केंद्र सरकार ने साल 2016 से लेकर दिसंबर 2021 तक 5000.667 करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च किए हैं.
मोदी सरकार ने राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में बताया कि सरकार ने अखबार, टीवी और रेडियो पर साल 2017 से 10 फरवरी 2022 तक विज्ञापन पर 2594.78 करोड़ रुपए खर्च किए हैं.
यह सवाल माकपा के सांसद वी शिवादासन ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से पूछा था. सांसद ने सवाल किया कि साल 2017 से फरवरी 2022 तक समाचार पत्रों, टीवी मीडिया, रेडियो और सोशल मीडिया पर विज्ञापन के रूप में कितना खर्च किया गया है.
केंद्रीय मंत्रालय ने अपने जवाब में बताया कि ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्यूनिकेशन (बीओसी)द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से 2017-18 से अभी तक 7.20 करोड़ रुपए खर्च किए गए.
वहीं बीओसी ने बताया कि प्रकाशनों के माध्यम से साल 2017-18 से लेकर फरवरी 2022 तक 1654.57 करोड़ रुपए खर्च किया गया है. इसमें सबसे ज्यादा विज्ञापन 2017-18 के दौरान किया गया. सरकार ने 6782 प्रकाशनों के जरिए 636.09 करोड़ रुपए खर्च किए. वहीं 2021-22 में 5608 प्रकाशनों के जरिए 96.39 करोड़ रुपए खर्च किए.
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Contributeटीवी चैनलों पर विज्ञापन के रूप में सरकार ने 479.61 करोड़ खर्च किए हैं. इसमें भी सबसे ज्यादा खर्च साल 2017-18 के दौरान किया गया. सरकार ने 2017-18 में 265 टीवी चैनलों पर 153.02 करोड़ रुपए का विज्ञापन दिया. वहीं साल 2021-22 में 168 चैनलों पर विज्ञापन के रूप में 8.13 करोड़ रुपए खर्च किए गए.
बीओसी द्वारा प्राइवेट रेडियो स्टेशन के जरिए सरकार ने विज्ञापन पर 460.6 करोड़ रुपए खर्च किया है. जबकि रेडियो पर सबसे ज्यादा विज्ञापन 2018-19 के बीच दिया गया. वहीं साल 2021-22 में 13.96 करोड़ रुपए का विज्ञापन दिया गया.
बता दें कि इससे पहले डीएवीपी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने साल 2016 से लेकर दिसंबर 2021 तक 5000.667 करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च किए हैं.
वहीं एक अन्य आरटीआई के जवाब में भारत सरकार ने बताया कि साल 2014 से जून 2021 तक मोदी सरकार ने 5749 करोड़ रूपए का विज्ञापन दिया है. जबकि कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने अपने 10 सालों के कार्यकाल में विज्ञापन पर कुल 3,582 करोड़ रुपए खर्च किए थे.
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