दर्द, त्रासदी और संघर्ष को बयां करता दिल्ली का "विभाजन संग्रहालय"

यह संग्रहालय आपको एक ऐसी यात्रा पर लेकर जाता है, जहां आपको लगता है कि सब कुछ खत्म हो जाने के बाद भी जीवन को और इस दुनिया को बेहतर बनाने की गुंजाइश बची रहती है.

WrittenBy:अनमोल प्रितम
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क्या आप जानते हैं कि आपके घर में लगा साधारण सा बिजली का मीटर किसी के लिए उसकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत तोहफा हो सकता है या फिर आपके घर में रोजाना इस्तेमाल होने वाली केतली किसी के लिए दुनिया की सबसे बेशकीमती चीज हो सकती है.

1947 के बंटवारे के समय करोड़ों लोग विस्थापित हुए. हजारों लोग दंगों की भेंट चढ़ गए. अविभाजित भारत को दो टुकड़ों में बांटने के एक फैसले ने रातों- रात लाखों जिंदगियों से उनका घर, परिवार, समाज, रिश्ता सब छीन लिया. 

बंटवारे के दौरान हुई हिंसा में किसी ने अपना पिता खोया, किसी ने अपनी मां, किसी ने बहन और किसी ने अपना सब कुछ. प्रियंका मेहता का परिवार भी इन्हीं परिवारों में से एक था. बंटवारे से पहले प्रियंका का परिवार लाहौर में रहता था. लेकिन उन्हें मजबूरन लाहौर छोड़कर दिल्ली आना पड़ा. विस्थापन के सालों बाद जब प्रियंका मेहता वापस लाहौर अपनी नानी के घर लौटीं तो उन्होंने देखा कि जो घर उनकी नानी का था, उसमें अब इफ्तिखार का परिवार रहता है. जब वह लौट रही थीं तो इफ्तिखार ने उन्हें एक पुराना बिजली का मीटर सौंपा, जो उनकी नानी के घर में तब लगा था, जब वहां पर रह रहीं थीं.

प्रियंका मेहता ने ये मीटर दिल्ली सरकार को दान में दिया है. जिसे दिल्ली के विभाजन संग्रहालय में लगाया गया है. कुछ ऐसी ही कहानी स्नेहा भार्गव के परिवार की है. जिनके लिए लाहौर के अनारकली बाजार से खरीदी हुई एक केतली दुनिया की सबसे कीमती चीज बन गई है.

ऐसी ही तमाम कहानियां दर्ज हैं दिल्ली के इस विभाजन संग्रहालय में. जिसका उद्घाटन 18 मई को ग्लोबल म्यूज़ियम डे पर किया गया. जिसे जल्द ही आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा. यह देश का दूसरा विभाजन संग्रहालय है. इस संग्रहालय को कश्मीरी गेट स्थित डॉ भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी कैंपस में स्थित ऐतिहासिक दारा शिकोह लाइब्रेरी में बनाया गया है. इस संग्रहालय का मकसद 1947 की घटनाओं के दौरान दिल्ली में आए शरणार्थियों के साथ हुई उस दौर की घटनाओं और प्रभावों का जिक्र करना है.

म्यूज़ियम को सात अलग-अलग गैलरी में बांटा गया है. हर गैलरी, उस दौर के अलग-अलग आयामों पर विस्तार से बात करती है. पहली गैलरी साल 1900 के दौरान शुरू हुए स्वतंत्रता आंदोलन और विभाजन के कारको पर समर्पित है. 

दूसरी गैलरी विभाजन के दौरान हुई त्रासदी, हिंसा और बेबसी को दिखाती है. तीसरी गैलरी विभाजन के बाद रिफ्यूजी कैंप में रह रहे लोगों के जीवन और पीड़ा को दिखाती है. वहीं चौथी गैलरी रिफ्यूजी होने के बाद पुनर्वास को दिखाती है. पांचवी गैलरी आशा और उम्मीद को जीवित करती है. इसी तरह से हर गैलरी की भी अपनी एक कहानी है. 

इस म्यूज़ियम की सबसे खास बात यह है कि यह म्यूज़ियम आपको एक यात्रा पर ले जाता है. जिस यात्रा में शुरू में दुख है, पीड़ा है, संघर्ष है. जहां दूर-दूर तक सिर्फ निराशा ही निराशा है. लेकिन अंत तक जाते-जाते आपको लगता है कि जिंदगी में सब कुछ खत्म हो जाने के बाद भी जीवन को और इस दुनिया को बेहतर बनाने की गुंजाइश बची रहती है. 

देखिए हमारी यह वीडियो रिपोर्ट.

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