अंजना की कोरोना वाली अंताक्षरी और चैनलों का मुस्लिम द्वेष

दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और विवादों पर संक्षिप्त टिप्पणी.

ऐसे समय में जब पूरा देश लॉकडाउन से गुजर रहा है, लोगों की चिंताएं और आशंकाएं बढ़ी हुई हैं तब लोगों की स्वाभाविक सी प्रतिक्रिया होगी कि न्यूज़ देख लिया जाय. देश और दुनिया का ताज़ा सूरते हाल जान लिया जाय. आजजब अख़बार भी नहीं आ रहे हैं तब ख़बरिया चैनलों की अहमियत पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है. लेकिन हमारे न्यूज़ चैनलों पर फिलहाल आपको अंताक्षरी से लेकर रामायण के कलाकारों के अनुभव शेयर करने की होड़ लगी हुई है. ध्यान रहे कि यह अंताक्षरी बिल्कुल उसी वक्त में खेली जा रही थी जिस वक्त कोरोना से डर कर दिल्ली- उत्तर प्रदेश की सीमा पर लाखों की संख्या में मजदूर, कामगार पलायन के लिए इकट्ठा हो गए थे. इतना ही नहीं, मौकेे की तलाश में बैठे सांप्रदायिकता से ओत प्रोत न्यूज़ चैनलों ने तबलीग़ी जमात के बहाने मुसलमानों और इस्लाम पर हमले की सारी हदें पार कर दीं. पूरी टिप्पणी देखिए, और अपनी राय अवश्य दीजिए.

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