गुजरात चुनाव: ट्रंप के स्वागत में जिस बस्ती को दीवार से ढका गया वहां के लोगों की जिंदगी

साल 2020 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की यात्रा के दौरान अहमदाबाद में जिस इलाके को दीवार से छुपाया गया था, वहां से न्यूज़लॉन्ड्री की ग्राउंड रिपोर्ट

WrittenBy:बसंत कुमार
Date:
   

24 फरवरी 2020 के अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम, जिसे अब नरेंद्र मोदी स्टेडियम के नाम से जाना जाता है, में ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम हुआ था. इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अहमदाबाद एयरपोर्ट पहुंचे थे, और वहां से कार्यक्रम में वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गए. इस कार्यक्रम में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए थे.

ट्रम्प के स्वागत में एयरपोर्ट से स्टेडियम तक के रास्ते को सजाया गया था. कई जगहों पर सड़क के आसपास की बस्तियों को ढक दिया गया था. ऐसी ही एक बस्ती इंदिरा ब्रिज के पास सराणिया वास है. तब ट्रंप की नजरों से बचाने के लिए इसके आसपास दीवार का निर्माण कराया गया था. अब दीवार के साथ पेड़ लगा दिए गए हैं. ऐसे में सड़क की तरफ से यहां रहने वाले लोग नजर नहीं आते हैं.

जैसे यहां रहने वाले लोग जनता की नजरों से दूर हो गए, वैसे ही विकास भी यहां से दूर है. समान्य जीवन जीने के लिए ज़रूरी सुविधाएं भी यहां रहने वालों के पास नहीं हैं. कई परिवारों के एक कमरे के मकान में पति, पत्नी, बेटा और बहू साथ ही रहते हैं. 60 वर्षीय दया भाई ऐसे ही एक बुजुर्ग हैं. एक कमरे के घर में वो, अपनी पत्नी और विधवा बेटी के साथ रहते हैं. कहते हैं, ‘क्या करें, मज़बूरी है.’

सराणिया वास में रहने वाले ज़्यादातर लोग राजस्थान के चितौड़गढ के मूल निवासी हैं. आज़ादी के आसपास इनके पूर्वज यहां आकर बस गए. दया भाई का जन्म यहीं हुआ है. स्थानीय लोगों के मुताबिक इंदिरा गांधी ने यहां रहने की जगह दी लेकिन उसके बाद इन्हें कुछ नहीं मिला. यहां करीब 700 परिवार हैं. यहां के लोग चाकू, तलवार या दूसरे औजारों को धार देने का काम करते हैं.

यहां रहने वाली बड़ी आबादी आज भी चूल्हे पर खाना बनाने को मजबूर हैं. यहां आज भी महिलाएं चूल्हे पर खाना बनाती दिख जाएंगी. यहां कुछ घरों में गैस ज़रूर है, लेकिन उसकी बढ़ती कीमतों के कारण लोग हर महीने सिलेंडर नहीं भरवा पाते हैं. एक महिला लकड़ी जलाकर चूल्हे पर खाना बना रही थी. जब हमने उनसे बात की तो वो कहती हैं, ‘‘जंगल से लकड़ी बीन कर लाते-लाते उम्र बीत गई. मोदी साहेब हमें गैस दिला दो.’’

यहां पीने का पानी तो आया है, लेकिन गटर के पानी के साथ मिलकर वो बदबूदार हो गया है. लोग इधर-उधर से पीने का पानी तो ले आते हैं, लेकिन नहाने और बाकी कामों में इसी पानी का इस्तेमाल होता है. यहां मिली एक बुजुर्ग महिला बताती हैं, ‘‘चार दिन से नहीं नहाई. पानी से इतनी बदबू आ रही है, कैसे नहाऊं?’’

यहां पहुंचने पर सबसे ज्यादा हैरानी यह जानकर हुई कि यहां रहने वाली एक बड़ी आबादी आज भी खुले में शौच करने जाने को मज़बूर है. कॉलोनी के बाहर दो शौचालय तो बने हैं, लेकिन दोनों शौचालय में 10 महिलाओं के लिए और 10 पुरुषों के लिए हैं जबकि यहां की आबादी सात हज़ार के करीब है. ऐसे में सुबह-सुबह यहां लाइन लग जाती है. कई महिलाएं और पुरुष भीड़ से बचने के लिए पास के जंगल में चले जाते हैं.

ट्रंप और दुनिया की नज़रों से जो छिपाया गया, न्यूज़लॉन्ड्री की यह ग्राउंड रिपोर्ट आपके सामने लाती है.

देखें पूरा वीडियो-

Also see
article imageगुजरात चुनाव: ‘मौका मिलने पर अपने लोगों के अंधेरे गलियारों तक ले जाऊंगा उजाला’
article imageदिल्ली एमसीडी चुनाव: क्या कूड़े की समस्या एक मुद्दा है?

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like