वेज-नॉनवेज: ‘धर्म’ नहीं एक दूसरे को ‘ताकत’ दिखाने का परिणाम है जेएनयू हिंसा

जिस जेएनयू को भारत में सबसे अच्छे शिक्षण संस्थानों में से एक के लिए जाना जाता है, वह आज वेज और नॉनवेज खाने के लिए सुर्खियों में है.

Article image
  • Share this article on whatsapp

“यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं था, न हिंदू-मुस्लिम और न ही राइट-लेफ्ट, इसे एबीपीवी द्वारा राजनीतिक बनाया गया और प्रोपेगेंडा फैलाया जा रहा है.” यह कहना था जेएनयू के कावेरी छात्रावास के अध्यक्ष नवीन कुमार का, जो रविवार को घटना के वक्त मौके पर मौजूद थे.

नवीन कुमार उस कमेटी के अध्यक्ष हैं जो यह निर्धारित करती है कि हॉस्टल में क्या खाना बनेगा. यह कमेटी छात्रों के साथ बातचीत कर महीनेभर के मेन्यू को निर्धारित करती है. नवीन कुमार कहते हैं, “जब उन्हें (एबीपीवी के सदस्यों को) पता था कि रामनवमी है तो उन्हें पहले बता देना था, हम जनरल बॉडी मीटिंग (जीबीएम) बुलाकर खाने में बदलाव कर सकते थे.”

नवीन कुमार, कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई से जुड़े हैं, वह फिलॉसफी में पीएडची कर रहे हैं. कुमार का अध्यक्ष पद का कार्यकाल पूरा हो चुका है, लेकिन कोविड की वजह से चुनाव नहीं हुआ जिसके कारण वह अभी भी अध्यक्ष हैं.

कुमार आगे कहते हैं, “जिस जेएनयू को भारत में सबसे अच्छे शिक्षण संस्थानों में से एक के लिए जाना जाता है, वह आज वेज और नॉनवेज खाने के लिए सुर्खियों में है.” कुमार जिस सुर्खियों की बात कर रहे हैं दरअसल उसकी शुरूआत रविवार 10 अप्रैल को जेएनयू के कावेरी छात्रावास में हुई.

रविवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और वामपंथी छात्र संगठन खाने को लेकर भीड़ गए, दोनों पक्षों में हुई हिंसा में करीब छह छात्र घायल हो गए. इस घटना के बाद जेएनएसयू, एसएफआई, डीएसएफ और आइसा से जुड़े छात्रों ने एबीवीपी के खिलाफ केस दर्ज करवाया. पुलिस ने आईपीसी की धारा 323/341/509/506/34 के तहत केस दर्ज किया है. वहीं एबीवीपी छात्र संगठन से जुड़े छात्रों ने लेफ्ट विंग छात्रों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है.

हिंसा के विरोध में सोमवार को एबीवीपी के छात्रों ने जेएनयू के बाहर एक प्रेस वार्ता की. वहीं लेफ्ट विंग के छात्रों ने दिल्ली पुलिस हेडक्वार्टर पर प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन का आह्वान आइसा ने किया था. प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस ने छात्रों को हिरासत में ले लिया और उन्हें तुगलक मार्ग पुलिस थाने ले गई.

जिसके बाद आइसा ने बयान जारी कर कहा कि, जिन लोगों ने विद्यार्थियों पर हमले किए हैं वे बार-बार इस तरह की घटना को अंजाम दे रहे हैं. लेकिन प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. संगठन ने आरोप लगाया कि प्रदर्शन के दौरान महिला छात्रों के साथ पुलिस ने हाथापाई की और उनके कपड़े खींचे.

subscription-appeal-image

Support Independent Media

The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.

Contribute

रविवार की शाम को कावेरी छात्रावास में क्या हुआ?

जेएनयू में एबीवीपी और लेफ्ट संगठन के छात्रों के बीच यह कोई पहली बार नहीं है जब हिंसा हुई है. इससे पहले भी कई बार दोनों संगठन के छात्र आपस में भिड़ चुके हैं. ताजा मामला नॉनवेज खाने को लेकर है. दरअसल 10 अप्रैल को रामनवमी होने के कारण एबीवीपी ने कावेरी छात्रावास में पूजा-पाठ का आयोजन किया था. इस कार्यक्रम में हवन भी किया गया. एबीवीपी से जुड़े शैतान सिंह कहते हैं, “हमने रामनवमी के कार्यक्रम को लेकर तीन दिन पहले ही बता दिया था लेकिन लेफ्ट छात्र संगठन इस कार्यक्रम को लेकर पहले से विरोध में थे. वो नहीं चाहते थे कि हम रामनवमी मनाएं.”

हॉस्टल में अफजल नॉनवेज सप्लाई करते हैं. वह शाम को करीब 3 बजे कावेरी पहुंचे. बता दें कि कावेरी में करीब 300 छात्र रहते हैं, जिसमें से अधिकतर छात्र विकलांग हैं. 300 छात्रों में से 170 के लिए वेज खाना और बाकियों के लिए नॉनवेज बनना था. उसी को ध्यान में रखकर अफजल, नॉनवेज सप्लाई करने पहुंचे थे.

कावेरी छात्रावास

छात्रावास के कार्यकारी अध्यक्ष आदित्य बताते हैं, “जब वह नॉनवेज लेकर छात्रावास के गेट पर पहुंचे तभी एबीवीपी के लोग पहुंचकर विरोध करने लगे कि आज नॉनवेज नहीं बनेगा. जब मैं वहां पहुंचा तो उन्होंने मेरे साथ मारपीट की. हमने वार्डन को रोकने के लिए भी कहा लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा. डर के कारण अफजल नॉनवेज लेकर वापस चले गए.”

नवीन कुमार कहते हैं, “कौन क्या खाएगा, इसका निर्णय एबीवीपी नहीं लेगा. इनका कोई अधिकार नहीं था कि छात्रावास में नॉनवेज आने से रोके. सिर्फ गुडागर्दी कर रहे थे ये लोग.”

जब नॉनवेज वापस हो गया. उसके बाद रामनवमी की पूजा और हवन शुरू हुआ, जो करीब शाम 6:30 बजे तक चलता रहा. इस पूजा में शामिल होने के लिए बाहर के कई छात्र भी शामिल हुए. यह सब मिलाकर कुल करीब 200 लोग थे. पूजा का आयोजन एबीवीपी और कावेरी छात्रावास में रह रहे छात्रों ने किया था. वायरल एक वीडियों में भी देखा जा सकता है कि एक तरफ पूजा चल रही है और दूसरी तरफ रोजा इफ्तार हो रहा है.

एबीवीपी का रामनवमी का पोस्टर

शाम को लेफ्ट छात्र और छात्रावास के छात्र मेस वार्डन से नॉनवेज खाने को लेकर बात करने गए. नवीन कुमार कहते हैं, “वार्डन ने कहा था कि अफजल को दोबारा बोल दिया है वह नॉनवेज लेकर आ रहा है.” पूजा समाप्त होकर बाहर निकल रहे एबीवीपी और लेफ्ट के छात्रों में एक बार फिर से बहस हो गई कि नॉनवेज नहीं बनेगा.

इसके बाद दोनों पक्षों में हाथापाई शुरू हो गई. हिंसा के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं. जिसमें दोनों पक्षों के छात्र एक दूसरे से लड़ते दिख रहे हैं. इस दौरान मेस का कांच भी टूट गया और कई छात्र घायल हो गए.

एबीपीवी के अध्यक्ष रोहित कुमार ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि नॉनवेज को लेकर कोई विवाद था ही नहीं. रामनवमी से एक दिन पहले उनको धमकी मिल रही थी कि रामनवमी की पूजा में हड्डियां फेंकी जाएंगी. पूजा को रोकने की साजिश रची गई. फर्जी नोटिस भेजा गया. छात्रों को कावेरी हॉस्टल में घुसने से रोका गया. लेफ्ट पार्टियों के छात्र लाठी, डंडे लेकर आए थे. उन्होंने हमारे झंडे फाड़े और छात्रों को रॉड, ट्यूब लाइट से पीटा. रोहित कुमार ने बताया कि पुलिस को कुल तीन शिकायत दी गई हैं.

एबीवीपी के दावों पर जेएनयू स्टूडेंट काउंसलर अनिगा कहती हैं, “रामनवमी की पूजा में किसी ने कोई दखल नहीं दिया. पूजा अच्छे तरीके से संपन्न हुई. यह घटना पूजा होने के बाद हुई. इस घटना में कावेरी छात्रावास के छात्र नहीं थे बल्कि बाहर से लोग बुलाए गए थे.”

वह आगे कहते हैं, “हमने दिल्ली पुलिस को भी बुलाया था, वह पहुंचे लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया. वहीं जब नॉनेवज आने से रोका गया उस दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन में से किसी ने कुछ नहीं कहा. सब चुप थे.”

टूटा हुआ मेस का कांच

छात्रावास में रहने वाले एक अन्य छात्र नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, “जब सभी हॉस्टल में नॉनवेज बना था तो उनको कावेरी में बनने देने से क्या दिक्कत थी. पेरियार छात्रावास जो कि एबीवीपी का गढ़ कहा जाता है वहां भी नॉनवेज बना था. वहां क्यों नहीं उन्होंने बनने से रोका. दूसरी बात, जब हिंसा शुरू हुई उस दौरान पूजा हो गई थी, इसलिए जब मेस वार्डन नॉनवेज मंगा रहे थे तो उनको (एबीवीपी) विरोध नहीं करना चाहिए था.”

नवीन कुमार ने बताया कि एबीवीपी को इस कार्यक्रम के लिए मंजूरी नहीं मिली थी. फिर भी यह कार्यक्रम हुआ. वहीं हिंसा की वजह से जो वेज खाना बना था वह भी छात्र नहीं खा पाए.

“खाना नहीं बनने देना यह दिखाता है कि वह हम पर एक विचारधारा थोपना चाहते हैं. जो वो बोलेंगे वह नहीं हो सकता. मैं भी राम का भजन सुनता था लेकिन अब सुनने का मन नहीं करता, जिस तरह से इन लोगों ने राम के नाम पर हिंसा करना शुरू कर दिया है” नवीन कुमार कहते है.

हिंसा के बाद रात को ही जेएनयू की वाइस चांसलर (वीसी) शांतिश्री धूलिपुडी पंडित और डीन सुधीर प्रताप छात्रावास पहुंचे. हमने वीसी से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन बातचीत नहीं हो पाई. हालांकि जेएनयू प्रशासन ने अपने एक आदेश में कहा है कि अब से छात्रावास परिसर में कोई धार्मिक आयोजन नहीं होगा.

Also see
article imageजेएनयू छात्रों में हिंसक झड़प, लेफ्ट और एबीवीपी का एक दूसरे पर गंभीर आरोप
article imageझूठ, कुतर्क, भटकाव: जेएनयू हिंसा में टीवी चैनलों द्वारा इस्तेमाल किए गए औजार
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like