बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ स्कीम का 79 प्रतिशत हिस्सा विज्ञापन पर किया गया खर्च

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव देते हुए कहा कि सरकार को विज्ञापन पर होने वाले खर्च पर सोचना चाहिए.

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केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक बेची बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) के लिए आवंटित 446.72 करोड़ का लगभग 78.91 प्रतिशत हिस्सा प्रचार-प्रसार और विज्ञापनों पर खर्च किया गया.

महाराष्ट्र से बीजेपी सांसद हीना विजयकुमार गावित की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकसभा में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को लेकर अपनी रिपोर्ट पेश की.

कमेटी ने कहा, “बीबीबीपी के संदेश को लोगों के बीच फैलाने के लिए प्रचार-प्रसार जरूरी है लेकिन योजना का उद्देश्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है.”

समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि साल 2014-15 में अपनी स्थापना के बाद से 2019-20 तक, इस योजना के तहत 848 करोड़ रुपए के आवंटित बजट में से 622.48 करोड़ रुपए राज्यों को जारी किए गए. लेकिन राज्यों ने केवल 25.13 प्रतिशत फंड यानी 156.46 करोड़ रुपए ही इस योजना पर खर्च किए.

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना ग्रामीण इलाकों में बच्चों के लिंग भेदभाव को खत्म करने के उद्देश्य से चलाई जा रही है. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव देते हुए कहा कि सरकार को विज्ञापन पर होने वाले खर्च पर सोचना चाहिए. इसके बदले सरकार को शिक्षा और स्वास्थ्य में क्षेत्रीय हस्तक्षेप के लिए नियोजित खर्च आवंटन पर ध्यान देना चाहिए.

कमेटी ने महिला और बाल विकास मंत्रालय को सुझाव देते हुए कहा कि वह सभी राज्यों और केंद्रशासित राज्यों को निर्देश दे की बीबीबीपी योजना के बजट का सही से उपयोग हो.

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