में फैल गई. इस अफवाह के बाद बड़े-बड़े ग्रुप में लोगों ने रात में पहरेदारी शुरू कर दिया. जिस वक्त साधुओं के साथ यह घटना हुई, उससे कुछ दिनों पहले ही एक डॉक्टर जो इलाके में नामी है और लोग उन्हें जानते भी है, जब वह राशन बांटने गए, तो उनके साथ भी गांववालों ने हिंसक व्यवहार किया. लोग उन पर भी बच्चा चोर होने का आरोप लगा रहे थे.”
इस मामले के दूसरे पहलूओं पर बात करते हुए अनिंद्यो , मेघनाथ और शार्दूल ने भी अपने विचार व्यक्त किए. अतुल ने पूछा, “अर्णब गोस्वामी ने जिस तरह खुले तौर पर कहा कि एक पादरी, मौलाना के मौत पर बोलने वाले आज चुप क्यों है? भारतीय मीडिया में ऐसा तो कई सालों से किया जा रहा है लेकिन खुले तौर पर पहली बार किसी ने धार्मिक आधार पर आह्वान किया है. आप लोग इसे कैसे देखते हैं.”
इस पर मेघनाथ कहते हैं, “न्यूज़ वर्ल्ड के राखी सावंत, यानी की अर्णब गोस्वामी ने इस बार सारी हदें पार कर दी हैं. शो के शुरुआती समय में अर्णब बार-बार हिंदू साधु... हिंदू साधु बोल रहे थे, फिर उन्होंने कहा आज हम पूछते की जो बुद्धिजीवी माइनॉरिटी पर होने वाली हिंसा पर सवाल उठाते हैं वह आज कहा हैं. इस पुरे मुद्दे पर वह कुल 3 घंटों तक शो करते है- एक रिपब्लिक भारत पर और दो रिपब्लिक टीवी पर. लेकिन हमें सबसे पहले इस तरह के नफरत फैलाने वाली खबरों के प्रयोजकों के खिलाफ बोलना होगा, तभी बदलाव आएगा.”
अनिंद्यो कहते हैं, “इन दिनों मैं ज्यादा न्यूज़ को फॉलो नहीं कर रहा, लेकिन मैं यह भी नहीं जानता अर्णब गोस्वामी ऐसा क्यों कर रहे है. जब मैं एनडीटीवी इंडिया में काम करता था, तो उस समय जब मैं रेटिंग देखता था, तो मेरे बॉस ( प्रणय रॉय) कहते थे आपका काम रेटिंग देखना नहीं न्यूज़ बनाना है. लेकिन बाकी दूसरे चैनलों को रेटिंग देखना पड़ता है. बार्क की 14 अप्रैल के हफ्ते वाली रिपोर्ट की बात करे तो रिपब्लिक भारत चैनल चौथे नंबर पर है. अर्णब गोस्वामी यह जानते है कि दर्शक क्या देखना चाहता है और देश में काफी संख्या में लोग सोनिया गांधी के खिलाफ खबरें देखना चाहते है इसलिए सोशल मीडिया पर कई हैशटैग सोनिया गांधी के खिलाफ चल रहे हैं.”
अर्णब गोस्वामी और पालघर पर बात करते हुए शार्दूल कहते हैं, “अर्णब गोस्वामी जानते है कि हिंदी मीडिया में अंग्रेजी से ज्यादा पैसा हैं. इसलिए वह अब रिपब्लिक भारत पर भी शो करते है. जो लोग यह बात करते है कि हम एक हैं, देश की एकता के लिए हम एक है, ऐसे लोग गरीबों के शोषण में भी एक हैं. देश में सामाजिक असमानता भी एक बड़ा मुद्दा हैं जिस पर सरकारों को ध्यान देना चाहिए. ज्यादा देर हो जाने पर यह मामला सामाजिक संरचना को बिगाड़ सकता है.”
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पत्रकारों की राय, क्या देखा पढ़ा और सुना जाए.
शार्दूल कात्यायन
चुपके-चुपके फिल्म
अनिंघो चक्रवर्ती
मेघनाथ
इनसाइड पार्लियामेंट - डेरेक ओ ब्रायन की किताब
न्यूज़लॉन्ड्री पर डेरेक ओ ब्रायन का इंटरव्यू
अतुल चौरसिया
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