ग्राउंड रिपोर्ट: जेवर एयरपोर्ट के लिए जमीन देने वाले किसान क्यों कह रहे हैं कि हमारा विनाश हो गया

उत्तर प्रदेश सरकार का दावा है कि जेवर एयरपोर्ट के लिए किसानों ने खुशी-खुशी खुद आगे आकर अपनी जमीनें दी हैं जबकि वहां की मौजूदा स्थिति कुछ और ही बयां करती है.

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ग्राउंड रिपोर्ट: जेवर एयरपोर्ट के लिए जमीन देने वाले किसान क्यों कह रहे हैं कि हमारा विनाश हो गया
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जेवर के विधायक धीरेन्द्र सिंह, भट्टा परसौल भूमि अधिग्रहण के समय आंदोलन करने वालों में से प्रमुख थे. तब वे कांग्रेस पार्टी में थे और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अपनी बाइक पर बैठाकर किसानों के बीच लेकर गए थे. जब हमने उनसे पूछा कि आपके रहते किसानों को मुआवजे के लिए क्यों भटकना पड़ रहा है, तो वे कहते हैं, ‘‘तकरीबन 611 किसान मैंने चिन्हित कराए थे, जिनमें से 400 किसानों की समस्याएं हम दूर करा चुके हैं. 211 की जो समस्याएं हैं, उसमें कुछ ऐसे लोग हैं जो 40-50 साल पहले इलाका छोड़कर चले गए थे. कुछ लोगों के बर्थ सर्टिफिकेट उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं. उनकी उम्र की तस्दीक नहीं हो पा रही है. हम प्रयासरत हैं कि जो शेष 211 लोग बचे हैं, उनकी भी समस्याओं का समाधन कराएं.’’

211 की संख्या कम नहीं है. कई लोग ऐसे हैं जिनके घर तोड़ दिए गए. वे टेंट डालकर रह रहे हैं. उनके पशुओं की मौत हो रही है. क्या यह बड़ी समस्या नहीं है, ‘‘निश्चित ही यह बड़ी समस्या है और हम इसके लिए प्रयासरत हैं. यह दुनिया का पहला ऐसा अधिग्रहण है जो टाइम लाइन से जारी है. इसलिए किसान भाइयों को इसमें थोड़ी बहुत दिक्क्त आई है उसके लिए मैं क्षमा चाहता हूं.’’

जिन किसानों के घर तोड़ दिए गए उनमें से कुछ को जेवर शहर में प्लॉट दिए गए हैं. यहां रह रहे लोग भी सरकार से नाराजगी जाहिर करते हैं. यहां गांव के हिसाब से गलियां बनी हुई हैं और लोगों को घर दिए गए हैं. यहां हमारी मुलाकात प्रवीण कुमार छोकड़ से हुई. वे कहते हैं, ‘‘गांव उठाने से पहले उन्हें हमारे मकानों के पैसे देने चाहिए थे. उसके बाद छह महीने या साल भर का समय देते ताकि हम अपना घर बना लेते. तब हमारा घर तोड़ते. यहां न सीवर लाइन है, न नाली साफ है, न लाइट है. यहां कुछ भी नहीं है. गंद बचा हुआ है. यहां जो सड़कें हैं, वो आधे से ज्यादा टूट चुकी हैं. कुछ समय बाद यह कच्ची हो जाएंगी.’’

यहां लोग खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं क्योंकि यहां सीवर का इंतजाम नहीं है. छोकड़ कहते हैं, ‘‘शौच के लिए गाड़ी लाकर रख देते हैं. उसमें कितने लोग शौच कर सकते हैं? इसलिए हमें खुले में खेत में जाना पड़ता है. जहां खेत वाला हमें डंडे लेकर भागता है. कभी हमारे बड़े-बड़े घर हुआ करते थे और अब हम बंध गए हैं. हम किसान हैं. घर पर मवेशी रखते थे. यहां तो मवेशी भी नहीं रख सकते हैं. इस सरकार ने जो कहा वो नहीं किया और जो किया वो कहा ही नहीं. हमारे यहां कोई वोट मांगने अब तक नहीं आया. सपा, बसपा, कांग्रेस या बीजेपी किसी भी पार्टी का कोई भी आएगा तो उसे हमारे सवालों का जवाब देना होगा.’’

भारतीय जनता पार्टी या प्रदेश की योगी सरकार के दावों से इतर यहां किसान परेशान हैं. जेवर एयरपोर्ट बनने के बाद रोजगार मिलेगा, इस दावे से इतर वे खुद को अभी बर्बाद बता रहे हैं.

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