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एनएल चर्चा के इस अंक में विशेष तौर पर पूर्व बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा का पैगंबर मोहम्मद को लेकर दिया गया बयान और उसके जवाब में 15 मुस्लिम देशों के विरोध पर बातचीत हुई. इसके साथ ही कानपुर में नूपुर शर्मा के बयान पर हिंसा, नफरती बयानबाजी करने के खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा 32 लोगों के खिलाफ दर्ज एफआईआर, सिद्धू मूसेवाला की हत्या के मामले में 8 लोगों की गिरफ्तारी, राहुल गांधी का ईडी के सामने पेशी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर टिप्पणी को लेकर यूट्यूबर की गिरफ्तारी, 57 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव, पहली बार कैंसर का दवा से इलाज जैसे विषयों का जिक्र हुआ.
चर्चा में इस हफ्ते पूर्व राजनयिक केसी सिंह, एमनेस्टी इंटरनेशनल के पूर्व चेयरमैन आकार पटेल, न्यूज़लॉन्ड्री के सह संपादक शार्दूल कात्यायन और एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस शामिल हुए. संचालन कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल ने चर्चा की शुरुआत, नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद को लेकर दिए गए बयान के बाद अरब देशों की आपत्तियों से की. वो केसी सिंह से पूछते हैं, “जिस तरह से एक अरसे से भारतीय राजनीति में धर्म का इस्तेमाल हो रहा है, क्या उसके बाद इस तरह की दुर्घटना होनी ही थी. यह बहुत पहले भी हो सकता था?”
केसी सिंह कहते हैं, “आप की बात सही है. किसी देश की कूटनीति और उसकी अंदरूनी राजनीति अलग-अलग नहीं हो सकती. यह दोनों एक दूसरे से जुड़ी हुई है. खासकर सोशल मीडिया के समय में यह सोचना की यहां हम अपने देश में कुछ भी बोले और विदेश जाकर उन्हें झप्पियां देकर खुश कर दे, ऐसा अब नहीं होता. ऐसा भी नहीं है कि बीजेपी के नेता धर्म को राजनीति में पहली बार ला रहे है. इससे पहले भी बीजेपी के बड़े नेता धर्म पर सीधे बोलने की बजाय घुमा-फिराकर बात करते थे.”
वो आगे कहते हैं, “किसी भी सरकार ने धर्म को इस तरह से राजनीति में इस्तेमाल नहीं किया. यह सरकार धर्म के जरिए वोट हासिल कर, एक धर्म के लोगों को इकट्ठा कर रही है और दूसरे धर्म पर निशाना साध रही है. “
इस विषय पर मेघनाद कहते हैं, “नूपुर शर्मा के बयान के कुछ दिनों बाद तक भारत सरकार ने अपने नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. भारत में मुस्लिम लोगों और नेताओं के विरोध के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई. लेकिन कुछ दिनों बाद अरब देशों ने जब विरोध जताया तो भारत सरकार ने दोनों नेताओं को ‘फ्रिंज’ बोलकर निकाल दिया. यह दिखाता है कि भारत के लिए यह देश कितना महत्वपूर्ण है.”
शार्दूल कहते हैं, “मेरे लिए यह विषय त्रिशूल की की तीन सिराओं की तरह है. एक तो विदेश नीति, दूसरा घरेलू राजनीति और तीसरा नरेंद्र मोदी की छवि. विदेश नीति का एकमात्र नियम है कि हर देश अपने हितों के लिए काम करता है. और सारे कदम उसी के हिसाब से उठाता है. अगर भाजपा प्रवक्ताओं पर पहले कार्रवाई कर दी गई होती, तो ऐसी नौबत नहीं आती. दूसरा अरब देशों ने जो आपत्तियां जताई है वह थियोलॉजिकल ज्यादा है बजाय जनहित के.”
भाजपा नेताओं के बयान और अरब देशों की टिप्पणी पर आकार पटेल कहते हैं, “भाजपा ने 2014 के बाद जो किया वह खुद भी समझ नहीं पा रही है. नूपुर शर्मा के बयान के 5 दिनों बाद नवीन जिंदल ने ट्वीट किया. उसके तीन दिनों बाद भाजपा ने तीन बार अपना बयान जारी किया. विदेश मंत्रालय, बीजेपी और पीएमओ को शायद पता नहीं था कि पैगंबर मोहम्मद का दर्जा क्या है इस्लामिक देशों में. भारत के मुसलमान रोते रहे लेकिन उनसे भाजपा को कुछ फर्क नहीं पड़ा.”
इस विषय के विभिन्न पहलुओं पर पूरी चर्चा में विस्तार से बातचीत हुई. भारत सरकार की कूटनीति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि आदि इसके केंद्र में रहे. पूरी बातचीत सुनने के लिए हमारा यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
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ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह