दिल्ली पुलिस ने मोहम्मद जुबैर को उनके एक ट्वीट के चलते धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में 27 जून को गिरफ्तार किया था.
उत्तर प्रदेश के सीतापुर में दर्ज एफआईआर को रद्द करने को लेकर ऑल्ट न्यूज़ के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए याचिका को शुक्रवार को लिस्ट करने के लिए कहा है. हालांकि बेंच ने साफ किया कि सुनवाई मुख्य न्यायाधीश के आदेश के बाद ही होगी.
जुबैर की याचिका अवकाश पीठ के सामने पेश हुई जिसे जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जेके माहेश्वरी ने सुना. जुबैर की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्विस ने जुबैर की जान को खतरा होने के कारण आज दो बजे याचिका पर सुनवाई करने की गुजारिश की.
जुबैर के वकील ने कहा, "जुबैर का काम खबरों का फैक्ट चेक करना है और वह नफरती भाषणों को पहचानने की भूमिका निभा रहे थे. एफआईआर देखने से पता चलता है कि कोई अपराध नहीं है. इलाहाबाद हाईकोर्ट गए लेकिन कोई राहत नहीं मिली. इंटरनेट पर जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं. यदि संभव हो तो आज 2 बजे इस पर सुनवाई करें."
इस पर पीठ ने कहा कि केवल मुख्य न्यायाधीश ही मामलों को सूचीबद्ध कर सकते हैं. इसलिए हमने निर्देश दिया है कि सीजेआई द्वारा मंजूरी के अधीन मामले के लिए इसे कल सूचीबद्ध किया जाए.
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने 27 जून को जुबैर को गिरफ्तार किया था. जुबैर को उनके 2018 में किए गए ट्वीट को लेकर केस दर्ज किया गया है.
वहीं जिस मामले को रद्द करने के लिए जुबैर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, वह जून 2022 में सीतापुर में दर्ज किया गया है. इस मामले में ज़ुबैर के खिलाफ दर्ज एफआईआर, तीन स्वघोषित हिंदू संतों यति नरसिंहानंद सरस्वती, बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप को, नफरत फैलाने वाला कहने पर दर्ज कराई गई है.
धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर ठेस पहुंचाने के आरोप में जुबैर के खिलाफ आईपीसी की धारा 295 (ए) और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत यह मामला दर्ज किया है. यह एफआईआर राष्ट्रीय हिंदू शेर सेना के सीतापुर जिला प्रमुख भगवान शरण ने दर्ज कराई है.
लखनऊ हाईकोर्ट ने यह कहते हुए जुबैर की याचिका को खारिज कर दिया था कि एफआईआर देखने के बाद पता चलता है कि जुबैर ने अपराध किया है. इस मामले की जांच करने की जरूरत है.
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