गर्भावस्था के दौरान वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से नवजात शिशु के स्वास्थ्य पर पड़ता है बुरा असर

शोध के अनुसार अजन्में बच्चे पर वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर गर्भावस्था के शुरुवाती और बाद के महीनों में पड़ता है, जिस समय वो वायु प्रदूषण के प्रति सबसे ज्यादा संवेदनशील होते हैं.

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गर्भावस्था के दौरान वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से नवजात शिशु के स्वास्थ्य पर पड़ता है बुरा असर
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इरिजार ने बताया, "गर्भावस्था के शुरुवाती महीनों के दौरान, वायु प्रदूषकों का थायराइड हार्मोन के संतुलन पर सीधा प्रभाव पड़ता है. इससे शिशुओं में थायरोक्सिन का स्तर कम होता जाता है. जैसे-जैसे गर्भावस्था आगे बढ़ती है, यह असर कम होता जाता है. यानी मां के प्रदूषण के संपर्क में आने का असर धीरे-धीरे कम महत्वपूर्ण होता जाता है."

हालांकि गर्भावस्था के अंतिम महीनों में यह सम्बन्ध फिर से देखा गया था, लेकिन इस बार यह पहले की तुलना में विपरीत प्रभाव प्रदर्शित करता है. जैसे-जैसे इन सूक्ष्म कणों की एकाग्रता बढ़ती है, उसके साथ-साथ थायराइड हार्मोन का स्तर भी बढ़ता है, जिसका संतुलन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. ऐसा क्यों होता है यह स्पष्ट नहीं है. पर इतना स्पष्ट है कि वायु प्रदूषण के मामले में गर्भावस्था की सबसे संवेदनशील अवधि शुरुआती और अंतिम महीने हैं. यूपीवी/ईएचयू द्वारा किया यह अध्ययन जर्नल एनवायर्नमेंटल रिसर्च में प्रकाशित हुआ है.

यह कोई पहला मौका नहीं है जब शिशुओं पर बढ़ते वायु प्रदूषण के असर को स्पष्ट किया गया है. इससे पहले जर्नल नेचर सस्टेनेबिलिटी में छपे एक शोध के अनुसार गर्भवती महिलाओं के वायु प्रदूषकों के संपर्क में आने से गर्भपात का खतरा 50 फीसदी तक बढ़ जाता है. वहीं अन्य अध्ययनों में भी वायु प्रदूषण और गर्भावस्था सम्बन्धी जटिलताओं पर प्रकाश डाला गया था, लेकिन उसके विषय में जानकारी बहुत सीमित ही थी.

इसी तरह जर्नल नेचर कम्युनिकेशंस में छपे एक शोध ने इस बात की पुष्टि की थी कि प्रदूषण, मां की सांस से गर्भ में पल रहे बच्चे तक पहुंच रहा है और उनको अपना शिकार बना रहा है.

अमाया इरिजार के अनुसार उनका अगला कदम उन कारणों को जानने का होगा जिनके द्वारा ये महीन कण गर्भावस्था के प्रारंभिक और अंतिम महीनों में विपरीत प्रभाव पैदा करते हैं. वास्तव में, ये कण कार्बन से बने छोटे गोले से ज्यादा कुछ नहीं हैं, और अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि यह किस हद तक प्रभावित कर सकते हैं.

यह प्लेसेंटा के जरिए बच्चे तक पहुंचते हैं, क्या इन कणों से जुड़े अन्य घटक शरीर में प्रवेश करने के बाद मुक्त हो जाते हैं, अभी इसे समझना बाकी है. क्या गर्भावस्था के दौरान इन प्रदूषकों का संपर्क न केवल थायराइड हार्मोन को प्रभावित करता है, बल्कि अन्य पहलुओं जैसे कि मानसिक और शारीरिक विकास, मोटापा, आदि को भी प्रभावित करता है, इसे समझने के लिए आगे भी शोध करने की जरूरत है.

(साभार- डाउन टू अर्थ)

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