तूतीकोरिन कांड: वेदांता और ग्रामीणों के संघर्ष में सरकार किस ओर है?

तूतीकोरिन की आबोहवा की तबाही का सबब बन चुकी वेदांता की कॉपर फैक्ट्री के विरोधियों पर पुलिस फायरिंग, नौ लोगों की मौत.

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तमिलनाडु के तूतीकोरिन में मंगलवार को प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस की फायरिंग में 9 लोगों की मौत हो गई. प्रदर्शन कर रहे लोग स्टरलाइट कॉपर कारख़ाना बंद करने की मांग कर रहे थे. इस गोलीबारी में तमाम लोगों के घायल होने की भी सूचना है. इस कारख़ाने के ख़िलाफ़ स्थानीय निवासी पिछले तीन महीनों से आंदोलन कर रहे थे. आंदोलनकारियों का आरोप है कि इस कारख़ाने से निकलने वाला प्रदूषण इस पूरे इलाके को अपनी जद में ले चुकी है. इसका दुष्प्रभाव लाखों लोगों के स्वस्थ्य पर पड़ रहा है. लोगों का यह भी आरोप है कि स्टरलाइट कॉपर यूनिट की वजह से पूरे इलाके का भूजल स्रोत प्रदूषित हो रहा है.

तमिलनाडु के तूतीकोरिन इलाके में स्थित स्टरलाइट कॉपर फैक्ट्री खनन उद्योग की दिग्गज और बदनाम कंपनी वेदांता के स्वामित्व में है. इस फैक्ट्री को बंद करने के सवाल पर जारी प्रदर्शन मंगलवार को हिंसक हो गया. पुलिस के मुताबिक मंगलवार को करीब 20 हजार प्रदर्शनकारी स्टरलाइट कॉपर यूनिट की तरफ हिंसक तरीके से बढ़ने लगे थे. जब पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया तो प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों और पुलिस वालों पर पथराव कर दिया. इस अफरा तफरी में कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के वाहनों पर भी हमला किया और उनमें तोड़फोड़ की. इस दौरान कई सरकारी वाहनों को भी आग के हवाले भी कर दिया गया.

जानकारी के मुताबिक स्टरलाइट फैक्ट्री की ओर बढ़ रही भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े. जवाब में प्रदर्शनकारियों ने कलेक्ट्रेट और स्टरलाइट कर्मचारियों के आवासीय परिसर में आग लगा दी और कई गाड़ियां तोड़ दीं.

पुलिस का दावा है कि बचाव की कार्रवाई में उसने गोली चलाई जिसमें नौ लोगों के मारे जाने की ख़बर है. करीब दो दर्जन लोग घायल भी हुए हैं. इस घटना के बाद से पूरे इलाके में तनाव का माहौल है.

मुख्यमंत्री और मुआवजा

इस घटना के बाद हरकत में आए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई पलनीस्वामी ने तत्काल मुआवजे का ऐलान किया है. उन्होंने गोलीबारी में जान गंवाने वालों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये और घायलों को तीन-तीन लाख रुपये का मुआवजे देने की बात कही. इसके अलावा पुलिस कार्रवाई में मारे गए लोगों के परिजनों के एक सदस्य को उसकी योग्यता के अनुसार सरकारी नौकरी देने का भी आश्वासन दिया है.

घटना से पैदा हुए गुस्से का दबाव मुख्यमंत्री पर साफ देखा जा सकता है. उन्होंने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि मामले की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग गठित किया जाएगा. आयोग में हाईकोर्ट का कोई सेवानिवृत्त जस्टिस शामिल होगा.

हालांकि अब यह बात तेजी से फैल रही है कि पुलिस ने बेहद बर्बर तरीके से सीधे-सीधे प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई, जबकि वह आंसू गैस, रबर बुलेट आदि से भी काम चला सकती थी. इतना ही नहीं पुलिस ने सीधे लोगों के सिर और छाती में गोलियां दागी. लेकिन ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री पलनीस्वामी भी अपने पुलिस को जवाबदेही से बचा रहे हैं. उन्होंने कहा, “पुलिस को लोगों के जान-माल की रक्षा के लिए अपरिहार्य परिस्थितियों में कार्रवाई करनी पड़ी, क्योंकि प्रदर्शनकारी बार-बार हिंसा कर रहे थे. पुलिस को हर कीमत पर हिंसा रोकनी थी.”

पलनीस्वामी के मुताबिक करीब 20 हज़ार लोग कारखाने को घेरने जा रहे थे. उन्होंने पुलिस की और कलेक्ट्रेट में खड़ी आम लोगों की गाड़ियों में आग लगा दी, और कलेक्ट्रेट पर पथराव भी किया. इसके बाद पुलिस को मजबूरन फ़ायरिंग करनी पड़ी.

दूसरी तरफ पुलिस का दावा है कि मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर स्टरलाइट कॉपर यूनिट को सुरक्षा प्रदान करने के लिए क्षेत्र में धारा 144 लागू की गई थी. लोगों को रैली निकालने की अनुमति नहीं थी. लेकिन प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा कर्मियों को खदेड़ने की कोशिश की और नारेबाजी करने लगे. इतना ही नहीं वे पुलिस पर पथराव भी करने लगे.

नौ लोगों की मौत की ख़बर आते ही यह मामला तेजी से राजनीतिक रंग लेने लगा. कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी ने पुलिस कार्रवाई में लोगों के मारे जाने की कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में स्टरलाइट विरोधी प्रदर्शन पर पुलिस कार्रवाई में लोगों की मौत राज्य प्रायोजित आतंकवाद का बर्बर उदाहरण है. कांग्रेस अध्यक्ष ने ट्वीट किया, “तमिलनाडु में स्टरलाइट विरोधी प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने लोगों को मार दिया. यह सरकार प्रायोजित आतंकवाद की मिसाल है.”

दूसरी ओर फ़िल्म स्टार कमल हासन की पार्टी मक्कल निधी मय्यम ने भी बयान जारी करके घटना के लिए तमिलनाडु सरकार को दोषी ठहराया है. बयान में कहा गया है कि जनता अपराधी नहीं है. वह पहले कारख़ाने की वजह से मर रही थी और अब सरकार के रवैये से मर रही है. सरकार ने स्टरलाइट कारखाने के खिलाफ़ चल रहे आंदोलन को बहुत हल्के में लिया था.

तूतीकोरिन कॉपर फैक्ट्री का मामला अचानक से नहीं बिगड़ा है. यहां अंतरराष्ट्रीय खनन कंपनी वेदांता की स्टरलाइट कॉपर की स्थापना 1996 में हुई थी. इस कारख़ाने में तांबा ढालने का काम होता है. अनुमान है कि इस प्लांट में सालाना करीब चार लाख टन तांबा ढाला जाता है.

वेदांता की इच्छा तूतीकोरिन स्थित स्टरलाइट कॉपर फैक्ट्री को दुनिया का सबसे बड़ा तांबा फैक्ट्री बनाने की थी. लेकिन इसके आसपास रहने वाले कस्बों और गांवों की करीब पांच लाख आबादी इसकी राह में अड़ गई. इन बाशिंदों के लिए यह कारखाना धीरे-धीरे विनाश बनता गया. आरोप है कि कारखाने से निकलने वाली सल्फ़रडाईऑक्साइड और दूसरे प्रदूषकों ने पूरे इलाके के पर्यावरण को बुरी तरह प्रभावित किया है. इलाके में एक भी घर ऐसा नहीं है जहां फैक्ट्री से निकलने वाले जहर का एकाध पीड़ित न हो.

सांस, चर्मरोग, फेफड़े, दिल और कैंसर जैसी बीमारियां आम हो गई हैं. इलाके का भूजल भी इससे बुरी तरह प्रदूषित हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि इस फैक्ट्री का बंद होना ज़रूरी है अन्यथा इलाके में जनजीवन तबाह हो जाएगा.

स्थानीय लोगों के आंदोलन तब तूल पकड़ा जह बीती जनवरी में स्थानीय लोगों को ख़बर लगी कि कारखाने की क्षमता को दोगुना करने की तैयारी है और सरकार इस कंपनी के लाइसेंस का नवीनीकरण करने जा रही है. तब ग्रामीणों ने इसे बंद करने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया. 12 फ़रवरी को तूतीकोरिन फैक्ट्री के विरोध में एक विशाल प्रदर्शन हुआ जिसमें करीब दो लाख लोग शामिल हुए थे. तब से यह आंदोलन लगातार जारी था.

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