यूपी में अल कायदा से संबंध रखने के आरोप में दो मुसलमानों पर चल रहा मुकदमा, क्या हैं सबूत?

मिन्हाज अहमद और मुसीरुद्दीन को पिछले साल जुलाई में गिरफ्तार किया गया था. इन पर आतंकवादी हमलों की साजिश रचने का आरोप है.

WrittenBy:आकांक्षा कुमार
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मिन्हाज अहमद, बाएं, और मुसीरुद्दीन.
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जुलाई 2021 में, उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा भारत में अलकायदा के कथित सहयोगी संगठन “अंसार गजवत-उल-हिंद के दो सक्रिय सदस्यों” को गिरफ्तार करने का दावा किया गया. पुलिस ने आरोप लगाया कि मिन्हाज अहमद और मुसीरुद्दीन "लखनऊ समेत राज्य के विभिन्न शहरों में 15 अगस्त से पहले आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने" की योजना बना रहे थे. इन्हें लखनऊ में गिरफ़्तार किया गया और मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी गई.

एनआईए ने 5 जनवरी, 2022 को लखनऊ की एक विशेष अदालत में आरोप पत्र दायर कर आरोप लगाया कि, “गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में पता चला है कि वे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन अलकायदा के सदस्य हैं. उन्होंने भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रची थी.”

मिन्हाज और मुसीरुद्दीन के परिवारों ने इस बात से इनकार किया है कि वे "आतंकवादी गतिविधियों" में शामिल थे. 31 वर्षीय मिन्हाज लखनऊ में ई-रिक्शा की बैटरी बेचने वाली दुकान चलाते थे और 41 वर्षीय मुसीरुद्दीन रोजी-रोटी कमाने के लिए ई-रिक्शा चलाते थे. ये दोनों आरोपी दोस्त हैं.

एनआईए द्वारा आरोपों के समर्थन में कौन-से सबूत पेश किए गए हैं?

एनआईए द्वारा इन दोनों दोस्तों के खिलाफ तैयार किया गया मामला, जैसा कि एजेंसी द्वारा जनवरी में दायर आरोप पत्र और 3 अगस्त को दायर पूरक आरोप पत्र में बताया गया, मुख्य रूप से उनके फोन पर मिली तस्वीरों, वीडियो, व्हाट्सएप और टेलीग्राम चैट, कॉल डेटा रिकॉर्ड पर निर्भर है. साथ ही इन दोनों दोस्तों पर दायर मामला, फरवरी 2022 में यूपी से गिरफ्तार आतंकवादी साजिश के मास्टरमाइंड होने के कश्मीरी आरोपी तौहीद अहमद शाह के साथ वित्तीय लेनदेन पर टिका है.

एनआईए के अनुसार मिन्हाज, मुसीरुद्दीन और तौहीद के साथ "साजिश" में, यूपी के तीन अन्य मुसलमान पुरुष शामिल थे, जिन्हें सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए, आर्म्स एक्ट और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की दंडात्मक धाराओं के तहत गिरफ़्तार किया गया और आरोपी बनाया गया है.

'अलकायदा के प्रति निष्ठा'

मिन्हाज के खिलाफ एक महत्वपूर्ण सबूत उसके द्वारा अलकायदा के प्रति कथित तौर पर बैयत, या निष्ठा की शपथ का पाठ करने का एक वीडियो है, जो एनआईए को मुसीरुद्दीन के फोन में मिला था.

एनआईए द्वारा अपनी चार्जशीट में उपलब्ध कराई गई प्रतिलिपि के अनुसार, वीडियो में हिंदी में बात करते हुए मिन्हाज कहते हैं, "मुजाहिदीन संगठन अलकायदा से जुड़कर मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं. जो कोई भी मेरा अमीर है, उसके लिए मैं सब कुछ करने की कोशिश करूंगा, क्योंकि यही अल्लाह की मर्जी है. मैं जिहाद में शामिल हो रहा हूं क्योंकि यह जमीन अल्लाह की है और अल्लाह ही शासक है. और मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि यह मेरी आखिरी सांस तक जारी रहे."

एनआईए का दावा है कि मिन्हाज, “2017 से ही एक कट्टरपंथी बन चुका था और उसने जिहाद का रास्ता इसलिए अपनाया ताकि दूसरे समुदायों से हिसाब बराबर किया जा सके”, दूसरे समुदायों का अर्थ संभवतः हिंदु समुदाय से है. वहीं बैयत के बारे में एजेंसी का तर्क है कि यह “प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन अलकायदा के लिए उसकी वफादारी" को साबित करता है.

एजेंसी ने यह निष्कर्ष निकाला है कि "प्राप्त किए गए डेटा की जांच से पता चला है कि मिन्हाज अहमद अपने सांप्रदायिक दृष्टिकोण में कट्टरपंथी था."

एनआईए का दावा है कि इसी वजह से मिन्हाज को "अलकायदा से संबद्ध अंसार गजवत-उल-हिंद के लिए सदस्यों की भर्ती" का विश्वसनीय काम सौंपा गया था.

उत्तर प्रदेश में अंसार गजवत-उल-हिंद के सक्रिय होने की परिकल्पना इस जानकारी पर आधारित है कि "पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर स्थित अल कायदा सदस्य उमर हलमंडी, लोगों को कट्टरपंथी बना रहा है और नए सदस्यों की भर्ती कर रहा है." हालांकि चार्जशीट में इस जानकारी के स्रोत का कोई जिक्र नहीं है.

एनआईए ने आगे दावा किया है कि उसे चार बिना तारीख की ऑडियो फाइलें मिली हैं, जिनसे साबित होता है कि मिन्हाज और मुसीरुद्दीन दोनों अलकायदा के लिए काम करते थे. एजेंसी का दावा है कि ये ऑडियो "दोषी ठहराने” के लिए काफी हैं. एक ऑडियो में कथित तौर पर मिन्हाज ने मुसीरुद्दीन से कहा, "उसके लिए फौज में शामिल होने का पैगाम आया है” और सलाह दी गई है कि उसे वफादारी की कसम खाने से पहले “परिवार से इजाजत ले लेनी चाहिए." एक अन्य ऑडियो में मुसीरुद्दीन अपनी शपथ लेते सुना जा सकता है, "मुजाहिदीन संगठन अलकायदा में शामिल होकर मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं."

मिन्हाज ने एनआईए द्वारा की गई वीडियो की व्याख्या पर आपत्ति जताई है. जुलाई 2022 में अपने वकील मोहम्मद शोएब को लिखे एक पत्र में उसने इसका जिक्र किया और कहा कि अल बदर, कश्मीर में सक्रिय हाशिये का एक आतंकवादी समूह है, “मैंने इंस्टाग्राम पर एक व्यक्ति को अल बदर के प्रति निष्ठा की इसी तरह की शपथ लेते हुए एक वीडियो देखा था. मैंने अल बदर को अलकायदा से बदल दिया.” उसने दावा किया कि यह महज एक मजाक था, जिसका मकसद अपनी बेटी की बीमारी के कारण उदास बैठे दोस्त को खुश करना था.

मुसीरुद्दीन के साथ तौहीद के भी वकील शोएब ने सवाल किया, “वीडियो का सिर्फ एक अंश अल कायदा के साथ संबंध साबित करने के लिए काफी नहीं है. क्या जांच एजेंसी ने प्रतिबंधित संगठन से, यहां तक ​​कि कथित हैंडलर से किसी तरह के कोई संबंध दिखाए या साबित किए हैं?”

बतौर सबूत मिन्हाज की कथित बैयत पर एनआईए की निर्भरता पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, “आप अकेले में ऐसी शपथ नहीं ले सकते. दूसरा व्यक्ति जिसे यह शपथ दिलानी थी, वह अनुपस्थित है."

'कट्टरपंथी बनाने की प्रक्रिया'

चार्जशीट में सबूत के तौर पर मुसीरुद्दीन और मिन्हाज के सेलफोन पर कथित रूप से पाए गए ऑडियो और वीडियो की प्रतिलिपियां भी शामिल हैं, जिनमें जिहाद के बारे में बातें हैं. अधिकांश प्रतिलिपियों पर कोई तारीख नहीं हैं और न के बराबर संदर्भ है.

अलवर में पहलू खान की लिंचिंग, फरीदाबाद में ट्रेन में जुनैद खान की लिंचिंग और गाजियाबाद में एक बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति पर हमले का जिक्र करते हुए एक ट्रांस्क्रिप्ट में मिन्हाज को यह कहते हुए उद्धृत किया गया, “अब तक मैंने अपने आप को अपने मां-बाप की वजह से रोक रखा है, वरना ये लोग मिन्हाज नाम से उतना ही डरते जितना सलाहुद्दीन से कुफ्फार और औरंगजेब से हिंदु."

सलाहुद्दीन अय्यूबी एक मध्यकालीन मुस्लिम शासक था, जिसने लेवेंट में क्रूसेडरों से लड़ाई लड़ी और उन्हें हराया, जबकि औरंगजेब 17 वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य का शासक था.

एक और प्रतिलिपि में उसे यह कहते हुए बताया गया, "मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए मेरी समझ है कि यदि हम अभी जिहाद का हिस्सा नहीं बनते हैं, तो हम अपनी बेटियों, बहनों और माताओं की इज्जत नहीं बचा पाएंगे."

आगे उसे यह दावा करते हुए बताया गया कि “बाबरी मस्जिद पर बहस और मुसलमानों की लिंचिंग की घटनाओं के बाद 2017-18 में उसके विचार बदलने लगे थे."

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ह्यूमन राइट्स वॉच की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, मई 2015 से दिसंबर 2018 तक हिंदू भीड़ ने देश भर में कम से कम 36 मुसलमानों को पीट-पीट कर मार डाला था.

ऐसे मामलों में पेश होने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील अबू बक्र सब्बाक ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “जांच एजेंसियां ​​अक्सर कट्टरपंथ के आधार पर अपने मामले बनाकर कथित मकसद को साबित करने की कोशिश करती हैं. लेकिन मुकदमे के दौरान कट्टरता के सबूत जांच में टिक नहीं पाते.”

सब्बाक ने उदाहरण के लिए 2017 में यूपी पुलिस द्वारा सैफुल्ला खान की मुठभेड़ का हवाला दिया. “उसके एक चचेरे भाई ने बैयत के वीडियो और आईएसआईएस द्वारा सिर काटने के वीडियो के बारे में बयान दिया था, पर चूंकि वे अरबी में थे, इसलिए गवाह क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान कथित वीडियो का सही अर्थ समझ पाने में नाकाम साबित हुआ.”

यह मुकदमा अभी भी जारी है.

'आपराधिक सबूत'

एनआईए का दावा है कि मिन्हाज के फोन पर कथित तौर पर मिले एक अन्य वीडियो से पता चलता है कि वह और उसका दोस्त किसी बुरी घटना का निशाना बनाने के लिए "लखनऊ में फिर से महत्वपूर्ण स्थानों की खोज में थे."

एनआईए द्वारा दी गई एक प्रतिलिपि, हिंदी में उनके बीच एक बातचीत के हवाले से बताती है कि लखनऊ के मोहिबुल्लापुर इलाके का जिक्र करते हुए मुसीरुद्दीन, मिन्हाज से कहता है, ''मेरा बचपन यहीं बीता और यहां के 95 फीसदी परिवार आरएसएस से जुड़े हैं.''

मिन्हाज ने वकील को लिखे अपने पत्र में एनआईए के निहितार्थ को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, "जो कोई भी खुले दिमाग से इस वीडियो को देखेगा, वह यही कहेगा कि एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को वह जगह दिखा रहा है ,जहां वह बचपन से रह रहा है."

उन्होंने पूछा, "यदि वीडियो वास्तव में टोही मिशन या रेकी आदि के लिए था तो, क्या वह इसे जल्द ही डिलीट नहीं कर देते?

एनआईए द्वारा प्रस्तुत किए गए अन्य "आपराधिक" सबूतों में 9/11 जैसी किताबें शामिल हैं, जिसके बारे में आरोप पत्र का दावा है कि यह अमेरिका में "ट्विन टावर्स पर हमले को जायज ठहराती है." अन्य किताबों में गुरिल्ला वॉर फेयर इन द लाइट ऑफ मार्शल आर्ट, वाये डिड आई चोज अल कायदा, व जिहाद फोर दोज़ हू डू नॉट अटैंड जिहाद आदि शामिल है. आईईडी तैयार करने के लिए एक कथित ऑनलाइन मैनुअल जिसे एक्सप्लोसिव कोर्स कहा जाता है; अप्रैल 2021 में कश्मीर में मारे गए तीन आतंकवादियों की तस्वीरें भी बरामद हुई हैं.

मुसीरुद्दीन की पत्नी लखनऊ में अपने घर पर.

'विस्फोटकों की बरामदगी'

मिन्हाज और मुसीरुद्दीन की गिरफ्तारी के बाद बम निरोधक दस्ते के एक प्रेशर कुकर के साथ मुसीरुद्दीन के घर से बाहर निकलने के दृश्य सभी टीवी समाचार चैनलों पर दिखाए गए. यूपी पुलिस ने दावा किया है कि कुकर में "2.5 किलो लोहे की कीलें और 78 पैकेट होमलाइट माचिस की डिब्बी" जो कि "उच्च शक्ति वाली बैटरी और डेटोनेटर से जुड़ा" था. उन्होंने दावा किया कि यह एक आईईडी थी.

मिन्हाज के घर से उन्होंने एक पिस्तौल, चार कारतूस, बॉल बेयरिंग के आठ डिब्बे, दो प्रेशर कुकर आईईडी, पोटेशियम परमैंगनेट पाउडर और माचिस के 168 पैकेट बरामद होने का दावा किया.

मिन्हाज के पिता, सिराज अहमद ने दावा किया कि पुलिस ने जब उनके घर पर छापा मारा तब "हमारे बेटे के कमरे को घेर लिया" और अंदर जो चीजें मिली वो हमें दिखायी नहीं गईं. उन्होंने कहा, "मैं कहूंगा कि ये केवल आरोप हैं और अब तक इकट्ठा किए गए सारे सबूत निराधार प्रतीत हो रहे हैं."

2021 में एक पत्रकार से बात करते हुए मुसीरुद्दीन की पत्नी सईदा ने कहा कि उन्होंने एक नया कुकर और एक चूल्हा खरीदा था जिसे पुलिस ले गई. इसके साथ ही पुलिस उर्दू में लिखे कुछ पोस्टर और उनके बच्चों की किताबों को भी ले गई.

सईदा ने मोहिबुल्लापुर में अपने घर पर न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “जब पुलिस आई तो, कोई दरवाजा नहीं था और एक दीवार भी नहीं थी. इस तरह से रहने वाले लोग ऐसी चीजें नहीं करते हैं.”

सईदा और मुसीरुद्दीन की तीन छोटी लड़कियां और एक लड़का है. 15 और 14 वर्ष की दो बड़ी लड़कियों को उनके पिता की गिरफ्तारी के तुरंत बाद बिना किसी स्पष्टीकरण के लखनऊ इंटर कॉलेज, लालबाग से निकाल दिया गया. 12 साल की सबसे छोटी लड़की एक ऐसी बीमारी से पीड़ित है जिस कारण वह स्कूल नहीं जा सकती है. लड़का पांच साल का है.

सईदा ने कहा, "हम किसी तरह यहां रुके हुए हैं."

न्यूज़लॉन्ड्री ने लड़की के निष्कासन के बारे में पूछने के लिए कॉलेज के प्रिंसिपल रजनी यादव से संपर्क करने का बार-बार प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली.

केंद्रीय एजेंसी की चार्जशीट में दावा किया गया है कि, "एनआईए ने मिन्हाज और मुसीरुद्दीन के घरों से ली गई सामग्री को आगरा में सरकारी फोरेंसिक लैब में भेजा, जिसने "यह स्थापित किया कि उसने भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के इरादे से आईईडी तैयार करने के लिए विस्फोटक पदार्थ इकट्ठा किए थे, और यह एक आतंकवादी कार्रवाई है."

एनआईए ने लखनऊ के डालीगंज के एक दुकानदार सनी गुप्ता के एक बयान पर भी भरोसा किया है, जिसने मार्च 2021 में मिन्हाज और मुसीरुद्दीन को 50 किलो पोटेशियम परमैंगनेट बेचने का दावा किया है.

मिन्हाज ने प्रतिवाद किया है कि "विस्फोटक" वे नहीं थे जिसे पुलिस और एनआईए विस्फोटक कह रही है. वकील को लिखे अपने पत्र में उन्होंने दावा किया है कि मुशीर के भाई की बेटी को पटाखों के कुछ डिब्बे मिले थे, जो नमी के कारण फट नहीं सकते थे. मैंने पाउडर निकाला और यूट्यूब की मदद से उन्हें फोड़ने और उसका वीडियो बनाने में कामयाब रहा.

उन्होंने आगे कहा कि जाहिर तौर पर इन वीडियो को जांचकर्ताओं ने "आईईडी विस्फोट" के रूप में प्रस्तुत किया है.

लखनऊ में अनुराग सिंह ने रिपोर्टिंग करने और तस्वीरें लेने में हमारी मदद की है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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