हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ्ते भर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.
एनएल चर्चा के इस अंक में चर्चा का मुख्य विषय ऑक्सफैम इंडिया की ताजा रिपोर्ट "सर्वाइवल ऑफ़ द रिचेस्ट" रही. इसके अलावा पहलवानों का जंतर-मंतर पर धरना, आईटी एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव, भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और भारत सरकार के बीच खींचतान, जजों की नियुक्ति को लेकर बहस, जोशीमठ आपदा, महिला सुरक्षा का जायजा लेने निकली स्वाति मालीवाल के साथ हुई छेड़छाड़, पीएम मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री और शाहबाज शरीफ का शांति प्रस्ताव चर्चा के विषय रहे.
इस हफ़्ते चर्चा में बतौर मेहमान वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा, न्यूजलॉन्ड्री के स्तंभकार आनंद वर्धन और सह-संपादक शार्दूल कात्यायन शामिल हुए. संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
ऑक्सफैम की रिपोर्ट से चर्चा की शुरुआत करते हुए सवाल करते हैं, "यह ऑक्सफैम इंडिया की वेल्थ रिपोर्ट जो बार-बार आती है, यह हमें दिखाता है कि संसाधनों के बीच में कितना जबरदस्त असंतुलन है. इसमें केवल सरकार की नीतियों को माना जाए कि उनका योगदान है या नागरिक इस स्थिति को बनाए रखने में योगदान देते हैं, या फिर सरकार या कॉरपोरेट का कोई नेक्सस है जो इस पूरी स्थिति को बनाए रखने में हमेशा लगा रहता है या फिर यह अच्छी स्थिति है, यह भी मैं समझना चाहता हूं?
इसके जवाब में आनंद कहते हैं, "अच्छी बुरी तो नहीं लेकिन यह है की इसको क्वाइंटीफाई किया गया है. अभी जो आर्थिक तंत्र है, उसमें पिछले 3 दशकों से असमानता बढ़ी है, यानी घटती ग़रीबी बढ़ती असामनता. तमाम सरकारों में यह दोनों चीज़ें सामानांतर रूप से चल रही हैं. गरीबी का स्तर उदारीकरण के बाद घटा है लेकिन असमानता भी बढ़ी है."
स्मिता इसमें अपनी बात जोड़ते हुए कहती हैं कि "कोविड 19 महामारी ने इस असमानता को और भी ज्यादा बढ़ा दिया है. मेरे पड़ोस में एक घर की बात बताती हूं. पिछले दो-तीन सालों में हो सकता है बिज़नेस अच्छा चल रहा हो, जो भी हो, एक बड़ी सी बिल्डिंग में घर में तीन लोग हैं और गाड़ियां घर में कम से कम सात हैं जिसमें चार एसयूवी हैं. आज के समय में जो बड़ी गाड़ियां हैं, वह उस शख्स के पास हैं. एक तरफ यह शख्स है जिसकी आय इस तरह कई गुना बढ़ रही है और एक तरफ वह शख्स है जो कोविड लॉकडाउन के दौरान अपने बच्चे को अलग से एक फ़ोन नहीं दिला पा रहा था पढाई के लिए.”
अंत में शार्दूल अपनी बात जोड़ते हुए कहते हैं, "इस रिपोर्ट पर कई पत्रकारों ने, जैसे कि शेखर गुप्ता ने भी इसकी कैल्कुलेशन पर बात उठाई कि इसमें गणना की गड़बड़ियां हैं."
वे आगे कहते हैं, "अमीर लोगों पर, जो खास तौर से बिलियनर्स हैं, उन पर टैक्स लगाने का मैं हमेशा से समर्थक रहा हूं. व्यक्तिगत तौर पर इन पर टैक्स ज्यादा लगना चाहिए खास तौर से वेल्थ टैक्स और कैपिटल गेन टैक्स."
टाइम कोड
00:00:00 - 00:20:10 - इंट्रो, हेडलाइंस व ज़रूरी सूचनाएं
00:20:11 - 00:47:27 - ऑक्सफैम की रिपोर्ट
00:47:30 - 01:05:30 - पहलवानों का भारतीय कुश्ती संघ के खिलाफ प्रदर्शन
01:05:30 - 01:09:08 - सब्सक्राइबर्स के मेल
01:09:09 - 01:30:55 - भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक
1:30:55 - सलाह और सुझाव
पत्रकारों की राय क्या देखा पढ़ा और सुना जाए-
स्मिता शर्मा
पाकिस्तानी पूर्व सैन्य अधिकारी शहज़ाद चौधरी का पाकिस्तान ट्रिब्यून में लेख
ए एस दुलात की किताब : अ लाइफ इन द शैडोज़
आनंद वर्धन
जेनी ओडेल की किताब : हाउ टू डू नथिंग: रेज़िस्टिंग द अटेंशन इकॉनमी
शार्दूल कात्यायन
फिल्म: ओल्ड स्कूल
न्यूयॉर्कर का लेख: द ब्रिटिश एम्पायर वाज़ मच वर्स दैन यू रियलाइज़
अतुल चौरसिया
बीबीसी डाक्यूमेंट्री - इंडिया: द मोदी क्वेश्चन
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