इज़रायल-हमास संघर्ष में अब तक 6 पत्रकारों की मौत और 2 लापता

इनमें से तीन पत्रकारों की मौत गाजा के रिमल जिले में मंगलवार को इजरायल द्वारा एयरस्ट्राइक के बाद प्रेस कार्यालय के क्षेत्र में हुई. 

एक हेलमेट का चित्र जिस पर "प्रेस" लिखा है, जमीन पर बिखरा खून और पीछे लगी बाड़

इज़रायल और हमास के बीच शुरू हुए संघर्ष में अभी तक 6 पत्रकारों की मौत हो चुकी है. वहीं, 2 पत्रकार लापता बताए जा रहे हैं. द इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के अनुसार, कुल छह पत्रकारों की हत्या हो गई है और दो अभी भी लापता हैं. इस बीच इजरायल गाजा पर अपने आक्रमण बढ़ा रहा है. तीन पत्रकारों की मौत गाजा के रिमल जिले में मंगलवार को इजरायल द्वारा एयरस्ट्राइक के बाद प्रेस कार्यालय के क्षेत्र में हुई.  जबकि शनिवार से शुरू हुई इस जंग में पहले ही अन्य तीन पत्रकारों की हत्या हो चुकी थी. 

अल जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले चार दिनों में मारे गए छह पत्रकारों में से कम से कम तीन पत्रकारों ने हेलमेट पहना हुआ था और उनकी जैकेट पर प्रेस लिखा था. मारे गए पत्रकारों की पहचान सय्यीद अल-तविल, मोहम्मद सोबिह, हिशम अल-नवाझा, इब्राहिम मोहम्मद लफी, मोहम्मद जरघौंन और मोहम्मद इल- सल्ही के रूप में हुई है. 

अल-तविल अल-खामसा न्यूज़ के संपादक थे, इल-सल्ही एक स्वतंत्र पत्रकार और जरघौंन स्मार्ट मीडिया के साथ जुड़े थे. वहीं, अल-नवाझा क्षेत्रीय पत्रकार और सोबीह व लफी फोटो पत्रकार के रूप में काम करते थे. दो फिलिस्तीनी फोटोग्राफर निदल अल-वहीदी और हैथम अब्देलवहीद लापता हैं. दोनों फोटोग्राफर क्रमशः अल-नजाह और अएन मीडिया के लिए काम करते थे. 

अल जज़ीरा के मुताबिक, मीडिया समूहों के कुछ मालिकों के घर और दफ्तर को को भी ढहा दिया गया है. जिसमें फिलिस्तीनी प्रेस अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था मादा का उदाहरण दिया गया है. 

रिपोर्ट के मुताबिक, ज़मन रेडियो के निदेशक रमी अल- शरफी, अल- क़ुद्स के प्रसारक बसिर खैर अल-दीन के घर को भी निशाना बनाया गया है. कई मीडिया हाउस जैसे कि फिलिस्तीन टावर स्थित अल-अय्याम अख़बार के मुख्यालय, शेहाब एजेंसी और गाजा एफएम रेडियो के ऑफिस को भी निशाना बनाया गया. 

इसी दौरान, कमेटी टु प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीपीजे) के मुताबिक, शनिवार को अशकेलन में तैनात इजरायली पुलिस द्वारा स्काई न्यूज़ अरब के पत्रकारों पर हमला कर उनके उपकरणों को तोड़ दिया गया. चैनल के पत्रकार फिरस लुत्फी ने बताया कि इजरायली पुलिस ने उनके सिर पर राइफल तान दी थी. कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया, उनकी टीम के फोन जब्त कर लिए गए और पुलिस की देखरेख में क्षेत्र से जाने के लिए मजबूर किया गया.

‘कोई जवाबदेही नहीं’

मई में प्रकाशित सीपीजे की रिपोर्ट के मुताबिक, इन पत्रकारों की मृत्यु के साथ 2000 और 2022 के बीच इजरायली पुलिस के हाथों मारे गए पत्रकारों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है. कभी भी पत्रकारों की मृत्यु के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया. 

सीपीजे के मुताबिक, मारे गए 20 पत्रकारों में से एक भी इजरायली पत्रकार नहीं है और इज़राइल की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर कोई पत्रकार नहीं मारा गया.

हालांकि, मिडल ईस्ट मॉनिटर की एक रिपोर्ट में तुर्की की सरकारी न्यूज़ एजेंसी अनादोलु के हवाले से लिखा कि पत्रकारों की हत्या की यह संख्या लगभग 55 होने की संभावना है. जबकि पेरिस स्थित रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की रिपोर्ट के मुताबिक यह संख्या 35 है. 

इजरायल द्वारा कथित तौर पर फिलिस्तीनी पत्रकारों पर निशाना बनाने का मामला तब सामने आया जब पिछले साल अल जज़ीरा की रिपोर्टर शिरीन अबु अक्लेह की हत्या हुई थी. साथ ही इजरायल की वायुसेना ने कई मीडिया आउटलेट्स जिसमें अल जज़ीरा और एपी भी शामिल हैं, के दफ्तरों पर रेड की थी. 

सीपीजे की रिपोर्ट में कहा गया है कि पत्रकारों की हत्याओं में इजरायली सेना की जांच ‘क्लासिफाइड’ है और कुछ मामलों में सरकार पत्रकारों को ‘आतंकवादी’ करार देती है.

इज़राइल ने कभी भी  इन हत्याओं की पूरी तरह से जांच नहीं करवाई है. इजरायल मामले की गहरी जांच तभी शुरू करता है जब पीड़ित विदेशी हो या वह कोई हाई-प्रोफाइल हो. रिपोर्ट में पत्रकारों पर हमलों को घातक और दशकों पुराना पैटर्न कहा गया है.

अकलेह की मौत के बाद प्रकाशित टाइम की एक रिपोर्ट में कहा गया कि हाई-प्रोफाइल मौतों के मामले में इज़राइल की सामान्य रणनीति "इनकार" और “ध्यान भटकाने” की थी. रिपोर्ट में ब्रिटिश कैमरामैन जेम्स मिलर और फोटो पत्रकार यासेर मुर्तजा की हत्याओं का जिक्र किया गया है.

अकलेह की हत्या के बाद अल जज़ीरा, सीएनएन, एसोसिएटेड प्रेस, वाशिंगटन पोस्ट और न्यूयॉर्क टाइम्स सहित कई प्रमुख मीडिया हाउसों ने उन घटनाओं की जांच की जिनके कारण उसकी मृत्यु हुई. जांच के बाद निष्कर्ष निकला कि वह ‘इजरायली गोली’ से मारी गई थीं. 

इस बीच, अमेरिकी सरकार ने इज़राइल की ओर से "जवाबदेही" और मामले में "स्वतंत्र" जांच की मांग की. लेकिन बाद में इसने इज़राइल सरकार की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया कि हत्या एक दुर्घटना थी.  इसके बाद कथित तौर पर इज़राइली लाइन पर चलते हुए आपराधिक मुकदमा चलाने की अपनी मांग भी छोड़ दी.

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