छात्र अपने करियर को लेकर चिंतित हैं और किसी तरह एडमिशन लेने की राह तलाश रहे हैं.
दाखिला न दिए जाने के लिए बताए गए इन कारणों से छात्र संतुष्ट नहीं हैं, और उनका यही सवाल है कि चयनित सूची में नाम होने के बाद भी उन्हें दाखिला क्यों नहीं दिया जा रहा.
एक अन्य छात्र ने न्यूज़लांड्री से बातचीत में कहा कि जिसे भी उन्होंने अपनी समस्या बताई, चाहे वह प्रोफेसर हो या प्रशासन, सभी उन्हें कहते हैं, “बेटा बहुत गलत हुआ है, आपके साथ ऐसा नहीं होना चाहिए. पता नहीं यह लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं.”
वह आगे कहते हैं कि ऐसा कोई ज़िम्मेदारी नहीं ले रहा, जो उन्हें उनके सवालों का जवाब दे.
बता दें कि जामिया में पीएचडी के प्रवेश के लिए यह छात्र देश के अलग-अलग हिस्सों से आए हैं. वे इस समस्या का सामना व्यक्तिगत तौर पर कर रहे हैं और प्रशासन के पास अपनी-अपनी शिकायतें लेकर जा रहे हैं. चूंकि जामिया में न तो कोई छात्र संघ है और न ही अब तक कोई अन्य छात्र संगठन सामने आया है. ऐसे में छात्र यह लड़ाई बिना किसी नेतृत्व के लड़ रहे हैं.
एमसीआरसी में ही पीएचडी में दाखिला लेने आई एक छात्रा हमें बताती हैं, “जब मेरा नाम चयनित छात्रों की लिस्ट में आ गया तो मैंने अपनी जॉब छोड़ दी. कई अन्य संस्थानों में जहां मैंने पीएचडी एडमिशन के लिए आवेदन किया था, वह छोड़कर मैं जामिया आ गई और यहां बिना किसी ठोस वजह के मेरा एडमिशन नहीं लिया जा रहा.”
वह बताती हैं, “इस मामले को लेकर हमने यूजीसी को भी एप्लीकेशन दी है, क्योंकि हमें लगता है कि प्रशासनिक तौर पर ही इस समस्या को सुलझाया जा सकता है.”
इस बारे में हमने जामिया के जन संपर्क अधिकारी अहमद अज़ीम से भी बात की. उन्होंने कहा कि वे प्रशासन का पक्ष हमें बताएंगे, हालांकि दोबारा संपर्क किए जाने पर उन्होंने कोई साफ़ जवाब नहीं दिया. हमने उन्हें कुछ सवाल भेजे हैं. यदि वे जवाब देते हैं तो वह इस खबर में जोड़ दिए जाएंगे.
इस खबर में छात्रों के अनुरोध पर उनकी पहचान को गुप्त रखा गया है और काल्पनिक नाम का प्रयोग किया गया है.
21 सितंबर को अपडेट किया गया.
जामिया के रजिस्ट्रार प्रोफेसर नाजिम हुसैन जाफरी ने फोन पर बातचीत में बताया, “यहां एडमिशन को लेकर कोई मुद्दा नहीं है, जिन छात्रों का नाम सूची में आया है उनके दाखिले हो रहे हैं.”