पत्रकारों की सुरक्षा के लिए बनी ये समिति (सीपीजे) इस बात की गणना करती है कि किस देश में कितने पत्रकार जेलों में बंद हैं.
सीपीजे यानी पत्रकारों की सुरक्षा के लिए बनी समिति ने साल 2023 के लिए प्रिज़न सेंसस जारी किया है. पत्रकारों की सुरक्षा के लिए बनी ये समिति इस बात की गणना करती है कि किस देश में कितने पत्रकार जेलों में बंद हैं.
सीपीजे ने बीते साल की रिपोर्ट जारी करते हुए अपनी वेबसाइट पर एक महत्वपूर्ण बात रेखांकित की. उसने कहा कि 7 अक्टूबर 2023 को जबसे इज़रायल का हमास के साथ संघर्ष शुरू हुआ है. तब से गज़ा और आस पास पत्रकारों को जेल भेजने के मामलों में बहुत तेजी आई है. सीपीजे की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल ईरान और इज़रायल दोनों ही देश पत्रकारों को जेल भेजने के मामले में दुनियाभर में छठवें नंबर पर हैं.
इसके अलावा 1 दिसंबर, 2023 को दुनियाभर में करीब 320 पत्रकार जेल में थे. ये लगातार तीसरी बार है, जब दुनियाभर में 300 से ज्यादा पत्रकार जेल में बंद हैं. इससे पहले 2022 की रिपोर्ट में 367 और 2021 की रिपोर्ट में 305 पत्रकार जेल में थे. रिपोर्ट के मुताबिक, 168 पत्रकार ऐसे हैं, जिन पर सरकार की आलोचना को झूठी ख़बरें फैलाने और राज्य विरोधी गतिविधि बताकर जेल में डाला गया है.
वहीं, 66 पत्रकार ऐसे हैं जिन्हें अब तक ये भी नहीं बताया गया है कि उनके खिलाफ आरोप क्या हैं. इस तरह की कई और महत्वपूर्ण और चौंकाने वाली जानकारियां इस रिपोर्ट में शामिल हैं.
भारत में इस रिपोर्ट के मुताबिक, कुल सात पत्रकार जेल में बंद हैं. जिनमें से पांच गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम यानी यूएपीए के तहत आरोपी हैं.
सीपीजे की साल 2023 की रिपोर्ट में और देशों की क्या स्थिति रही. दुनियाभर में वो टॉप-10 देश कौन से हैं जहां सबसे ज्यादा पत्रकार जेलों में हैं. वहीं, भारत की जेलों में बंद पत्रकार कौन-कौन हैं?
इन सब सवालों के जवाब जानने के लिए देखिए सीपीजे की रिपोर्ट पर आधारित सारांश का ये अंक.
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