दिल्ली सरकार और उप राज्यपाल के बीच चल रही खींचतान का असर दिल्ली सरकार के सूचना विभाग पर भी पड़ा है.
26 मई, 2022 को जब विनय सक्सेना दिल्ली के उपराज्यपाल पद पर नियुक्त हुए,` तब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ उनकी कई तस्वीरें आईं. दोनों ने साथ मिलकर दिल्ली की तकदीर बदलने के वादे किए लेकिन रिश्तों में यह गर्मजोशी ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रह सकी. महज दो महीनों के भीतर ही दोनों के बीच टकराव का एक पिटारा खुल गया. यह टकराव दिल्ली की नई शराब नीति को लेकर था.
एलजी ने शराब नीति की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए. तब से आप सरकार और एलजी के रिश्ते बद से बदतर होते जा रहे हैं. एलजी लगभग हर रोज सरकार की किसी न किसी नीति या उसके फैसले पर सवाल उठाते हैं, उसे खारिज करते हैं या फिर जांच के आदेश देते हैं. जवाब में आम आदमी पार्टी भी उनके प्रति हमलावर रवैया अख्तियार किए हुए है.
अधिकारियों के तबादले की शक्ल में आप सरकार पर नकेल कसने का एक और जरिया सामने आया. दिल्ली सरकार के विभिन्न पदों पर पहले से तैनात कई अधिकारियों का एलजी ने तबादला कर दिया. राजनीतिक हलकों में इसका संदेश यह गया कि केजरीवाल के भरोसेमंद अधिकारियों को हटाकर एलजी अपनी पसंद के अधिकारी तैनात कर रहे हैं. ऐसा कर वो आप सरकार की अहम नीतियों और कार्यक्रमों में रोड़ा अटका रहे हैं.
दिल्ली सरकार का सूचना एवं प्रचार निदेशालय (डीआईपी), ऐसा ही एक संस्थान है. एलजी द्वारा डीआईपी में बड़े स्तर पर बदलाव किए गए. ऐसा देखने में आया कि इसका असर दिल्ली सरकार के प्रचार पर पड़ा है. उसके विज्ञापनों में गिरावट देखी गई है.
यहां काम करने वाले एक सीनियर अधिकारी बताते हैं, ‘‘पहले दिल्ली सरकार अखबारों को राष्ट्रीय स्तर पर विज्ञापन देती थी लेकिन अब यह बंद हो चुका है. 15 अगस्त 2022 को आखिरी बार दिल्ली सरकार के विज्ञापन देश भर के अखबारों में छपे थे.’’
डीआईपी के तबादले
विनय सक्सेना ने एलजी बनने के बाद डीआईपी में भी अधिकारियों का तबादला किया. उन्होंने तीन सितंबर 2022 को विभाग के निदेशक मनोज कुमार द्विवेदी और सचिव सीआर गर्ग का ट्रांसफर कर दिया. द्विवेदी, डीआईपी के अलावा ‘शब्दार्थ’ एजेंसी के भी सीईओ थे.
बता दें कि 'शब्दार्थ’ का गठन 2015 में आप सरकार ने प्रचार-प्रसार के लिए किया था. यह डीआईपी के अंतर्गत ही काम करता है.
तबादले के बाद निदेशक के पद पर द्विवेदी की जगह आरएन शर्मा को लाया गया. उनके पास श्रम विभाग के कमिश्नर पद का भी अतिरिक्त प्रभार है. वहीं आर ऐलिस वाज़ को सचिव बनाया गया. वाज़, डीआईपी के अलावा उच्च शिक्षा और प्रशिक्षण व तकनीकी शिक्षा विभाग (टीटीई) की भी जिम्मेदारी संभाल रही हैं. उनका दफ्तर ‘शब्दार्थ’ में है. उनके दफ्तर के एक कर्मचारी न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘मैडम तो यहां नहीं आती हैं. डॉक्यूमेंट पर साइन कराने के लिए हमें टीटीई के दफ्तर पीतमपुरा जाना पड़ता है.’’
डीआईपी से जुड़े एक अधिकारी बताते हैं, ‘‘तबादले का आदेश शनिवार के दिन आया और सोमवार को दोनों नए अधिकारियों ने ज्वाइन कर लिया. यह सब इतना आनन-फानन में हुआ कि पुराने अधिकारियों को फेयरवेल तक नहीं दिया गया.’’
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Contributeनए अधिकारियों के आने के बाद डीआईपी और शब्दार्थ में लगातार बदलाव किए गए. वहीं सूचना विभाग से जारी होने वाले विज्ञापनों में भी कमी देखने को मिल रही है.
शब्दार्थ से जुड़े एक अधिकारी बताते हैं, ‘‘विज्ञापन रोकने का काम तो एलजी के आने बाद से ही शुरू हो गया था, लेकिन निदेशक और सेक्रेटरी के तबादले के बाद इस पर ज़्यादा असर दिख रहा है.”
दिल्ली सरकार में अधिकारियों के ट्रांसफर और नियुक्ति करने वाला विभाग उपराज्यपाल के नियंत्रण में है. दिल्ली सरकार ने विभाग पर नियंत्रण की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है.
सरकार के विज्ञापनों में कमी
हमने डीआईपी में हुए बदलाव के असर का आकलन किया है. आंकड़े बताते हैं कि विज्ञापन में गिरावट आई है. अक्टूबर 2021 में अमर उजाला के दिल्ली संस्करण में आप सरकार के 11 पूरे पन्ने और नौ आधे पन्ने के विज्ञापन प्रकाशित हुए थे. इसी अवधि में साल 2022 में सिर्फ पांच पूरे पन्ने के और सात छोटे विज्ञापन प्रकाशित हुए हैं.
यहां एक और बात ध्यान देने योग्य है. साल 2021 में दिवाली नवंबर महीने में थी. तब दिल्ली सरकार ने ‘दिल्ली की दिवाली’ नाम से बहुत बड़े पैमाने पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया था. इस कार्यक्रम के विज्ञापन लगातार तीन दिनों तक, अखबारों के पूरे पन्ने पर प्रकाशित हुए थे. वहीं 2022 में दिवाली के दिन केवल एक पन्ने का विज्ञापन आया. इस साल आप सरकार ने ‘दिल्ली की दिवाली’ कार्यक्रम भी नहीं किया.
अगर हम सितंबर 2021 का आंकड़ा देखें तो दिल्ली सरकार द्वारा अख़बारों में सात पूरे पन्ने के और छह छोटे-बड़े विज्ञापन दिए गए. वहीं सितंबर 2022 में पांच पूरे पन्ने के और 11 छोटे-बड़े विज्ञापन हैं.
डीआईपी के एक कर्मचारी ने हमें बताया कि दिल्ली सरकार के विज्ञापन अब राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित नहीं हो रहे हैं. न्यूज़लॉन्ड्री ने इसे सही पाया. बीते साल गांधी जयंती पर दिल्ली सरकार का विज्ञापन लखनऊ और चंडीगढ़ संस्करणों के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों में भी प्रकाशित हुआ था. वहीं इस बार यह सिर्फ दिल्ली में प्रकाशित हुआ है.
डीआईपी में काम करने वाले एक कर्मचारी बताते हैं, ‘‘दिल्ली सरकार के विज्ञापनों में पहले एलजी दिलचस्पी नहीं लेते थे, लेकिन अब वो इस पर भी नज़र रख रहे हैं. एलजी ऑफिस से आदेश आने पर ही अब विज्ञापन प्रकाशित होते हैं.’’
कमर्चारी आगे बताते हैं, ‘‘एलजी ऑफिस तो इस बात पर भी नाराजगी जाहिर कर चुका है कि मुख्यमंत्री और सरकार के दूसरे मंत्री किसी कायर्कम में जाते हैं तो उसकी खबर प्रमुखता से अख़बारों में छपती है, लेकिन एलजी की खबरें अख़बार में क्यों नहीं छपती हैं.’’
कई सालों से अक्टूबर-नवंबर के महीने में दिल्ली की हवा बेहद प्रदूषित हो जाती है. साल 2021 में दिल्ली सरकार ने प्रदूषण से बचाव को लेकर ‘युद्ध, प्रदूषण के विरुद्ध’ नाम से एक अभियान शुरू किया था. इस अभियान का विज्ञापन पूरे पन्ने पर अख़बारों में छपा और जगह-जगह होर्डिंग्स लगे. साल 2022 में यह अभियान 28 अक्टूबर से शुरू होना था, लेकिन नहीं हुआ. ‘आप’ ने एलजी सक्सेना पर अभियान को रोकने का आरोप लगाया था.
आप सरकार के विज्ञापनों को दिल्ली से बाहर नहीं जारी करने के पीछे की एक वजह गुजरात चुनावों को भी बताया जा रहा था. पहले दिल्ली सरकार का विज्ञापन उन राज्यों में ज़्यादा छपता या दिखाया जाता था, जहां चुनाव करीब होते थे. ‘दिल्ली की दिवाली’ रोकने के पीछे भी यही कारण माना गया. दरअसल 2020 या 2021 में इस कार्यक्रम का प्रसारण उन राज्यों में भी हुआ था जहां आप चुनाव लड़ने वाली थी.
डीआईपी के निदेशक आरएन शर्मा इस मामले पर कुछ भी जवाब देने से बचते नज़र आते हैं. दिल्ली के बाहर विज्ञापनों पर लगी रोक को लेकर डीआईपी के एक अधिकारी कहते हैं, ‘‘हम एनसीटी दिल्ली हैं. ऐसे में दिल्ली से बाहर विज्ञापन देने की कोई तुक नहीं बनती है. इसलिए अब विज्ञापन बाहर नहीं दिए जा रहे हैं.’’
वहीं एलजी सक्सेना के निजी सहायक राकेश रंजन इन आरोपों से इनकार करते हैं. वे कहते हैं, ‘‘डीआईपी में हमारा कोई हस्तक्षेप नहीं है. हमारा उससे कोई लेना-देना ही नहीं है.’’
डीआईपी में अधिकारियों के हो रहे तबादले के सवाल पर रंजन कहते हैं, ‘‘तबादले की क्या वजह हो सकती है? यह एक रूटीन प्रक्रिया है. हर विभाग में बदलाव होता है.’’
आगे के महीनों में भी दिल्ली सरकार के विज्ञापनों में लगातार गिरावट नज़र आती है. जनवरी 2022 में दिल्ली सरकार के 15 पूरे और तीन आधे पन्ने के विज्ञापन अमर उजाला के दिल्ली एडिशन में प्रकाशित हुए. वहीं इस साल जनवरी में सिर्फ एक पूरे पन्ने का (गणतंत्र दिवस पर) और दो आधे पन्ने व चार एक चौथाई पन्ने के विज्ञापन हैं.
बीते साल 9 जनवरी को दिल्ली सरकार ने प्रकाश पर्व पर एक पूरे पन्ने का विज्ञापन दिया था. इसके अलावा 3 जनवरी को सावित्री बाई फुले और फातिमा शेख से जुड़ा आधे पन्ने का विज्ञापन भी था, लेकिन इस साल ऐसा कोई भी विज्ञापन अख़बारों में नहीं प्रकाशित हुआ.
विज्ञापनों में कमी को लेकर आम आदमी पार्टी के एक नेता कहते हैं, ‘‘अगर एलजी साहब ऐसा कर रहे हैं, तो बहुत देर हो चुकी है क्योंकि पंजाब में अब हमारी सरकार है. वहां वे हमें अपने काम का प्रचार करने से नहीं रोक सकते हैं.’’
विज्ञापनों में कमी के अलावा डीआईपी ने हाल ही में आम आदमी पार्टी को 163 करोड़ रुपए वापस करने का नोटिस भी दिया है. इस नोटिस में आरोप लगाया गया कि दिल्ली सरकार के विज्ञापनों का इस्तेमाल राजनीतिक रूप से किया गया. इससे जुड़ी न्यूज़लॉन्ड्री की एक विस्तृत रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते हैं.
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