पंजाब चुनाव: हर पार्टी की नजर जिस वोट बैंक पर, उस दलित समुदाय की उम्मीदें?

देश में सबसे ज्यादा दलितों की आबादी पंजाब में है, बावजूद इसके यहां राजनीति में दलित कभी मुख्य भूमिका में नहीं रहे.

पंजाब में 117 विधानसभा सीटों के लिए 20 फरवरी को मतदान होना है. इससे पहले सभी राजनीतिक दल प्रदेश के मतदाताओं को अपनी तरफ रुझाने में लगे हुए हैं. दलित वोट सबसे ज्यादा होने के कारण पार्टियों का ज्यादा फोकस इस बार के चुनावों में भी दलितों पर ही है.

न्यूज़लॉन्ड्री की टीम दलितों से उनके मुद्दे और किस पार्टी की तरफ इस बार उनका रूझान है यह जानने के लिए दोआबा क्षेत्र के नवांशहर विधानसभा पहुंची. दोआबा क्षेत्र में सबसे ज्यादा दलित आबादी है.

पेशे से जमीन खरीद-बेच का काम करने वाले 45 साल के राम लुभाया न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहते हैं, “दोआबा में दलित वोट सबसे ज्यादा हैं इसलिए चरणजीत सिंह चन्नी को कांग्रेस ने सीएम बनाया, जबकि इससे पहले साढ़े चार साल इन्होंने कोई काम नहीं किया”.

वह कहते हैं, इन चुनावों में तीन प्रमुख मुद्दे हैं- विकास, रोजगार और नशे से मुक्ति. हमारे युवाओं के पास कोई नौकरी नहीं है, पढ़ाई-लिखाई करके घर बैठे हैं. नशे पर लगाम लगाने की बात तो कांग्रेस सरकार ने की थी लेकिन वह सिर्फ वादा ही रह गया.

नवांशहर विधानसभा सीट पर वर्तमान विधायक कांग्रेस पार्टी के अंगद सिंह सैनी हैं, लेकिन उन्हें इस बार कांग्रेस पार्टी ने टिकट नहीं दिया. जिसके बाद वह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत के दौरान स्थानीय निवासियों ने कहा कि उन्होंने पांच सालों में कोई काम उनके लिए नहीं किया इसलिए इस बार वह उनको वोट नहीं करेंगे.

इस बार के चुनावों में दलितों की पसंद सिर्फ एक पार्टी तक सीमित नहीं है. वहीं शहर की नई आबादी इलाके में रहने वाले अधिकतर दलित लोगों ने बसपा और अकाली के गठबंधन को वोट देने की बात कहीं.

देखिए पूरी बातचीत-

Also see
article imageउत्तराखंड चुनाव: विकास का शोर और पलायन पर चुप्पी
article imageएक और चुनावी शो: पंजाब के युवा भारत छोड़ना क्यों पसंद करते हैं?

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like