मोदी सरकार के खिलाफ पटना में करीब 17 दलों के नेता एकजुट हुए. हालांकि इस बैठक में मायावती समेत कई नेता शामिल नहीं हुए.
नौ साल बाद मोदी सरकार के खिलाफ पटना में विपक्ष का महाजुटान हुआ है. पटना में इक्ट्ठा हुए इन विपक्षी नेताओं पर देशभर की नजर है. इनमें करीब 17 दलों के नेता शामिल हुए हैं. इस दौरान विपक्ष की ओर से नीतिश कुमार को संयोजक बनाया गया. नेताओं में कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, डीएमके से एमके स्टालिन, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, नेशनल कांफ्रेन्स नेता फारुक अब्दुल्ला, पीडीपी सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती समेत लेफ्ट के सीताराम येचुरी और डी राजा भी इस बैठक में शामिल हुए.
वहीं इस बैठक में बसपा सुप्रीमो मायावती, AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी, राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख जयंत चौधरी, तेलंगाना सीएम केसीआर, ओडिशा सीएम नवीन पटनायक, आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी और जेडीएस नेता कुमारस्वामी इस बैठक में शामिल नहीं हुए हैं. इनमें से कई नेताओं ने तो इस बैठक में शामिल होने से स्पष्ट मना कर दिया.
इस बीच जहां विपक्षी दलों में कुछ मुद्दों पर सहमति बन रही है तो वहीं कई मुद्दे ऐसे भी हैं, जिन्हें लेकर अभी एकमत होना बाकी है..जैसे कि आम आदमी पार्टी का अध्यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस से सवाल करना, सपा प्रमुख अखिलेश यादव की क्षेत्रीय नेताओं को राज्यों में प्राथमिकता और नेतृत्व देने की मांग तो ममता बनर्जी का पश्चिम बंगाल में कांग्रेस द्वारा अपनाए रवैये पर नाराजगी जाहिर करना.
इस सबके अलावा उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के फैसले पर केजरीवाल से अपना रुख साफ करने को कह दिया है. ऐसे में अब सवाल ये है कि इतने मतभेदों के बाद यह गठबंधन आगे कैसे काम करेगा?
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