गर्ममिजाज़ सरबजीत और अनाड़ी पुलिसकर्मियों ने बनाया तिल का ताड़

ग्राउंड रिपोर्ट : अनुभवहीन पुलिसकर्मियों और उग्र ऑटो चालक की लड़ाई के बीच उलझे सियासी और धार्मिक रेशे.

WrittenBy:बसंत कुमार
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दिल्ली के मुखर्जी नगर इलाके में सिख ऑटो ड्राइवर और दिल्ली पुलिस के जवानों के बीच हुई मारपीट का वीडियो अब धीरे-धीरे ठंडा पड़ रहा है. अब दूसरी चीज़ें धीरे-धीरे गर्मा रही हैं, दिल्ली अकाली दल की दो हिस्सों में बंटी राजनीति उनमें से एक हैं. हम जब घटना के लगभग 24 घंटे बाद पीड़ित ऑटो चालक सरबजीत के गांधी विहार स्थित घर पहुंचे, तब तक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उनसे मिलकर वापस लौट चुके थे. पीड़ित सरबजीत वहां नहीं थे, उनके पिता मनजीत सिंह से हमारी मुलाकात हुई. उन्होंने बताया कि कुछ लोग सरबजीत को लेकर रकाबगंज गुरुद्वारे गये हैं.

हालांकि, मोहल्ले के लोग हाल-चाल जानने के लिए लगातार आ रहे थे. जितने मुंह, घटना की उतनी कहानियां हमें सुनने को मिल रही थीं. किसी के मुताबिक पुलिस वालों ने पैसों की उगाही के चक्कर में सरबजीत को पीटा, तो किसी के मुताबिक यह पुलिस और टैंपो के आपस में टकराने के कारण हुई. कुछ लोगों का मानना है कि सरबजीत ने ऑटो को गलत तरीके से पार्क कर रखा था.

उत्तर पूर्वी दिल्ली के गांधी विहार में रहने वाले सरबजीत से हमारी थोड़ी बहुत बातचीत रकाबगंज गुरुद्वारे में हुई. बेहद थके, दर्द से आहत दिख रहे सरबजीत का वीडियो पूरे देश ने देखा, जिसमें सरबजीत और उनके बेटे बलवंत की दिल्ली पुलिस के जवानों के बीच झड़प हो रही थी. सरबजीत ग्रामीण सेवा ऑटो के चालक हैं. वायरल वीडियो के संबंध में जब हमने उनसे पूछा तो उन्होंने कहा, “मेरी गाड़ी किनारे खड़ी थी. तमाम गाड़ियां आ जा रही थीं. तभी पुलिस की एक गाड़ी आयी और मेरी गाड़ी से टकरा गयी. इसके बाद हमारी पुलिस वालों से बहस होने लगी. फिर कई पुलिस वालों ने मिलकर मुझे बहुत मारा.”

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गुरुद्वारे के एक कमरे में लेटे हुए सरबजीत सिंह ने इसके बाद हमसे और बातचीत करने से मना कर दिया. उन्होंने कहा, “डर लग रहा है. पूरे शरीर में दर्द हो रहा है. दवाई भी नहीं ली है मैंने अभी. मेरा बेटा बहुत दहशत में हैं.”

वीडियो 1:

इस वीडियो को घटनास्थल के सामने स्थित एक इमारत में रहने वाले यूपीएससी के कुछ छात्रों ने बनाया है. इस वीडियो से कुछ बातें निकलकर आती हैं मसलन किसी बात को लेकर पुलिस और सरबजीत के बीच कहासुनी हो रही थी. इस दौरान सरबजीत के हाथ में उनकी कृपाण थी. तभी उनका बेटा बलवंत आता है और उन्हें पुलिस वालों से दूर ले जाता है. इसी दौरान सात-आठ पुलिस वाले मुखर्जी नगर थाने से निकल कर आते हैं. उनमें से एक पुलिस जवान जो सादी वर्दी में था, उसने सरबजीत को पीछे से पकड़ लिया. ये एएसआई योगराज शर्मा थे. यहां पर पुलिस वाले सरबजीत पर बेतहाशा लाठियां बरसाने लगे. ये सब चल ही रहा था कि पीछे से सरबजीत के बेटे बलवंत ने गुत्थमगुत्था पुलिस वालों के ऊपर टैंपो भिड़ा दिया. इसके बाद कुछ पुलिस वाले बलवंत और कुछ सरबजीत को लाठियों से पीटते हुए थाने में घसीट कर ले गये. इस मारपीट में सरबजीत की पगड़ी भी उतर गयी.

वीडियो बनाने वाले छात्रों से हमने बातचीत की. छात्र अपना नाम ज़ाहिर नहीं करना चाहते हैं. उन्हें डर है कि कल को पुलिस कहीं उन्हें भी परेशान न करे. न्यूज़लॉन्ड्री को उन्होंने बताया, “हमने ही वीडियो बनाया था. हमें लगा कि दिल्ली पुलिस की ट्रेनिंग इतनी हल्की है कि एक कृपाण वाले शख्स को नियंत्रित करने का तरीका तक उन्हें ठीक से नहीं आता. चार-चार पुलिस वाले मिलकर उसे काबू नहीं कर पा रहे थे. ऊपर से इतनी बेरहमी से पीटा भी जा रहा था. बहुत बुरी तरह मारा गया.”

वीडियो 2:

यह वीडियो घटना के बाद देर शाम का है. जिसमें उग्र सिखों की भीड़ पुलिसवालों के साथ बहस करती दिख रही है. थोड़ी देर में कुछ उग्र सिखों ने एक पुलिस के जवान पर हमला कर दिया. वीडियो में कुछ लोग उस जवान का बचाव भी करते नज़र आ रहे हैं, लेकिन उग्र सिखों के सामने उनकी नहीं चली. मुखर्जी नगर थाने के एक पुलिसकर्मी ऑफ़ द रिकॉर्ड बताते हैं, “हमारे ही साथियों को बर्खास्त कर दिया गया और हमारे ही लोगों को सिख भी पीट रहे हैं. हमारे एएसआई को कई जगह कृपाण से चोट लगी है. कोई भी पुलिस के साथ नहीं खड़ा है.”

वीडियो 3:

इस वीडियो में उग्र सिखों का समूह राजौरी गार्डेन से शिरोमणि अकाली दल के विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा से हाथापायी और गाली-गलौज करते हुए नज़र आता है. गौरतलब है कि तनाव बढ़ने के बाद सिरसा मुखर्जी नगर पहुंचे थे. उन्होंने मामले को शांत कराने और लोगों की समझाने-बुझाने की कोशिश की. लेकिन कोई भी उनकी बात सुनने को तैयार नहीं था. सिरसा के साथ मारपीट के मामले में दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य जसमीन सिंह नोनी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “सिरसाजी के साथ कोई धक्का-मुक्की नहीं की गयी है. वहां मौजूद लोगों की नाराज़गी शिरोमणि अकाली दल (सरना) ग्रुप के लोगों से थी. लोग सरना ग्रुप को भगाना चाहते थे. हम तो देर रात वहां से मामले को शांत कराने के बाद लौटे.” ज़ाहिर है वीडियो में जो दिख रहा है, उसका कोई स्पष्ट जवाब नोनी के पास नहीं है.

मामले की मौजूदा स्थिति

घटना के तूल पकड़ने के साथ ही पुलिस ने मुखर्जी नगर थाने में तैनात तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है. इनके नाम सब इंस्पेक्टर संजय मलिक, सब इंस्पेक्टर देवेंद्र और कॉन्स्टेबल पुष्पेंद्र है. वहीं सरबजीत पर धारा 186, 353, 332 और 34 के तहत एफआईआर दर्ज़ हुई है. एक एफआईआर पुलिसवालों के ऊपर भी दर्ज़ हुई है, हालांकि इसमें दर्ज नाम और धाराओं के बारे में पुलिस अभी कुछ नहीं बता रही है.

उत्तर-पूर्व जोन के डीसीपी सुशील कुमार सिंह ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “तीन पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया जा चुका है. अभी हालात कंट्रोल में हैं. जो भी अन्य दोषी होगा उस पर कार्रवाई होगी.”

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घटना के वक़्त वहां मौजूद रहे एक कारपेंटर दिलशाद खान ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “हम जब हल्ला सुनकर वहां पहुंचे तो सरदारजी बेतहाशा कृपाण भांज रहे थे. इस खींचतान में एक पुलिस वाले को सर पर कृपाण से चोट भी लग गयी. तभी दूसरी तरफ से सरदारजी के बेटे ने पुलिस वालों पर टैंपो चढ़ा दी. इससे भी पुलिस वालों का गुस्सा बढ़ गया. कोई भी पक्ष निर्दोष नहीं है. दोनों लोगों ने गलती की है.”

सियासत

एक बार फिर से हम लौटते हैं सरबजीत के घर, गांधी विहार. वहां सरबजीत के पिता मनजीत सिंह पड़ोसियों से घटना के बारे में बातचीत कर रहे थे. उन्होंने हमें बताया कि अरविंद केजरीवाल के जाने के बाद शिरोमणि अकाली दल (बादल) के विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा मेरे बेटे और पोते को रकाबगंज गुरुद्वारा लेकर गये हैं.

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हम लोग सरबजीत के पड़ोसियों से बातचीत कर ही रहे थे कि तभी उनके दरवाजे पर 10-15 लोगों की भीड़ पहुंचकर नारेबाजी शुरू कर देती है. भीड़ में से एक व्यक्ति कहता हैं, “मीडिया वाले दिखा रहे हैं कि सरदार ड्राइवर ने पहले तलवार निकाली. तो वो जान लें कि हमने फ़ोटो खिंचाने के लिए कृपाण नहीं रखा है. हमें रब से इजाज़त है कि हमारे साथ अन्याय होगा तो हम कृपाण का इस्तेमाल करेंगे.”

दिल्ली पुलिस और मीडिया के ऊपर भड़ास निकाल रहे इस शख्स ने अपना नाम गुरदीप सिंह मिंटू बताया. मिंटू खुद को शिरोमणि अकाली दल (सरना) का वाईस प्रेजिडेंट बताते हैं. गौरतलब है कि दिल्ली में शिरोमणि अकाली दल के दो गुट हैं, बादल और सरना.

गुरदीप सिंह मिंटू अपने साथियों के साथ सरबजीत के पिता को चारों तरफ से घेरकर बैठ जाते हैं. वे उन्हें समझाते हैं कि पूरा देश तुम्हारे साथ है. पुलिस से बदला लिया जायेगा. उन्होंने सरदारों की पगड़ी उतारी है. हमें सिर्फ तीन पुलिस वालों की बर्खास्तगी से चैन नहीं मिलेगा. मिंटू ने मांग की कि मुखर्जी नगर थाने के सभी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त किया जाये. इसी बातचीत को उनका एक साथी रिकॉर्ड कर रहा था.

यहीं पर हमें इस विवाद से जुड़े एक नये कोण के बारे में पता चला. सरबजीत के घर पहुंचे एक अन्य सिख ने चिल्ला-चिल्लाकर कहना शुरू किया- “मुफ़्तखोरी की आदत लग गयी है दिल्ली पुलिस वालों को. टैंपो में बैठकर आये पुलिस वालों ने सरदारजी को किराया नहीं दिया. आदमी दिन भर पांच-पांच रुपये जोड़ता है, तभी रात को घर की दाल रोटी चलती है. लड़ाई पांच रुपये के लिए हुई और उन्होंने हमारे सरदारजी को बुरी तरफ पीट दिया. दिल्ली पुलिस समझती क्या है. अबकी उनकी सब गुंडई निकल जायेगी.”

थोड़ी देर बातचीत के बाद ज़्यादातर लोग मनजीत सिंह के साथ तस्वीर खिंचाते हैं और शाम को मुखर्जी नगर थाने के बाहर होने वाले प्रदर्शन में शामिल होने की बात कहकर लौट जाते हैं. लौटते समय गुरदीप सिंह मिंटू न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, “पीड़ित को मनजिंदर सिंह सिरसा (शिरोमणि अकाली दल (बादल) के नेता) ले गया. वो मामले को शांत करा देगा, क्योंकि उसकी पार्टी भाजपा के साथ है. दिल्ली पुलिस भी भाजपा के हाथ में है. वो कुछ ले-देकर मामला शांत करा देगा. लेकिन हम हर हाल में प्रदर्शन करेंगे. सरदार (सरबजीत) के साथ अन्याय नहीं होने देंगे.”

इसके बाद हमारी बातचीत सरबजीत के पिता मनजीत सिंह से होती है. पांच रुपये किराये को लेकर हुए विवाद की बात उन्होंने खारिज़ कर दी. अपने बेटे के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, “वो अपनी पत्नी से अलग हो गया था. उनका तलाक हो गया था. बेटा इसके साथ ही रहता है. पहले ठीक-ठाक बिज़नेस था, लेकिन बाद में ग्रामीण सेवा में टैंपो चलाने लगा. ग्रामीण सेवा स्कूल में चलती है लेकिन आजकल स्कूल बंद हैं तो सवारी उठा रहा था. पुलिस ने बड़ी बेरहमी से मारा है. हम बस न्याय चाहते हैं.”

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सरबजीत के साथ हुई घटना पर अमूमन पूरे मोहल्ले में सहानुभूति थी लेकिन लोग दबी ज़बान में ये ज़रूर स्वीकार करते हैं कि सरदार गर्म मिजाज़ का आदमी है. सरबजीत के साथ ही ग्रामीण सेवा ऑटो चलाने वाले एक अन्य ड्राइवर ने बताया, “ये सरदार भी गर्म खून का आदमी है. बात-बात में लड़ने को तैयार हो जाता है. धर्म ने कृपाण पुलिस पर निकालने के लिए थोड़े ही दिया है. कृपाण ज़ुर्म से लड़ने के लिए है. दिल्ली में हज़ारों सिख चालक हैं. कल को पुलिस वाले ने किसी को रोका तो क्या वो कृपाण निकाल लेगा. पुलिस की गलती है, लेकिन सरदार भी कम नहीं है.”

दागदार अतीत

सरबजीत की गर्म मिजाज़ी की कई कहानियां हैं. पहले से ही उनके ख़िलाफ़ तीन मामले दर्ज़ हैं और वो जमानत पर हैं. इसी साल तीन अप्रैल को सरबजीत के ख़िलाफ़ पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने में एक एफआईआर दर्ज़ हुई थी. शिकायतकर्ता मंगल सिंह बंगला साहिब गुरुद्वारे में सेवादार हैं. मंगल सिंह के मुताबिक- “तीन चार दिन से सरबजीत अपने बेटे के साथ बंगला साहिब गुरूद्वारे में रह रहा था. जब हमने उससे पूछताछ की तो वो भड़क गया और मारपीट करने लगा. इस दौरान उसने मेरा हाथ तोड़ दिया. जिसके बाद मुझे अस्पताल जाना पड़ा.” इस मामले में सरबजीत के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 323 और 341 के तहत एफआईआर दर्ज़ है और वो फिलहाल जमानत पर है.

इसके अलावा सरबजीत के ख़िलाफ़ साल 2006 और 2011 में सीआरपीसी की एहतियाती धाराओं (107, 151) के तहत मामले दर्ज़ हो चुके हैं. इंडियन एक्सप्रेस को एक पुलिस अधिकारी द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक 2006 में सारे आरोप एक महिला ने लगाये थे. दोनों ही मामलो में सरबजीत की गिरफ़्तारी हुई थी. इसी ख़बर के मुताबिक घटना में शामिल आठ पुलिस जवानों की नियुक्ति महज तीन महीने पहले हुई थी.

मामला तूल पकड़ने के साथ ही पुलिस अधिकारियों की बीच की खींचतान भी सामने आने लगी है. पुलिस विभाग से आ रही जानकारी के मुताबिक थाने के एसएचओ रमेश सिंह की भूमिका भी इस मामले में संदेहास्पद है. उनके ख़िलाफ़ भी कार्रवाई की बात चल रही है. हमने इस मामले में जब एसएचओ रमेश सिंह से बात की तो उनकी नाराज़गी उभर कर सामने आ गयी. उन्होंने बात करने से साफ इनकार करते हुए कहा, “थाने में कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद हैं. आप उनसे बात कीजिए.”

राजनीति चमकाने का मिला मौका 

आम आदमी पार्टी ने सरबजीत और पुलिस के बीच हुई झड़प के बाद केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है. घटना के दूसरे दिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने विधायकों के साथ पीड़ित से मिलने उसके घर पहुंचे. जिसके बाद उन्होंने ट्वीट करके पुलिस की आलोचना की और दोषियों को सज़ा की मांग की. वहीं मंगलवार दोपहर 12 बजे दिल्ली पुलिस के मुख्यालय के बाहर आप के ऑटो रिक्शा संघ के लोगों ने प्रदर्शन भी किया. प्रदर्शन के बाद आम आदमी पार्टी, ऑटो रिक्शा प्रकोष्ठ के संगठन मंत्री उपेंद्र सिंह ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को एक पत्र सौंपा, जिसमें ऑटो रिक्शा चालकों को सुरक्षा देने की मांग की गयी है.

दूसरी तरफ सिख समुदाय के धार्मिक और राजनीतिक संगठन भी इस मामले में राजनीति करते नज़र आ रहे हैं. एक तरफ शिरोमणि अकाली दल (सरना) गुट है तो दूसरी तरफ शिरोमणी अकाली दल (बादल) गुट. एक ग्रुप पर भाजपा के साथ मिलकर मामले को दबाने का आरोप लग रहा है तो दूसरा ग्रुप मामले को किसी भी हाल में भड़काये रखना चाहता है.

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शिरोमणी अकाली दल (सरना) गुट के लोग मनजिंदर सिंह सिरसा पर मामले को रफा-दफा कराने का आरोप लगाते हैं. जिसके जवाब में मनजिंदर सिंह सिरसा न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, “ये कोई विवाद था ही नहीं. एक बेकसूर आदमी के ऊपर ज़्यादती की गयी है. दिल्ली पुलिस ने जो किया उसकी जितनी भी निंदा की जाये कम है, लेकिन दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. उन्होंने पुलिस वालों के ऊपर मुकदमा दर्ज़ करने के आदेश भी दे दिये हैं. पीड़ित ड्राइवर के ऊपर ‘हत्या की कोशिश’ का मामला दर्ज़ नहीं होगा, जो एक झगड़े का मुकदमा दर्ज़ हुआ था वही चलेगा.”

यह दिलचस्प जानकारी सिरसा ने हमें दी. यह अटकलें लग रही थीं कि पुलिसकर्मी के सिर पर कृपाण से हमले के बाद सरबजीत के ऊपर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज़ हो सकता है. लेकिन सिरसा ने जानकारी दी कि हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज़ नहीं होगा. हमने दिल्ली पुलिस से एक बार फिर सिरसा के इस दावे की पड़ताल की. दिल्ली पुलिस के पीआरओ मधुर वर्मा ने सिरसा के दावे को गलत ठहराया. वर्मा कहते हैं, “कोई भी धारा एमएलसी ओपिनियन आने के बाद लगती है. जब क्राइम ब्रांच के पास एमएलसी ओपिनियन आ जायेगी, उसको देखने के बाद दोनों पक्षों पर धाराएं लगायी जायेंगी.”

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