ताज महल विवाद: पाकिस्तानी ढर्रे पर हिंदुस्तानी इतिहास की नियति

इतिहासकार उमा चक्रवर्ती के मुताबिक मध्यकाल में शासकों का शोषण और राज्य विस्तार सिर्फ मुग़लों तक सीमित नहीं था. यह शक्ति के आकलन का एकमात्र जरिया था.

WrittenBy:निधि सुरेश
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दिल्ली से तकरीबन 200 किलोमीटर दूर, आगरा में यमुना नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है दुनिया का सातवां अजूबा ताज महल. हर साल यहां लगभग तीस लाख पर्यटक यानी करीब 45,000 रोजाना यहां घूमने आते हैं.

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385 साल पुराने इस स्मारक को मुगल शासक शाहजहां ने 1632 में अपनी मृत पत्नी मुमताज बेग़म की याद में बनवाया था. अब यह स्मारक भाजपा के विवादपूर्ण फैसलों और नेताओं के बयानों को लेकर बहस के केंद्र में है.

रविवार को मेरठ में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सरधना से भाजपा विधायक संगीत सोम ने कहा कि ताजमहल को भारतीय इतिहास का हिस्सा नहीं माना जाना चाहिए. इसी महीने, उत्तर प्रदेश सरकार ने भी ताजमहल को यूपी पर्यटन सूची से बाहर निकाल दिया था.

यूपी पर्यटन विभाग द्वारा जारी की गई पुस्तिका ‘अपार संभावनाएं’ के कवर पेज पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पर्यटन मंत्री रीता बहुगुना जोशी की बनारस में गंगा आरती करते हुए तस्वीर छपी थी. पुस्तिका के अंदर के पेजों में बनारस की प्रासंगिकता, कुंभ मेला, राम जन्मभूमि अयोध्या और भगवान कृष्ण से जुड़े मथुरा वृंदावन की महत्ता का जिक्र था.

1983 में यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व विरासत स्थल ताजमहल को इस पुस्तिका से गायब कर दिया गया.

भाजपा का पक्ष

रविवार को अपने भाषण में भाजपा विधायक संगीत सोम ने मुग़ल शासकों बाबर, अकबर और औरंगजेब को ‘गद्दार’ बताया और उन्हें इतिहास से हटाने की मांग की. साथ ही सोम ने कहा कि महाराणा प्रताप और शिवाजी जैसे ‘सच्चे महान लोगों’ को इतिहास में पढ़ाया जाना चाहिए. “ताजमहल का नाम पर्यटन सूची से हटाये जाने पर बहुत सारे लोग दुखी थे. किस तरह का इतिहास? कहां यह इतिहास है कि ताजमहल बनाने वाले ने अपने पिता को जेल में रखा? क्या आप इसको इतिहास कहते हैं, जिसने ताज बनाया उसने उत्तर प्रदेश और हिंदुस्तान से हिंदुओं का सर्वनाश कर दिया?” सोम ने कहा.

15 जून को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा कि ताजमहल और अन्य दूसरे स्मारक “भारतीय संस्कृति की झलक नहीं देते”. उन्होंने कहा कि विदेशी उच्च पदाधिकारियों को इन स्मारकों की प्रतिकृति दी जाती है, जो कि भारतीय संस्कृति की सही झलक नहीं है. आदित्यनाथ ने कहा, “अब (मोदी सरकार के आने के बाद) विदेशी उच्च अतिथियों को भागवद गीता और रामायण भेंट की जाती है जब वो भारत आते हैं.”

संगीत सोम के नफरती भाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि ताजमहल “हमारी विरासत है, जिस पर हमें गर्व” है और साथ ही प्रमुख पर्यटन स्थल भी है. “यह उनका निजी मत हो सकता है, मैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसे सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा मानते हैं. यह विरासत और प्रमुख पर्यटन स्थल है. हम आगरा और ताज को आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. पर्यटकों के दृष्टिकोण से, हमें ताजमहल पर गर्व है,” जोशी ने कहा.

अपने बयान पर कायम रहते हुए संगीत सोम ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “मैं ताजमहल का विरोध नहीं करता. यह एक खूबसूरत विरासत है. मैं मुगलों का विरोध करता हूं, जिन्होंने इसे बनवाया और उसे किस तरह इतिहास में दर्ज किया गया है.”

उन्होंने जोड़ा कि मुग़ल भारतीय नहीं थे बल्कि मंदिरों को ध्वस्त करने वाले हमलावर थे. सोम ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि कांग्रेस ने वोट बैंक की राजनीति के लिए इतिहास के साथ छेड़छाड़ किया है.

विपक्ष

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदउद्दीन औवेसी ने सोम के बयान पर प्रश्न पूछा कि क्या लाल किले को भी भारत के इतिहास से हटा दिया जाएगा. “लाल किला भी उन्हीं गद्दारों के द्वारा बनवाया गया था. क्या प्रधानमंत्री मोदी लाल किले से झंडा फहराना बंद कर देंगे? क्या योगी और मोदी देश-विदेश के पर्यटकों से यह अपील कर सकते हैं कि वे ताजमहल जाना बंद कर दें?” औवेसी ने सवाल दागा.

उत्तर प्रदेश पर्यटन की पुस्तिका से ताज महल का नाम हटाये जाने की जानकारी पर कांग्रेस ने इसे “क्रूर मजाक और दुर्भाग्यपूर्ण” बताया. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए कहा, “अगर पुस्तिका पर्यटन पर है और उसमें ताजमहल का नाम नहीं है, तो पहले तो यह एक मजाक है और दूसरा यह दुर्भाग्यपूर्ण है. यह ऐसा है कि हमें (विलियम शेक्सपियर की) ‘हेमलेट’ में डेनमार्क के राजा का जिक्र नहीं चाहिए. कोई उत्तर प्रदेश या भारत में बिना ताजमहल के पर्यटन की कल्पना कैसे कर सकता है? मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं. अगर यह पर्यटन पर पुस्तिका है और उसमें ताज नहीं है, यह धामिर्क पूर्वाग्रह है और पूर्णत: गैरजरूरी है,” उन्होंने कहा. सिंघवी ने कहा, “ऐसी तुच्छता भारत को छोटा” करती हैं.

इतिहासकार क्या कहते हैं

इतिहासकार और नारीवादी लेखक उमा चक्रवर्ती का मानना है कि भाजपा इस तरह के बयान सिर्फ इसलिए देती है क्योंकि वो मुसलमानों को हर वक्त सीधे तौर पर निशाना नहीं बना सकती है. मूल विचार है कि मुसलमानों पर अप्रत्यक्ष और उग्र हमले किए जाएं जिसमें हिंसा निहित न हो. यह भारत को हिंदू राष्ट्र में बदलने के उनके राष्ट्रीय प्रोजेक्ट का हिस्सा है.

“जहां गौरक्षक मुसलमानों पर हर दिन हमले कर रहे हैं, यह भाजपा के लिए बहुत जरूरी है कि वो मुसलमानों को इतिहास में भी खारिज करें. चुंकि इतिहास हमारे लिए महत्वपूर्ण है, उतना ही जरूरी है कि उन्हें ऐतिहासिक परिपेक्ष्य में भी दोषी साबित किया जाए. यह मुसलमानों को निशाना बनाने का राजनीतिक षड्यंत्र है,” उन्होंने कहा.

उनका यह भी मानना है कि इस तरह के हमलों से भाजपा अपनी रणनीति में पाकिस्तान को प्रतिबिंबित करती है. पाकिस्तान में भी इतिहास इसी तरह के तर्कों के साथ पढ़ाया जाता है कि मुसलमानों के पूर्व कोई युग नहीं था. यह वही है जो भाजपा भारत के मुसलमानों के साथ कर रही है.

चक्रवर्ती ने ध्यान आकृष्ट करवाया कि भाजपा बाबर, अकबर और औरंगजेब जैसे मुस्लिम शासकों को हिंदू राष्ट्र के लुटेरे, बलात्कारी और हिंसक के तौर पर पेश करना चाहती है. “बलात्कार, लूट और हिंसा मुस्लिम शासकों तक ही सीमित नहीं था. यह राजशाही की प्रकृति थी. हर धर्म का हर शासक हिंसा का दोषी रहा है, जिसके लिए भाजपा मुसलमानों को निशाना बना रही है. तब शक्ति का आकलन और अभ्यास इसी हिंसक तरीके से होता था. यह मुस्लिम शासकों की कोई अलग से विशेषता नहीं है,” उन्होंने कहा.

चक्रवर्ती के मुताबिक, “इतिहास को एक धारा में समेटना पागलपन है” क्योंकि भारत विभिन्न इतिहासों से निर्मित हुआ और कायम रहा है. “दक्षिणपंथी भी ऐसा दिखाने की कोशिश करते हैं कि उन्हें इतिहास का ज्ञान है, पर वास्तिवकता में ऐसा है नहीं. वो सिर्फ सुविधानुसार मिथ्या गढ़ने में माहिर हैं जो उनकी रणनीति में फिट बैठे,” चक्रवर्ती ने कहा.

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