पत्रकारों पर हमले: "यह चुपचाप बैठने का नहीं बल्कि संघर्ष करने का समय हैं"

दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में डिजीपब और पीसीआई ने देशभर में पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमलों की निंदा की.

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देश की राजधानी दिल्ली के बुराड़ी मैदान में जिस तरह से पत्रकारों के साथ मारपीट हुई और उत्तर प्रदेश के बलिया में जिस तरह से पेपर लीक की खबर लिखने पर पत्रकारों को ही गिरफ्तार कर लिया गया, दोनों ही घटनाएं दिखाती हैं कि देश में पत्रकारिता का हाल क्या है?

यह बात प्रेस क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान प्रेस काउंसिल के सदस्य जयशंकर गुप्ता ने कहीं. वह डिजीपब न्यूज इंडिया फाउंडेशन और प्रेस क्लब द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे जो पत्रकारों के खिलाफ देशभर में लगातार हो रहे हमलों पर आयोजित था. इस कार्यक्रम में न्यूज़लॉन्ड्री के को-फाउंडर अभिनंदन सेखरी, द कारवां के राजनीतिक संपादक हरतोष सिंह बल, द क्विंट के एग्जीक्यूटिव एडिटर रोहित खन्ना और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा मौजूद रहे.

कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए उमाकांत लखेड़ा कहते हैं, “उत्तर प्रदेश के बलिया में परीक्षा का पेपर लीक हो गया. लीक की खबर लिखने वाले पत्रकार को ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. अब तो यूपी में ऐसा हो गया है कि ‘यूपी में पेपर लीक नहीं हुआ तो क्या हुआ.’ अभी हाल में दिल्ली के बुराड़ी मैदान में हिंदू महापंचायत आयोजित हुई. जिसमें शामिल पत्रकारों के साथ मारपीट हुई. यह घटना दिखाती हैं कि पत्रकारों की पहचान उनके काम से नहीं बल्कि उनके धर्म से पहचानी जाती है.”

बुराड़ी की घटना पर हरतोष बल कहते हैं, “साल 2014 के बाद से हम 15-16 बार प्रेस क्लब आकर पत्रकारों के लिए बातचीत कर चुके हैं. हमें अपने साथी पत्रकारों के साथ खड़ा होना होगा. पत्रकारों के साथ लगातार हो रही घटनाएं दिखाती हैं कि यह सरकार नहीं चाहती कि हम पत्रकारिता करें.”

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वह आगे कहते हैं, “हिंदुत्व राइट विंग का एक कॉमन एजेंडा है. लव जिहाद धार्मिक मामला नहीं है बल्कि इस मामले के जरिए वह महिलाओं की आजादी को दबाना चाहते हैं. इसी तरह हिजाब के जरिए वह शिक्षा को निशाना बनाना चाहते हैं. इन सब मामलों से एक चीज जो साफ झलकती है वह यह कि इनका निशाना सिर्फ मुसलमान हैं.”

मुस्लिम पत्रकारों के साथ हुई घटनाओं पर हरतोष आगे कहते हैं, “पत्रकारों से साथ हो रही यह घटनाएं बताने के लिए हैं कि सत्ता पक्ष नहीं चाहता है बतौर पत्रकार कोई मुसलमान काम करे. वह नहीं चाहते हैं कि मुस्लिम काम भी करें. वह सिर्फ चाहते हैं कि मुस्लिम उनके रहमोकरम पर रहें.”

डिजीपब के महासचिव और न्यूज़लॉन्ड्री के को-फाउंडर अभिनंदन सेखरी बुराड़ी में पत्रकारों के साथ हुई घटना पर कहते हैं, “हम डिजीपब की तरफ से पत्रकारों को मदद पहुंचा रहे हैं. साथ ही गृहमंत्री अमित शाह को बुराड़ी की घटना और बलिया की घटना के बारे में उन्हें ज्ञापन देंगे. हमें इन घटनाओं पर खुलकर बोलना पड़ेगा और लिखना होगा. आज पत्रकारों के साथ जो घटनाएं हो रही हैं, उनके खिलाफ एक स्वर में बोलना होगा.”

अभिनंदन, दिल्ली पुलिस की कार्यशैली पर कहते हैं, “पुलिसकर्मियों की उपस्थिति में, भीड़ जिस तरह से पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार कर रही थी - मुझे नहीं पता कि कोई भी पुलिसकर्मी कैसे गहरी शर्मिंदगी और शर्म की भावना महसूस नहीं करता है. भले ही आपके ऊपर के बैठने वाले आपसे अपना सम्मान दूर रखने के लिए कहें लेकिन उन्हें अपना स्वाभिमान रखना चाहिए. जब सार्वजनिक स्थान पर उनके साथ इस तरह का व्यवहार किया जाता है तो वे व्यक्तिगत रूप से कैसे शर्मिंदगी महसूस नहीं करते. अगर यह भीड़ का नियम है जिसे हम स्वीकार कर रहे हैं, तो मैं यह नहीं देखता कि वर्दी में कोई भी व्यक्ति इसके साथ कैसे ठीक है. व्यक्तिगत रूप से भी, क्या आपको शर्मिंदगी महसूस नहीं होती है?”

जयशंकर गुप्ता कहते हैं, “यह समय चुपचाप बैठने का नहीं है. बल्कि संघर्ष करने का समय है. पत्रकारों को डराया जा रहा है लेकिन हमें डरना नहीं है. हमारा संघर्ष ही सबकुछ है. भले ही हमें जेल में डाल दिया जाए लेकिन सोर्स नहीं बताएंगे. जिस तरह से मुस्लिम पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं यह देश में अल्पसंख्यकों को डराने की कोशिश है.”

क्विंट के कार्यकारी संपादक रोहित खन्ना ने कहा, “यह हमारे लिए उत्पीड़न की एक व्यवस्थित भावना है, और हम इसे दैनिक आधार पर देख सकते हैं. उद्देश्य है हमें अपना काम करने से रोकना - यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए जगह कम होती जा रही है. हमारी पत्रकारिता में कुछ ऐसा है जो सिस्टम को डराता है. आइए अपने पत्रकारों की रक्षा करें और उन्हें देखें, लेकिन यह हमें अपना काम करने से न रोकें.”

खन्ना ने कहा “दिल्ली पुलिस को कुछ बड़े सवालों का जवाब देना है. “जब हिंदू महापंचायत के लिए विशेष रूप से अनुमति नहीं दी गई थी, तो उन्होंने इसकी अनुमति कैसे दी? मंच कैसे स्थापित किया गया था और दर्शकों को कार्यक्रम में कैसे उतरना था?”

कार्यक्रम के अंत में एक प्रस्ताव पारित किया गया. इसमें पत्रकारों के खिलाफ लगातार हो रही घटनाओं की निंदा की गई है.

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